उदयपुर। विश्व किडनी दिवस पर पारस जे. के. हॉस्पिटल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. बकुल गुप्ता ने बताया कि किडनी खराब होने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) किडनी फेल होने का मेडिकल नाम है। हमारा शरीर मशीन की तरह काम करता है जिसमें हर अंग एक दूसरे से तालमेल बिठाकर काम करता है। किसी तरह की लापरवाही बरतने पर कोई अंग सिस्टम से बाहर चला जाता है जिससे व्यक्ति बीमार महसूस करने लगता है। हर वर्ष 12 मार्च को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है।
डॉ. गुप्ता बताया कि भारत में किडनी खराब होने का प्रमुख कारण डायबिटीज व हायपरटेंशन है। इन्टरनेशनल सोसाइटी ऑफ किडनी डिजीज के अनुसार विश्व में 17 प्रतिशत लोगों को किडनी संबधित रोग है। भारत में एक अनुमान के अनुसार 1 मिलीयन जनसंख्या में 800 लोगों को किडनी रोग है। पूरी दुनिया में 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से पीडि़त हैं। भारत में सीकेडी के पीडि़त की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। यहां हर वर्ष 2 लाख लोग इसकी चपेट में आते हैं। इसका प्रमुख कारण दिनचर्या व खानपान है।
उन्होंने बताया कि सीकेडी रोग की पहचान समय पर हो जाने पर गुर्दे को बचाया जा सकता है। सीकेडी के लक्षणों में लगातार उल्टी आना, भूख नहीं लगना, थकान और कमजोरी महसूस होना, पेशाब की मात्रा कम होना, खुजली की समस्या होना, नींद नहीं आना और मांसपेशियों में खिंचाव होना प्रमुख है। किडनी फेल होना (सीकेडी) वास्तव में दुनिया भर में मौत का आठवां बड़ा कारण है।
डॉ. गुप्ता ने बताया की नियमित जांच कराने से इस रोग का शुरूआत में ही पता चल जाता है और दवा से इसे ठीक करना संभव है। यदि समय रहते इसके बारे में पता न चले तो खून को साफ करने के लिए डायलिसिस या किडनी बदलवानी पड़ सकती है जो एक लंबी, खर्चीली और कष्टकारी प्रक्रिया है।