तेरापंथ भवन में मनाया ज्ञानशाला दिवस
उदयपुर। जैन तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि सुरेशकुमार के सानिध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा ज्ञानशाला के बैनर तले ज्ञानशाला दिवस तेरापंथ भवन बिजोलिया हाउस में समारोहपूर्वक मनाया गया।
‘अर्हं अर्हं की वंदना फले‘ ज्ञानशाला गीत के आगाज से शुरू हुए कार्यक्रम में मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि बच्चे कच्ची सुराही की तरह होते हैं। उन्हें जिस आकृति में ढ़ालें वह उसी आकार में ढल जाते हैं। ज्ञानशाला आज की भागती दौड़ती जिंदगी के बीच सबसे अहम जरूरत है। बच्चा माता-पिता के खेल का सामान होता है, माता- पिता उसे जो चाहे वही बना सकते हैं, शैतान भी और भगवान भी। ज्ञानशाला संस्कार निर्माण का सर्वाेच्च उपक्रम है अभिभावक यह दायित्व अवश्य निभाए की अपनी संतान को ज्ञानशाला भेजने के पुरुषार्थ से जुड़े।
मुनि संबोध कुमार ‘मेधांश‘ ने कहा कि मुस्कुराते बच्चे किसी स्वर्ग का एहसास देते हैं। अब दादा दादी नाना नानियों का दौर गुम हो गया, जब कहानियां संस्कार परोसती थी, अब ज्ञानशाला ही विकल्प है। जो अभिभावक अपने अंश को ज्ञानशाला भेजने में उत्साही दिखाते हैं उनका भविष्य हर पहलू से खुशहाली की सौगात लेकर आएगा। इस मौके मुनिवर के ज्ञानशाला दिवस पर रचित ऑडियो वीडियो गीत ‘ज्ञानशाला से बेस्ट कोई नहीं‘ लोकार्पित हुआ। मुनि ने कहा कि बचपन में संभावनाएं हैं, अभिभावक ज्ञानशाला में अपनी भावी पीढ़ी के लिए संभावनाएं ढूंढे।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आई.ए.एस. अधिकारी सुमतिलाल बोहरा ने कहा कि तेरापंथ ने समूचे विश्व में जैनधर्म को परिभाषित किया है। बाल पीढ़ी के मन वचन कर्म से संस्कारगत जैनत्व को मन में रमाएं । इस हेतु किए गए सारे प्रयास स्तुत्य है।
कार्यक्रम में नन्हें-नन्हें ज्ञानर्थियो ने आचार्य महाश्रमणजी की ऐतिहासिक अहिंसा यात्रा, लोहो सव्व विणासणो पर रोमांचक परिसंवाद की प्रस्तुति दी। वहीं ‘तू धरा – तू गगन‘ गीत पर एक्शन सॉन्ग की भाव विह्वल करने वाली प्रस्तुति दी। स्वागत ज्ञानशाला संरक्षक फतहलाल जैन एवं तेरापंथ उपाध्यक्ष कमल नाहटा ने किया। आभार ज्ञानशाला संयोजिका श्रीमती सुनीता बैंगनी ने जताया। इस मौके पर 25 बोल प्रतिक्रमण कंठस्थ करने वाले ज्ञानार्थियों को फतहलाल जैन द्वारा सिल्वर मेडल प्रदान किए गए।
चपलोत दंपति का तप अभिनंदन:
कार्यक्रम मे सुरेश चपलोत व उनकी धर्मपत्नी पुष्पा चपलोत के कंठी तप के उपलक्ष्य मे अभिनंदन हुआ। मुनि ह‘रनावा‘ ने दोनो तपस्वियो के प्रति अध्यात्मिक मंगल कामना व्यक्त की।
भागती दौड़ती जिंदगी के बीच ज्ञानशाला आज की पहली जरूरत’- मुनि सुरेशकुमार
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