उदयपुर। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर और राजस्थानी भाषा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में 7 दिवसीय कार्यशाला ‘तीसरा राजस्थानी समर स्कूल’ का शुभारंभ सिटी पैलेस उदयपुर में किया गया। इस अवसर पर फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि हमारी मायड़ भाषा की मीठास पूरे विश्व में फैल रही है। यहां के पारम्परिक खान-पान व स्वाद के साथ ही यहां की भाषा के प्रति लगाव दिन-दिन बढ़ता जा रहा है। बोल-चाल में यहां के सम्मानजनक शब्द सबको गौरवान्वित करते है, इसी कारण आज लोग हमारी मायड़ भाषा को अधिक से अधिक सीखना भी चाहते हैं। भारत में बोली जाने वाली हर भाषा में दूसरी भाषाओं के शब्द मिले-जुले होते हैं और यही हमारी संस्कृति भी है। ठीक वैसे ही जैसे सागर में कई नदियां आकर मिलती हैं।
राजस्थानी भाषा अकादमी राजस्थानी भाषा के संरक्षण, शिक्षण और अनुसंधान के लिए समर्पित है। यह ‘सीखो राजस्थानी’ परियोजना जैसी पहल के माध्यम से शिक्षाविदों, लेखकों, शोधकर्ताओं और छात्रों की एक टीम है, जो भाषा के प्रचार और शिक्षण के लिए संरचित पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अकादमी को टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रो. दलपत राजपुरोहित और पद्मश्री से सम्मानित प्रो. गणेश देवय जैसे प्रख्यात विद्वानों का संरक्षण प्राप्त है। विभिन्न कार्यशालाओं, प्रकाशनों और शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से, अकादमी भावी पीढ़ि के लिए राजस्थानी भाषा और संस्कृति को जीवित रखने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत है। यह संस्थान राजस्थानी भाषा को एक वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में सतत प्रयासरत है। 7 दिवसीय इस कार्यशाला में डॉ. दीप्ति खेड़ा और विशेष कोठारी के नेतृत्व में यहाँ आये विभिन्न विषयों के विद्वानों ने राजस्थानी भाषा से जुड़ी लोकसंस्कृति, साहित्य, कला, परम्पराओं और इतिहास पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सभी प्रतिभागियों के साथ फोटो खिंचवाया और उन्हें भविष्य के लिये शुभकामनाएँ प्रदान करते हुए अकादमी के प्रयासों के लिये सराहना की।
पूरे विश्व में फैल रही हमारी मायड़ भाषा की मीठास – डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़
