उदयपुर : सोमवार को मेवाड़ चित्रकला प्रदर्शनी का शुभारंभ उत्तरप्रदेश की राज्यपाल एवं इलाहाबाद संग्रहालय सोसाइटी की अध्यक्ष श्रीमती आनंदीबेन पटेल और महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन, उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।
मेवाड़ चित्रों की यह भव्य प्रदर्शनी 15 दिसंबर 2025 से उदयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय के ज़नाना महल में 15 जून 2026 तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
‘प्रेमार्पण’ सांसारिक सीमाओं से परे अनंत बंधन की चित्राभिव्यक्ति’ शीर्षक वाली यह प्रदर्शनी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत प्रतिष्ठित इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज और महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा संचालित उदयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय के मध्य प्रथम संयुक्त सहयोग का प्रतीक है। यह भारतीय चित्रकला के एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अध्याय को उद्घाटित करती है।

‘प्रेमार्पण’ दो गूढ़ शब्द प्रेम और समर्पण अर्थात अर्पण का काव्यमय संगम है। ये भाव भक्ति, निःस्वार्थता और आत्मसमर्पण की आंतरिक अवस्थाओं को अभिव्यक्त करते हैं। इस प्रदर्शनी में इन्हीं भावनाओं को पौराणिक कथाओं, लोक कथाओं और मेवाड़ के महाराणाओं के जीवन प्रसंगों के माध्यम से उकेरा गया है, जो उनके अमर प्रेम और समर्पण को उजागर करते हैं।
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘शम्भु रत्न पाठशाला’ वर्तमान राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय की बालिकाओं को स्मृति चिह्न भेंट किये और अपने उद्बोधन में प्रदर्षनी में प्रदर्षित चित्रों पर कहा कि ये चित्र मात्र आकृतियां ही नहीं बल्कि उस काल में महाराणाओं और उन कलाकारों की भावनाएँ है, जिन्हें चित्रों के माध्यम से जीवंत भावभरें हुए है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, संसद सत्र के कारण उदयपुर उपस्थित नहीं हो सके, जिस पर उन्होंने खेद जताते हुए अपने ऑडियों संदेश में कहा, “इन दो प्रतिष्ठित संग्रहालयों के बीच यह सहयोग सांस्कृतिक संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान और हमारी संस्कृति की गहन समझ विकसित करने वाला एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।” केंद्रीय मंत्री शेखावत ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और मेवाड़ की सांस्कृतिक कला विरासत की सराहना करते हुए डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की।
डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा, यह प्रदर्शनी 18वीं से 20वीं शताब्दी तक के उत्कृष्ट चित्रों को एक साथ प्रस्तुत करती है। “प्रेमार्पण’ सदियों पुरानी मेवाड़ चित्रकला शैली की इस प्रदर्शनी के लिए एक अत्यंत उपयुक्त शीर्षक है। ‘प्रेम’ और ‘समर्पण’ इन दो हिंदी शब्दों ने मिलकर ‘प्रेमार्पण’ शब्द को जन्म दिया है। डॉ. मेवाड़ ने राज्यपाल के उदयपुर पधारने पर आभार व्यक्त करते हुए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और इलाहाबाद संग्रहालय के सहयोगात्मक प्रयास के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी की तैयारियों के दौरान राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री शेखावत द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और नेतृत्व के लिए वे कृतज्ञ हैं।
इलाहाबाद संग्रहालय ने 48 तथा सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर ने 36 मेवाड़ शैली के ऐसे चित्र साझा किए हैं, जिनमें 18वीं सदी ईस्वी से लेकर 21वीं सदी के कलाकारों द्वारा रचित भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम भाव तथा ढोला मारू की कथाओं के माध्यम से प्रेम और समर्पण की भावनाओं का सशक्त चित्रण किया गया है। प्रदर्शनी में रसिकप्रिया, बिहारी सतसई, गीत गोविंद और सूरसागर के पृष्ठों पर आधारित थीम्स भी शामिल हैं। प्रसिद्ध मेवाड़ विद्यालय की सूक्ष्म चित्रकला 17वीं सदी ईस्वी से आगे कई पीढ़ियों के महाराणाओं के संरक्षण में फली-फूली, जिनकी उत्कृष्टता की निरंतर साधना इन दुर्लभ चित्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
संरक्षण के प्रयास :
‘प्रेमार्पण सांसारिक सीमाओं से परे अनंत बंधन की चित्राभिव्यक्ति’ प्रदर्शनी में काग़ज़, कैनवास और लकड़ी के पैनलों जैसे विभिन्न माध्यमों पर निर्मित चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। इन चित्रों को प्रदर्शनी के योग्य बनाने के लिए सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर की संरक्षण टीम ने संग्रहालय की प्रयोगशाला में अत्यंत सावधानीपूर्वक संरक्षित किया है। संरक्षण की प्रक्रिया प्रत्येक कलाकृति के माध्यम और उसकी अवस्था के अनुसार भिन्न होती है। मुख्य उद्देश्य उपयुक्त संरक्षण- अच्छी सामग्री, उपकरण और उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए चित्रों के आधार और रंग-परतों को स्थिर करना है। बहुमूल्य चित्रों की माउंटिंग और फ़्रेमिंग का कार्य संग्रहालय की इन-हाउस टीम द्वारा हस्तचालित रूप से किया जा रहा है। गैलरी में उचित प्रदर्शन तकनीक, नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था और अनुकूल पर्यावरणीय स्थितियाँ सुनिश्चित करने के लिए निवारक देखभाल के उपाय भी लागू किए जा रहे हैं। प्रदर्शनी के एक भाग के रूप में संरक्षण प्रक्रिया और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी प्रदर्शित की जाएँगी, ताकि आगंतुकों को इन कलाकृतियों के संरक्षण में उपयोग होने वाली तकनीकों के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त हो सके।
