नारायण सेवा संस्थान का 42वाँ निशुल्क सामूहिक विवाह

51 दिव्यांग जोड़ों की हल्दी- मेहंदी रस्में हुई, डांस ने महफ़िल सजाई
उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत)। नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में शनिवार को 42 वें दो दिवसीय निःशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह लियों का गुड़ा (बड़ी) स्थित संस्थान के सेवा महातीर्थ परिसर के हाड़ा सभागार में शुभ मुहूर्त में प्रातः 11:15 बजे संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ सह संस्थापिका कमला देवी अग्रवाल व विशिष्ट अतिथि सर्वश्री अंजू क्वातरा, सुरेश कालरा दिल्ली, हरीश कुमार सूरत, ज्ञानदेव आहूजा अलवर, पुष्पा देवी, नरेन्द्र पाल, राजेन्द्र राठौड़, गौतम, वल्लभ भाई धनानी एवं बृजबाला दिल्ली के सानिध्य में आरंभ हुआ। संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल व निदेशक वंदना अग्रवाल ने प्रथम पूज्य गणपति का पूजन कर उन्हें निमंत्रित किया और सफलता के आशीर्वाद की अपेक्षा की।


गणपति पूजन के पश्चात निदेशक वंदना अग्रवाल के निर्देशन में सभी 51 जोड़ों की मेहंदी व हल्दी की रस्म पारंपरिक गीत व नृत्य के बीच सम्पन्न हुई। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी तादाद में आए अतिथियों ने भी ठुमके लगाकर अपनी खुशियों का इजहार किया। दोपहर में जोड़ों के धर्म-माता-पिता (कन्या दानी) व परिजनों का सम्मान समारोह संपन्न हुआ। अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने स्वागत करते हुए कहा कि दिव्यांग एवं कमजोर वर्ग को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें खुशी और समानता के हक के साथ जीने के लिए वातावरण निर्माण में संस्थान भरसक प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 41 विवाहों में 2,357 जोड़े अपनी गृहस्थी बसाकर खुशहाल हैं। उनमें से कुछ इस समारोह में अपने बच्चों को लेकर नव दंपत्तियों के साथ खुशियां साझा करने भी आए हैं। इस दौरान अग्रवाल ने बीते छः माही संस्थान सेवाओं का ब्यौरा पेश किया और आगामी वर्ष 2025 का संकल्प पत्र भी प्रस्तुत किया।


संस्थापक मानव ने दानवीरों के सहयोग व समर्पण के लिए उनका आभार जताया और विवाह बंधन में बंधने वाले युगलों को समाज की अहम व्यवस्था गृहस्थ जीवन की अग्रिम शुभकामनाएं दी।

दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह के रात्रिकालीन दूसरे सत्र का नजारा अद्भुत था। खुशनुमा माहौल ऐसा था कि हर कोई इन पलों को जीने को लालायित हो, महिला संगीत का वातावरण खुशियां ही खुशियां से भरा था। खिलखिलाहट की छनक मनमोहक सुगंध बिखेर रही थी। दिव्यांगता के बावजूद किसी भी जोड़े के चेहरे पर न मायूसी थी और ना ही गम की परछाई। हर आंखों में उम्मीदों की सुनहरी तरुणाई थी।


संगीत समारोह में वर-वधुओं के परिजन, कन्यादानी, अतिथियों व संस्थान साधिकाओं ने सजे -धजे  मंच पर नृत्य और गीतों की डीजे की धुन पर प्रस्तुतियां दी। जिनमें राजस्थान की घूमर, गुजरात का गरबा, देश भक्ति व शिव पार्वती विवाह प्रमुख रूप से आकर्षण का केंद्र रहा। दूल्हे- दुल्हने भी अपने आपको थिरकने से रोक न पाई।
संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया की रविवार प्रातः 11 बजे तोरण व वरमाला की रस्म अदायगी के साथ सभी 51 जोड़ों का पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न होगा।

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