कृषि क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं

पाताल से आकाश तक ही नहीं वरन अंतरिक्ष तक कृषि का साम्राज्यः शर्मा

कृषि शिक्षा मेले में कृषि संकाय छात्र-छात्राओं की रेलमपेल
उदयपुर।
पाताल से आकाश तक ही नहीं बल्कि इससे आगे अंतरिक्ष तक कृषि का साम्राज्य है। कृषि वैज्ञानिक दिन-रात इस सत्य को मूर्त रूप देने में जुटे है। युवा और कृषि भारत के लिए चुनौती नहीं बल्कि एक सुअवसर है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि, कार्बनिक कृषि और व्यापारिक कृषि कुछ ऐसे कृषि के चुनिंदा प्रकार है जो युवाओं को खूब आकर्षित कर रहे है। युवा इस क्षेत्र में उद्यमशीलता और नवाचार के द्वारा आमूलचूल परिवर्तन ला रहे हैं। यदि किसान पढ़े लिखे हो तो मौसम, मिट्टी, जलवायु, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई संबंधी सटीक जानकारी रखते हुए भरपुर पैसा कमा सकते है। यानी कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ रोजगार की कोई कमी नहीं है और नवागंतुक बच्चों को दसवीं-बारहवीं में ही कृषि विषय लेकर अपनी और अपने देश की तरक्की का रास्ता अपनाना चाहिए। यह बात शनिवार को यहां शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू के पूर्व कुलपति डाॅ. जे.पी. शर्मा ने राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में एक दिवसीय कृषि शिक्षा मेले में आए कृषि छात्रों को संबोधित कर रहे थे। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधन में राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत् आयोजित इस मेले में 20 स्कूलों के छात्र-छात्राओं के अलावा उनके प्राचार्य व स्टाफ ने भी भाग लिया ताकि उच्च माध्यमिक स्तर पर विषय चयन में विधार्थियों का बेहतर मार्गदर्शन कर उन्हें कृषि जैसे रोजगारपरक विषय से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि छात्र आई.आई.टी., आई.आई.एम., सिविल सर्विसेज, आई.सी.ए.आर., एस.ए.यू., राज्य सरकार एवं बैंकों आदि में अपना भाग्य आजमा सकते है।


उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल हो या आर्थिक मंदी का दौर भारत कृषि आधरित देश होने की वजह से कभी पिछड़ा नहीं बल्कि इन संकट कालीन स्थितियोें में जहाँ तकनीकी आधरित देशों में जी.डी.पी. माइनस में चली गई वहीं भारत ने कृषि में 3.4 प्रतिशत वृद्धि की।
उन्होंने कहा कि भारत की 50 फीसदी आबादी कृषि से ही जीविकोपार्जन करती है। कृषि को फिर से एक नई क्रांति की जरूरत है और देश के युवाओं द्वारा कृषि क्रांति का आधार भी तैयार हो चुका है। आज का पढ़ा लिखा युवा फूड प्रोसेसिंग, वेल्यू एडिशन, टेक्नोलाॅजी और मार्केटिंग को भली-भांति जानता है। गांव में ही प्रोसेसिंग हो, पैकेजिंग हो और वहीं से सीधे बाजार तक सामान पहुंचे तो युवाओं को खेती-किसानी से कोई परहेज नहीं होगा। आजकल तो कई
युवा किसान ऐसे हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय बाजार में लिंक स्थापित है और वे अच्छा खासा मुनाफा कमा रहें हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवा जो कि आई.आई.टी., आई.आई.एम. आदि के छात्र भी कृषि आधरित उद्योगो की ओर बढ़ रहे है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. अजित कुमार कर्नाटक ने कहा कि कृषि में पढ़े लिखे युवाओं के आने से युवा आत्मनिर्भर बनेंगे, युवाओं के आत्मनिर्भर होने से देश आत्मनिर्भर होगा और अंततः राष्ट्र का कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि फल-फूलों की खेती, मशरूम की खेती, पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन, मिल्क प्राॅडक्ट तैयार करना, ग्राफ्टेड फलों के पौधें तैयार करना, खाद-बीज की दुकान लगाना, कुक्कट पालन, मधुमक्खी पालन, सजावटी पौधों की नर्सरी खोलना, खाद्य प्रसंस्करण और आंवला, तिलहन, दहलन की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर शिक्षित युवा अपना, परिवार का और देश का भविष्य संवार सकते है। यही नहीं कई लोगों को रोजगार भी मुहैया कर सकते है।


कृषि क्षेत्र में अनुसंधान भी बहुत जरूरी है। युवाओं को कृषि से जोड़ने के लिए देशभर में वर्तमान में 73 कृषि विश्वविद्यालय प्रयासरत है जहाँ कृषि की पढ़ाई गुणवत्तापूर्ण तरीके से हो रही है। भारत का इजरायल के साथ कृषि शेध को लेकर करार हुआ है। डाॅ. कर्नाटक ने कहा कि आज भारत की कुल जनसंख्या में 27.3 प्रतिशत युवा आबादी है। यानी 37.14 करोड़ युवाओं के साथ भारत सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। यदि वैज्ञानिक पद्दति से काॅलेज स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाए, कुटीर एवं घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिले तो पैसों की चाहत में युवा वर्ग भी कृषि क्षेत्र में पूरे जुनून से जुड़ेगा।
विशिष्ट अतिथि राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आर.एस.सी.ई.आर.टी.) उदयपुर की निदेशक कविता पाठक ने भी विधार्थियों को कृषि विषय रोजगारपरक बताते हुए आधिकारिक विद्यार्थियों को कृषि विषय में अपना भविष्य संवारने का आह्वान किया। उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम निर्धारण में भी कक्षा- सात-आठ से कृषि  संबंधी पाठ का समावेश करने पर जोर दिया ताकि छात्र-छात्राओं को विषय चयन की प्रेरणा शुरू से ही मिल सके।
डाॅ. पी.के. सिंह, समन्वयक एन.ए.एच.ई.पी. ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय के 71 छात्र एवं 11 प्राध्यापकों प्रशिक्षण हेतु अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं थाईलैंड भेजा गया व दिसम्बर 2023 तक 50 और विद्यार्थियों को भेजा जायेगा।
कार्यक्रम के आरम्भ में डाॅ. मीनू श्रीवास्तव, अधिष्ठाता ने सभी का स्वागत किया और मेले की महत्व को बताया।

Related posts:

LG Electronics hosts grand finale of All India K-Pop Contest 2023
बुजुर्ग बोझ नहीं हमारी संपत्ति है : रामनाथ कोविन्द
पिम्स हॉस्पिटल में एक ही बच्चे की दो जटिल बीमारियों की सफल सर्जरी
सीपी जोशी के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनने पर कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल
मतदान की वह घटना
Hindustan Zinc celebrates a unique e-Women's Day
‘सबसे सस्ते 5 दिन’ ऑफर 22 जनवरी से
नारायण सेवा का आर्टिफिशियल लिंब फिटमेंट शिविर 2 मार्च को
पिम्स अस्पताल उमरड़ा और 185 सैन्य अस्पताल उदयपुर में एमओयू
एचडीएफसी बैंक ने परिवर्तन स्मार्टअप ग्रांट्स के लिए स्टार्टअप इंडिया के साथ साझेदारी की
अरुण मिश्रा सीआईआई राजस्थान के नए अध्यक्ष और संजय अग्रवाल ने उपाध्यक्ष का पदभार संभाला
Pacific Dental College and Hospital, Debari among top 30 Dental colleges of India, NIRF ranking atte...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *