उदयपुर की ताज अरावली रिसोर्ट को पट्टा देने के मामले में एसीबी में मामला दर्ज

उदयपुर. शहर के कोडियात इलाके में मुंबई के मैसर्स ईशान क्लब एण्ड रिसोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के ताज अरावली रिसोर्ट के लिए अमरजोक नदी पेटे की जमीन पर कब्जा कर बनाए 40 फीट रास्ते को आधार मान जमीन का नियमन करने वाली यूआईटी के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टचार निरोधक ब्यूरो ने परिवाद दर्ज जांच प्रारंभ कर दी है.

एसीबी द्वारा दर्ज किए गए परिवाद में यूआईटी अधिकारियों की भूमिका को लेकर विस्तृत जांच होगी कि किस अधिकारी ने किस स्तर पर फाइल को चलाया और किन नियम, कानूनों का उल्लंघन होने पर भी फाइल नहीं रोक इस जमीन का नियमन कर दिया गया: नियमन करने के बाद यूआईटी ने जमीन के एकीकरण का प्रस्ताव भी राज्य सरकार के नगरीय विकास विभाग को भेज दिया था. मैसर्स ईशान क्लब के मुंबई में अंधेरी वेस्ट, लोखंडवाला काम्प्लेक्स निवासी निदेशक राजीव आनंद और उनकी पत्नी चारू आनंद ने नियमन के लिए यूआईटी को बार बार आवेदन किए थे. नियमन करने के आदेश पर आपत्तियां होने के बाद यूआईटी ने हो चुकी 90-ए की कार्रवाई रिपोर्ट तथा रिसोर्ट की पूर्व में नियमित जमीन, दोनों को संयुक्त करने की कार्रवाई पर नगरीय विकास विभाग के संयुक्त शासन सचिव प्रथम को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांग लिया था. ताज अरावली रिसोर्ट ने कोडियात के बूझड़ा गांव की आराजी संख्या 158/1, 159, 2311/160, 161 कुल किता 04 रकबा 2.0700 हैक्टेयर भूमि के नियमन की पहली बार फाइल लगाई तो सचिव ने 11 अगस्त 2016 को सूचना पत्र भेजकर इस आराजी में रिसोर्ट तक पहुंचने का मार्ग उपलब्ध नहीं होने की बात कहकर आवेदन खारिज कर दिया था. बाद में रिसोर्ट प्रबंधन ने संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा की अदालत में एक वाद दायर करवाकर सेटलमेंट से पहले इस जमीन पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्शाए पुराने रास्ते का वाद जीता और इसे राजस्व रिकॉर्ड में अंकन करवाकर जमीन का नियमन कराने की दूसरी बार फाइल लगाई. दूसरी बार आवेदन पर 14 जुलाई 2017 को पूर्व सचिव रामनिवास मेहता ने फिर से फाइल खारिज कर दी. मेहता ने अपने आदेश में कहा कि खसरा संख्या 106, 108, 198 पिछोला झील को भरने वाली बूझड़ा की अमरजोक नदी के सहारे बताकर रास्ता उपलब्ध होने का आवेदन में रिसोर्ट प्रबंधन ने उल्लेख किया है पर राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 16 और उच्च न्यायालय की जनहित याचिका अब्दुल रहमान बनाम राजस्थान राज्य के पारित निर्णय के अनुसार नदी, नालों में अथवा उनके बहाव क्षेत्र में किसी प्रकार का अवरोध पैदा नहीं किया जा सकता है. जब तक नदी नहीं बहती है तो भूमि का उपयोग लोग आने-जाने का भी करते हैं.

जल संसाधन विभाग से यूआईटी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा तो विभाग ने 5 फरवरी 2016 को यूआईटी को दी रिपोर्ट में बताया कि आराजी नंबर 106, 198, 199 राजस्व रिकार्ड के अनुसार गैर मुमकिन नदी होकर नदी का भाग है. नदी का बहाव नहीं होने पर ग्रामीण इससे आते-जाते हैं. हाईकोर्ट की जनहित याचिका आदेश के तहत नदी के बहाव क्षेत्र को बाधित नहीं किया जा सकता है. जबकि राजस्थान नगरीय क्षेत्र (कृषि भूमि का गैर-कृषिक प्रयोजन के लिए) आयोग की अनुज्ञा और आवंटन नियम 2002, नियम 3 के उप नियम 12 के अनुसार भी यह प्रतिबंधित है. इसलिए खसरा नंबर 106 अमरजोक नदी का होने से इसके पेटे में से विधिक, तकनीकी और सुरक्षा की दृष्टि से बारह मासी रास्ता देना संभव नहीं है. नदी के ऊपर बने पुल के पश्चिम में रिसोर्ट प्रबंधन अपनी जमीन तक आने जाने के लिए कम से कम 40 फीट चौड़ाई में पहुंच मार्ग नदी के खाते से बाहर की निरापद भूमि से प्राप्त कर फिर से आवेदन कर प्लान पेश करे. इस टिप्पणी को लिखकर मेहता ने दूसरी बार लगा आवेदन भी खारिज कर दिया था.

