उदयपुर की झरना ने पार किया इंग्लिश चैनल

पांच सदस्यीय रिले टीम के साथ पार किया 33 किमी का जोखिम भरा समुद्री सफर
इंटरनेशनल ओपन वाटर स्वीमर झरना ने हाई टाइड और खराब मौसम को दी हौसलों से मात
खराब स्वास्थ्य के बावजूद जज्बे व जुनून से पाई सफलता
दुनियाभर से बधाइयां का लगा तांता

उदयपुर। झीलों की नगरी की अंतर्राष्ट्रीय ओपन वाटर स्वीमर झरना कुमावत ने अपनी पांच सदस्यीय रिले टीम के साथ इंग्लिश चैनल पार कर एक बार फिर विश्व में उदयपुर का नाम रोशन किया है। झरना ने हाई टाइड व खराब मौसम के बावजूद खतरनाक समुद्री रास्ते को पार कर अपने जज्बे व जुनून से सफलता पाई।
इंग्लैंड में नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए कॉन्ट्रेक्ट ऑफिसर के पद पर कार्यरत झरना ने बताया कि 3 अगस्त को उन्होंने रिले टीम के साथ चैनल पार करने में सफलता हासिल की। उन्हें चैनल प्रशासन की ओर से पहले 29 जुलाई का शेड्यूल मिला था लेकिन लगातार खराब होते मौसम की वजह से इंतजार करना पड़ा। इसके बाद 3 अगस्त की तारीख तय हुई। इंग्लैंड के डोवर बीच से फ्रांस तक का 33 किमी का समुद्री रास्ता बेहद जोखिम भरा था। उनकी रिले टीम ने 14 घंटे 40 मिनट में डोवर से फ्रांस तक की दूरी सफलतापूर्वक पार की। इस रिले में ब्राजील, मोजाम्बिक, कैन्या, पेरू, इडोनेशिया के तैराक उनके साथ थे। डोवर बीच से शुरूआत करने के बाद प्रत्येक तैराक को एक बार में सवा घंटे तक स्वीमिंग करनी थी। तैराकी के क्रम में झरना को दो बार तैराकी करनी पड़ी जिसमें पहली बार शाम को 7 बजे व दूसरी बार अगले दिन सुबह की 2 बजे का टाइम स्लॉट मिला।


झरना ने पहली बार में मौसम थोड़ा सा अनुकूल होने पर 1 घटे 15 मिनट में साढ़े चार किमी की दूरी तय की। उसके बाद वे बोट पर वापस आ गईं। पांचवें नंबर की स्विमर होने से उनका दुबारा नंबर 7 घंटे बाद फिर आया तब तक मौसम खराब हो चुका था। समंदर की ऊंची लहरों ने झरना की बहुत कड़ी परीक्षा ली। वे आगे बढऩे की कोशिश करतीं तो लहरें फिर से पीछे फेंक देतीं। पानी बहुत ही ज्यादा ठंडा था। खारा पानी बार-बार मुंह में जाने पर उल्टी आ रही थी व रात के अंधेरे में कुछ भी देख पाना मुश्किल हो रहा था। लहरों से लगातार जद्दोजहद व कशमकश का वो 1 घंटा 15 मिनट का समय बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा। ऊंची उठती लहरों पर लगातार तैराकी करते हुए आखिकार झरना ने अपना सफर तय कर ही लिया मगर तब तक सी सिकनेस व उल्टियों की वजह से थक कर चूर हो गईं।
कोच ने बताया कि उस समय टाइड 5 प्वाइंट 6 नोटिकल माइल का था जो कि स्वीमिंग की भाषा में क्लब फाइव कहा जाता है। जो इस विंड को तैर कर पार कर सकता है वह चैंपियन फौलादी हौसलों वाला स्वीमर कहा जाता है। झरना बताती हैं कि उनके दूसरे प्रयास के बाद समंदर भी अपेक्षाकृत शांत हो गया और बाद के तैराकों को सफलता वाले अंतिम छोर तक पहुंचने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई।


तीन साल की कड़ी मेहनत लाई रंग :
इस साल की रिले रेस में झरना एकमात्र भारतीय अंतर्राष्ट्रीय ओपन वाटर स्विमर हैं। उनकी मां समाजसेविका सुषमा कुमावत ने बताया कि इंग्लिश चैनल फेडरेशन की ओर से रिले टीम के लिए झरना का सलेक्शन होना उनके लिए बहुत बड़ी खुशी का मौका था। उससे बड़ी खुशी इंग्लिश चैनल पार करने पर मिली। झरना के लिए देश-विदेश से बधाइयों का ताता लगा है। झरना पिछले तीन साल से ओपन वॉटर स्विमिंग कर रही हैं। पिछले 12 साल से इंग्लैंड में एसेक्स में रह रही हैं व उसने पिछले साल ही लंदन स्विमिंग मैराथन में भी शिरकत की थी।


रिले रेस का मकसद जरूरतमंदों की मदद करना है :
झरना ने बताया कि इंग्लिश चैनल रिले का आयोजन स्विमटायका नामक इंग्लिश चैरिटी संस्थान ने किया। उन्होंने स्विमटायका पेरू टीम के लिए तैराकी की। यह रिले चैरिटी के लिए फंड इक_ा करने तथा जागरूकता के लिए आयोजित की गई। उदयपुर से झरना का गहरा जुड़ाव है व यहीं से उन्होंने तैराकी संघ के सान्निध्य में प्रशिक्षण लिया।
टाइप वन डायबिटीज से पीडि़त हैं झरना :
झरना बाताती हैं कि वह टाइप वन डायबिटिक हैं तथा उन्हें दिन में कई बार चिकित्सा व जांच की जरूरत पड़ती है। इंग्लिश चैनल स्वीमिंग के दौरान भी उन्हें लगातार इंजेक्शन लेने पड़े। उनकी बॉडी में ग्लूकोज मॉनिटर फिक्स है। वह बातती हैं कि हर बार खुद के सामने बड़ा लक्ष्य चुनौती के रूप में पेश करती हूं और हौसले व कड़ी मेहनत के दम पर जीत हासिल करती हूं। वे जरूरतमंदों को हर संभव मदद पहुंचाना चाहती हैं।
समुद्र में डूबने वालों को बचाना है लक्ष्य :
स्विमटायका नामक इंग्लिश चैरिटी संस्थान संस्थान दक्षिण एशिया, अमेरिका, इंडोनेशिया में समुद्री तटों के बच्चों व स्विमिंग का मुफ्त प्रशिक्षण देता है। समुद्री तटीय क्षेत्रों में हर साल हजारों लोगों की डूबने से असामयिक मौत हो जाती है। स्विमटायका इन देशों में स्वयं सेवकों को भेज तैराकी व बचाव के तरीके सिखाती है ताकि लोग जागरूक हो सकें।

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