उदयपुर। उदयपुर के मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नवागंतुक विद्यार्थियों का वेदारंभ कार्यक्रम का शुभारंभ जिला कलक्टर ताराचंद मीणा के मुख्यातिथ्य में हुआ।
कलक्टर ने आराध्य भगवान धन्वंतरि के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर सभी नव प्रवेशित विद्यार्थियों को गौरवशाली महाविद्यालय में चयन होने पर बधाई दी और कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की आज व्यापक रूप में वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ी है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति जन-जन की चिकित्सा पद्धति है, आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा पद्धति जिसके द्वारा शरीर के विजातीय तत्वों का निष्कासन होता है आयुर्वेद की विशेष विधा है। आने वाला समय आयुर्वेद का है। इसलिए विद्यार्थियों को श्रेष्ठ चिकित्सक बनने का संकल्प लेना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. गायत्री तिवारी ने विद्यार्थियों को जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के संसाधनों एवं तरीकों पर मोटिवेशनल उद्बोधन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का लक्ष्य खजूर के पेड़ की तरह सीधा एवं एक लक्ष्य होना चाहिए। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. महेश दीक्षित ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि विद्यार्थी को समय परिश्रम के साथ-साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए एवं उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों का आज प्रवेश हुआ है उन विद्यार्थियों में आने वाले समय के श्रेष्ठ शिक्षक श्रेष्ठ चिकित्सक श्रेष्ठ नागरिक सिद्ध होंगे। उन्होंने महाविद्यालय के सुश्रुत सभागार में यूआईटी द्वारा करवाए गए सौन्दर्यीकरण के लिए जिला कलेक्टर का आभार जताया। संयोजन डॉ किशोरीलाल शर्मा व डॉ कमलेश कुमार शर्मा ने किया। संचालन डॉ दीक्षा खतुरिया ने किया।
इस अवसर पर कलक्टर मीणा ने आयुर्वेद महाविद्यालय एवं वहां संचालित औषधालय का भी निरीक्षण किया। उन्होंने महाविद्यालय और औषधालय के विभिन्न प्रभागों का निरीक्षण कर यहां दी जा रही सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार आयुर्वेदिक औषधालयों में आने वाले रोगियों को तमाम प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जावें। उन्होंने औषधालयों के आधुनिकीकरण के लिए भी प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।