दो बार फाइलें निरस्त होने के बावजूद आवेदक ने तीसरी बार आवेदन किया तो यूआईटी ने 9 मई 2019 को इस जमीन की 90-ए की कार्रवाई कर दी. इसके लिए यूआईटी ने लेआउट प्लान समिति की 12 अप्रेल 2019 को हुई बैठक में रख सर्वसम्मति से नियमन करने का निर्णय कर लिया था. सबसे खास बात यह कि तीसरी बार आवेदन होने तक पूर्व सचिव मेहता का जयपुर स्थानांतरण हो चुका था लेकिन तीसरी बार आवेदन पर चली फाइल के दौरान इन सभी तथ्यों को यूआईटी ने नकार दिया कि नियमित की जा रही नदी. पेटे पर कब्जे की है और दो बार पहले यूआईटी आवेदन खारिज कर चुकी है.

नदी की जमीन पर कब्जा कर उसे 40 फीट मार्ग बनाकर नियमन करवा लेने पर युद्धवीरसिंह शक्तावत ने आपत्ति कर नियमन खारिज करने का यूआईटी को नोटिस दिया: यह आपत्ति जिला कलक्टर कार्यालय को भी की गई. यूआईटी सचिव ने यूआईटी चेयरमैन और जिला कलक्टर आनंदी को 14 जून को रिपोर्ट भेजी और फिर रिसोर्ट की पूर्व में नियमित भूमि को नई नियमित की गई भूमि के साथ संयुक्त करने की कार्रवाई के लिए नगरीय विकास विभाग को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांग लिया था.

रिसोर्ट प्रबंधन की जिस जमीन का यूआईटी ने नियमन किया था, उसके पास अपनी सरकारी जमीन को भी यूआईटी नहीं बचा सकी थी. रिसोर्ट प्रबंधन ने यूआईटी की सरकारी जमीन पर अवैध बैंक्विट गार्डन बनाकर उसे शादी समारोह तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बुकिंग पर देकर मोटी कमाई भी शुरू कर दी थी. यूआईटी की इस खसरा नंबर 151 वाली जमीन का न तो नगरीय विकास विभाग ने रिसोर्ट प्रबंधन को आवंटित किया और न ही रिसोर्ट प्रबंधन ने उसे किसी से या सरकार से नीलामी आदि में खरीदा. इसका विवाद भी उठा तो यूआईटी ने बाद में कार्रवाई कर अपनी जमीन कब्जे से छुड़ाने की कार्रवाई की थी.

Related posts:

City of Lakes all set to groove at Hindustan Zinc’s Vedanta Udaipur World Music Festival 2022

सड़क सुरक्षा, जीवन रक्षा अभियान के तहत सीपीआर फर्स्ट एड प्रशिक्षण कार्यशाला एवं सम्मान समारोह आयोजित

पत्रकारों के भूखंड आवंटन के लिए यूआईटी द्वारा ई-लॉटरी प्रक्रिया सम्पन्न

आरबीआई ने कैजाद भरूचा को डिप्यूटी मैनेजिंग डायरेक्टर और भावेश झावेरी को एचडीएफसी बैंक के एग्जीक्यूटि...

स्टिंग ने अक्षय कुमार के साथ नए अभियान की शुरुआत की

हिंदुस्तान जिंक द्वारा विद्यार्थियों को मास्क तथा पंचायत, विद्यालयों और आगंनबाड़ी केंद्रों पर कोविड ...

ट्रेण्ड्स ने ब्राण्ड न्यू विंटर वियर लाइन कलेक्शन लांच किया

बिटिया के सूरज पूजन को महोत्सव बना कर दिया बेटी बचाओ का सन्देश

मंत्र साधना से पराशक्तियां सिद्ध होती हैं : मुनि सुरेशकुमार

HDFC Bank launches Edtech platform for students planning to study abroad at Global Fintech Fest in M...

Noble cause of #RunForZeroHunger reaches #ZincCity for the upcoming edition of Vedanta Pink City Hal...

HDFC Bank Aims to be the Preferred Banking Partner for Bharat

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *