उदयपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा उदयपुर द्वारा फतह स्कूल में 3 से 6 नवम्बर तक आयोजित होने वाले 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ को लेकर रविवार को सर्व समाज की बैठक आयोजित की गई।
के.सी. व्यास ने 3 से 6 नवंबर तक होने वाले गायत्री महायज्ञ की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 24 वर्षों के बाद उदयपुर शहर में पुन: 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज सद्बुद्धि व सद्विवेक के साथ सूक्ष्म वातावरण के परिष्कार की बड़ी आवश्यकता है। व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को कम कर ही संतोषजनक जीवन जी सकता है। यज्ञों के आयोजन से अच्छे विचारों की प्राप्ति होती है। अच्छे विचार अच्छे कर्म करने को प्रेरित करते हैं। गायत्री की साधना पुण्यों की रक्षा करने वाली है। गुरुदेव के अनुसार मानव जीवन भगवान का सबसे बड़ा उपहार है। इस हेतु सद्ज्ञान एवं सद्कर्म परम आवश्यक है जो गायत्री साधना से सर्व सुलभ है।
इस दौरान व्यास ने देवपूजन हेतु जोड़ों के रजिस्टे्रशन एवं कार्ड बनाने की तैयारी की जानकारी दी और बताया कि कलश यात्रा में सद्ग्रंथ हेतु भी लिस्ट बनाई जा रही है। इच्छुक अपना नाम भिजवा सकते हैं। इस आयोजन के दौरान 3000-4000 महिलाओं का पुंस्खान संस्कार किया जाना है। व्यास ने सभी से अपने-अपने समाज के अधिक से अधिक बहिनों, पुरुषों को जोडऩे का आग्रह किया।
बैठक में बालमुकुंद मंडोवरा (माहेश्वरी समाज), राकेश जोशी (गुर्जर गौड़ समाज), गणेश नागदा (नागदा ब्राह्मण समाज) ने अपने समाजजनों को जोडऩे व कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग का आश्वास दिया।
गायत्री शक्तिपीठ के संरक्षक डॉ. आलोक व्यास ने यज्ञ में विभिन्न वनोषधियों के प्रयोग से नष्ट होने वाले विभिन्न रोगों पर हो रहे अनुसंधान पर प्रकाश डाला। विप्र फाउंडेशन के अध्यक्ष के. के. शर्मा ने गायत्री मंत्र को सर्वोतम मंत्र बताते हुए गायत्री साधना के लाभ से सभी को अवगत कराया। उन्होंने गरीब प्रतिभावान बालकों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने हेतु आत्मानंद सरस्वती कॉलेज में प्रवेश दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने परशुरामजी की मूर्ति स्थापना के बारे में भी जानकारी दी जिसे पांचवें धाम से जाना जायेगा। इस अवसर पर के. के. शर्मा ने अपनी ओर से 11 हजार रूपये देने की घोषणा की। बालमुकुंद मंडोवर ने महेश भवन में उपलब्ध कमरों को गायत्री यज्ञ के दौरान उपलब्ध करवाने की घोषणा की।
मीडिया प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि प्रारंभ में श्रीमती फतह कुंवर सनाढ्य एवं श्रीमती शारदा सनाढ्य ने गुरुभक्तिपूर्ण संगीत प्रस्तुत किया। ललित पानेरी, के. सी. व्यास एवं ओमप्रकाश पारीक ने सभी समाज के पदाधिकारियों का स्वागत किया। रमाकांत आमेटा ने स्वागत भाषण दिया। संचालन अर्जुन सनाढ्य ने किया।