महाराणा शंभुसिंह की 176वीं जयन्ती मनाई

उदयपुर। मेवाड़ के 71वें एकलिंग दीवान महाराणा शंभुसिंह की 176वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा शंभुसिंह का जन्म वि.सं. 1904, पौष कृष्ण एकम (वर्ष 1847) को हुआ था। सिटी पेलेस म्यूजियम स्थित राय आंगन में उनके चित्र पर माल्यार्पण व पूजा-अर्चना कर मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित किया गया तथा आने वाले पर्यटकों के लिए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदर्शित की गई।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्रसिंह आउवा ने बताया कि 14 वर्ष की आयु में कार्तिक पूर्णिमा संवत् 1918, 17 नवम्बर 1861 को महाराणा शंभुसिंह की गद्दीनशीनी सम्पन्न हुई। महाराणा का व्यक्तित्व मृदुभाषी, विद्यानुरागी, बुद्धिमान, सुधारप्रिय, प्रजारंजक और मिलनसार थे। महाराणा के मृदु व्यवहार और शासन सुधार के प्रति दृष्टिकोण को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने महाराणा को ग्राण्ड कमाण्डर ऑफ दी स्टार ऑफ इण्डिया का बड़ा खिताब दिया।
महाराणा ने राज्य में सर्वप्रथम सन् 1863 ई. में राजकीय विद्यालय उदयपुर में ‘‘शम्भुरत्न पाठशाला’’ की स्थापना। उसी स्थान पर वर्तमान में राजकीय कन्या सी. से. स्कूल जगदीश चौक है। इस सरकारी पाठशाला की स्थापना से पूर्व राज्य में निजी पाठशालाएं चलती थी इन शिक्षा संस्थानों में भाषा और गणित का सामान्य ज्ञान कराया जाता था, साथ ही धार्मिक विषयों पर चर्चा और अध्यापन भी होता था। उदयपुर में ही सन् 1866 ई. में एक कन्या पाठशाला भी प्रारम्भ की गई। यह पाठशाला शम्भुरत्न पाठशाला की शाखा मानी जाती थी जिसमें प्रारम्भ में 51 छात्राएं व 2 अध्यापक थे। इस प्रकार वर्तमान में प्रचलित पद्धति के विद्यालयों का मेवाड़ में शुभारंभ करने का श्रेय वास्तव में महाराणा शंभुसिंह को जाता है।
महाराणा ने अपने शासनकाल में दिलखुश महल, जगनिवास में शंभुप्रकाश महल, शंभुरत्न पाठशाला, सूरजपोल तथा हाथीपोल दरवाजों के बाहर सराय, मेयो कॉलेज में पढ़ने वाले उदयपुर निवासी विद्यार्थियों के रहने के लिए अजमेर में ‘उदयपुर हाउस’ आबू और नीमच में बंगले, उदयपुर से देसूरी तक सड़क, नीमच-नसीराबाद सड़क का मेवाड़ राज्य का भाग, उदयपुर से खेरवाड़ा तक सड़क, उदयपुर से चित्तौड़ तक की सड़क तथा डाक-बंगले बनवाये। उन्होंने कई महलों, मकानों, तालाबों आदि की मरम्मत भी करवाई। जिसमें करीब 22 लाख रुपया का अनुमानित खर्च हुआ। महाराणा की औरस माता (बागोर के कुंवर शार्दूलसिंह की पत्नी) नंदकुंवर ने बड़ीपोल के बाहर ठाकुरजी गोकुल चन्द्रमाजी का मन्दिर बनवाया।

Related posts:

स्मृतियां का 22वां संस्करण
‘मिशन कोटड़ा’ पर कलेक्टर मीणा को मिलेगा प्रधानमंत्री अवार्ड
यह बोलने का समय, बोलना होगा और खतरे भी उठाने होंगे
पॉवर प्ले, एपीएल 7, एफ़सी वारियर्स, रामा टाइटन्स, 7 चैलेंजर्स जीते
राजस्थान में 60 हजार करोड़ का एक्सप्रेस हाईवे बना रहे हैं : गडकरी
दर्शन दन्त महाविद्यालय में चेयर योगा कार्यक्रम
रेजीडेंसी और वीआईएफटी के तत्वावधान में वार्षिकोत्सव सम्पन्न
आदि महोत्सव में कपड़े के थैले वितरित
दिव्यांग बच्चों के हस्तशिल्प की बिक्री
एचडीएफसी बैंक ने लॉन्च किया कस्टमाइज्ड प्रोग्राम ‘विशेष’
अर्बन स्क्वायर मॉल (चरण-1) दिसंबर में आगंतुकों के लिए तैयार
रामभक्ति और आनन्द में झूमा नारायण सेवा संस्थान, प्रशान्त अग्रवाल ने मेवाड़वासियों के लिए की मंगलकामन...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *