आत्मा के जागरण के बिना भीतर की शक्तियों का सदुपयोग संभव नहीं : साध्वी वैष्णवी भारती

उदयपुर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से श्रीमद्भागवत साप्ताहिक कथा ज्ञानयज्ञ के अंर्तगत चतुर्थ दिवस की सभा में सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या कथा व्यास साध्वी वैष्णवी भारती ने प्रभु के अवतारवाद के विषय में बताया। प्रभु धर्म की रक्षा हेतु प्रत्येक युग में आते हैं। भक्तों का कल्याण करने तथा दुष्टों को तारने अवतार लेते हैं। द्वापर में कंस के अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए। उन्होंने गोकुलवासियों के जीवन को उत्सव बना दिया। कथा के माध्यम से नंद महोत्सव की धूम देखने वाली थी। साध्वी और स्वामी जनों ने मिलकर प्रभु के आने की प्रसन्नता में बधावा गाया। आज गोकुल के उत्सव को देखने का अवसर सभी को प्राप्त हो गया।


सोचने की बात है जब नंद बाबा भगवान को टोकरी में ड़ाल कर गोकुल लेकर गये तो उस समय प्रभु हमें संदेश देते हैं, जिस प्रकार नंद बाबा ने मुझे सिर पर धारण किया। तभी उनकी हाथों पैरों की बेडियां टूट गयीं। इसी प्रकार जो मुझे जीवन में प्रथम स्थान पर रखता है, मैं उसके लिए आत्मजाग्रति के द्वार खोल देता हूं।
मैं युगों-युगों से आत्मज्ञान के लिए प्रेरित करता आया हूं परंतु आत्मा के जागरण के बिना मानव नरसंहार करता आया है। अपने मन के बिखराव को समेट नहीं पाया। भीतर की शक्ति का सदुपयोग नहीं करना आया। मन के भटकन के कारण समाज को अपने अनुचित व्यवहार के कारण दूषित कर रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने विभिन्न प्रकार की लीलायें की। वो माखन चोरी करते तो भक्तों ने माखन चोर कह दिया। माखन चोरी की लीला से उन्होने भक्तों के भावों को ग्रहण किया। उनके भीतर उपजी हीनता की भावना का अंत किया। प्रेम की प्रगाढ़ता स्थापित की। इस लीला का भावार्थ यही कि प्रभु हमारे भीतर विराजमान हैं। समस्त शास्त्र इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। शंख संहिता में स्पष्ट वर्णन आता है कि हमारे हृदय गुफा में परम प्रकाशवान ईश्वर निवास करते हैं। सभी देवताओं का निवास वही है। जीवात्मा का आश्रय स्थल वही है। नादबिंदोपनिषद में कहा गया है कि परमेश्वर ज्योति रूप में भीतर हैं। अतएव हमें वहीं ध्यान करना चाहिए। योगवशिष्ठ में विवरण मिलता है- जिसने अंदर स्थित प्रभु को बाहर ढूंढ़ा तो उसने कौस्तुभमणि को छोड़ कर कांच बीनने का कार्य ही किया। इसलिये परमात्मा हमारे भीतर प्रकाशरुप में विद्यमान हैं। आवश्यकता तो दिव्य गुरु की है। जो मानव शरीर में ही प्रभु दर्शन संभावित कर सके।
कथा में उपस्थित अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजीव द्विवेदी, सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग जतिन गांधी, भाजपा देहात जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्तसिंह चौहान, अध्यक्ष विप्र फाउंडेशन के.के. शर्मा, कांग्रेस पार्टी से दिनेश श्रीमाली ने दीप प्रज्वलन किया।

Related posts:

होम वोटिंगः उदयपुर जिले में 97.40 फीसदी मतदान
सनातन वैदिक धर्मसभा 22 से
महाराणा जयसिंह की 369वीं जयन्ती मनाई
हिंदुस्तान जिंक की 8 माइंस को 34वें खान पर्यावरण एवं खनिज संरक्षण सप्ताह में 24 पुरस्कार
हम सभी समान रूप से सम्मानजनक जीवन के हकदार है - मिस ट्रांसक्वीन इंडिया, फस्र्ट रनर अपर- एलाॅ डे वर्म...
त्याग -तपस्या की मूर्ति मातृशक्ति का हो सम्मान - अग्रवाल
डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मंशापूर्ण हनुमानजी की विशेष पूजा अर्चना की
सफल होने के लिए मन की एकाग्रता जरूरी: संजय शास्त्री
HDFC Bank Launches ‘Global Trade & Forex Talks’
हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा संबल कार्यक्रम में अध्ययनरत विद्यार्थियों का उत्कृष्ठ रहा परिणाम
Paytm launches Daily DTH Dhamaal offer for recharges during IPL 2022 season winners to get cashback ...
मेवाड़ की खनिज सम्पदा समृद्धि की पर्याय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *