108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का तीसरा दिन
उदयपुर। अब समय बदल चुका है। गायत्री और यज्ञ घर-घर और जन-जन के लिए सुलभ है। पहले यह पण्डों और पुजारियों तक ही सीमित हुआ करता था। अब तो नारी शक्ति भी यज्ञ करा रही है और हमारे भाई भी करा रहे हैं। गायत्री शक्तिपीठ का उद्देश्य ही यही है कि हर व्यक्ति गायत्रीमयी और यज्ञमयी बने। ये विचार डॉ. प्रणव पंड्या ने अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ, सर्वऋतु विलास परिवार की ओर फतह स्कूल ग्राउण्ड में आयोजित हो रहे विराट 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन वीडियो संदेश के माध्यम से व्यक्त किए। डॉ. पंड्या ने मां गायत्री और यज्ञ का महत्व बताते हुए कहा कि गायत्री यानि सद्ज्ञान और यज्ञ का मतलब सद्कर्म से जुड़ा है। बिना सद्ज्ञान और सद्कर्म के कोई भी ब्राह्मण नहीं बन सकता। जीवन में श्रेष्ठ बनने के लिए केवल भारतीय संस्कृति ही आधार है।
11,000 दीपकों से भव्य दीप यज्ञ :
शैलबाला पंड्या ने श्रद्धालुओं-साधकों के साथ 11,000 दीपक एक साथ जलाकर भव्य दीप यज्ञ संपन्न कराया। दीप यज्ञ का नजारा इतना अद्भुत और अलौकिक था कि उपस्थित हर साधक-श्रद्धालु गायत्रीमयी, यज्ञमयी और दीपमयी हो गया। इसके साथ ही पुंसवन संस्कार भी संपन्न हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय कमेटी के डॉ. आलोक व्यास, के. सी. व्यास, वित्त प्रभारी ललित पानेरी, प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली आदि उपस्थित थे।
इससे पूर्व प्रात: 6 बजे ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग से 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के आयोजन प्रारंभ हुए। इसके बाद प्रात: 8 बजे से गायत्री महायज्ञ प्रारंभ हुआ जो दो पारियों में चला। हर पारी में 24000 आहुतियां दी गईं। आहुतियों में मुख्य रूप से गायत्री, रुद्र, सूर्य, महाकाल, नारी शक्ति संवर्धन, राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रधर्म, सैन्य शक्ति संवर्धन, महामृत्युंजय के साथ ही सभी के स्वास्थ्य एवं निरोगी रहने के लिए जनकल्याण की आहुतियां दी गईं। इस तरह दो लघु यज्ञ अनुष्ठान संपन्न हुए। आयोजन में 25 यज्ञोपवीत संस्कार एवं गुरु दीक्षा, 15 विद्यारंभ संस्कार, पांच अन्नप्राशन संस्कार एवं 6 नामकरण संस्कार संपन्न हुए।
दोपहर को कार्यकर्ता गोष्ठी आओ संस्कार गढ़ें का आयोजन हुआ जिसमें सैंकड़ों बहिनों को विभिन्न संस्कारों से दीक्षित किया। इस दौरान निवृत्तिकुमारी मेवाड़ भी यज्ञ पांडाल पहुंची जिनका दुर्गा जोशी ने तिलक लगाकर, अंजू श्रीमाली ने ऊपरना ओढ़ाकर और आरुषि श्रीमाली ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि ने मां गायत्री और यज्ञ को लेकर गुरुदेव का संदेश घर-घर में पहुंचे इसके लिए यज्ञ पंडाल में गुरुदेव के साहित्य की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में गुरुदेव का साहित्य मात्र आधी कीमत पर उपलब्ध हो रहा है।
हेमंत श्रीमाली ने बताया कि रविवार 6 नवम्बर को प्रात: 6 बजे ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग, प्रात: 8 बजे गुरु दीक्षा डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं विभिन्न संस्कार तथा गायत्री महायज्ञ पूर्णाहूति के बाद दोपहर 1 बजे टोली की विदाई होगी।