54 कुण्डीय मां बगलामुखी आराधना महायज्ञ की चर्चा देशभर के आचार्यों में
उदयपुर। बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास की गूंज पूरे देश में हो रही है। कारण है यहां चल रहा 54 कुण्डीय मां बगलामुखी आराधना महायज्ञ। दूर-दूर से आचार्य, साधक इस महायज्ञ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। इस बीच, उदयपुर सहित संभाग के विभिन्न जिलों से भी श्रद्धालुओं की संख्या नित्य बढ़ रही है। सांध्यवेला में होने वाली महाआरती के बाद रात तक परिक्रमा का दौर चल रहा है। श्रद्धालु रात में भी महायज्ञ शाला की परिक्रमा करने पहुंच रहे हैं।
मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि दरअसल कोलाचार्य माई बाबा वर्ष में आने वाली चारों नवरात्रि मां कामाख्या की शरण में बिताते हैं। देश भर से जुड़े आचार्य, साधक, सनातन पद्धतियों के शिक्षार्थी, जिज्ञासु कोलाचार्य का आशीर्वाद प्राप्त करने वहीं पहुंचते हैं। लेकिन, गत 30 वर्षों में पहली बार ऐसा अवसर है जब कोलाचार्य माई बाबा कामाख्या में नहीं हैं और 54 कुण्डीय मां बगलामुखी आराधना महायज्ञ विश्व में ही पहली बार हो रहा है और उदयपुर को इसका सौभाग्य मिला है। ऐसे में कई आचार्य, शिक्षार्थी, साधक कोलाचार्य का आशीर्वाद लेने और इस महायज्ञ का लाभ प्राप्त करने उदयपुर आ रहे हैं। कुछ साधु-संन्यासी तो ऐसे हैं जिन्होंने महायज्ञ शाला से कुछ दूरी पर ही अपनी धूणी रमा ली है और वहीं पर अपनी साधना में लीन नजर आ रहे हैं। इनमें कोतवाल महंत प्रद्युमन भारती मौनी बाबा भी शामिल हैं। महंत प्रद्युमन भारती कुंभ के कोतवाल हैं।
जोशी ने बताया कि महायज्ञ शाला की परिक्रमा के लिए शुक्रवार को भाजपा के शहर जिलाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, अर्चना शर्मा, हिमांशु बंसल, भानुप्रताप सिंह कृष्णावत, एस्ट्रो प्रभु प्रजापत आदि भी पहुंचे। उन्होंने निरंजनी अखाड़ा के मढ़ी मन मुकुंद दिगंबर खुशाल भारती व कोलाचार्य माई बाबा का आशीर्वाद लिया। नित्य बड़ी संख्या में श्रद्धालु खुशाल भारती महाराज की संध्या आरती के बाद आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। संध्या आरती निरंजनी अखाड़े की परंपरा से हो रही है। सभी साधु अखाड़ा परंपरानुसार आरती के पश्चात धर्म ध्वज, देव पीठ, धूणी को प्रणाम कर गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सनातनी चातुर्मास में रोटरी क्लब ने अपना त्रैमासिक परिशिष्ट मनोभिव्यक्ति का विमोचन खुशाल भारती महाराज से कराया। इस अवसर पर रोटरी के प्रांत गवर्नर निर्मल कुणावत सहित दीपक सुखाड़िया, महेश चाष्टा, रघुनंदन वशिष्ठ आदि उपस्थित थे।