मां बगुलामुखी महायज्ञ शाला की हो रही परिक्रमा, ज्वार को सींच रहे श्रद्धालु

उदयपुर। अरावली की पहाडिय़ों के मध्य विराजित बड़बड़ेश्वर महादेव (Badbadeshwar Mahadev) परिसर में चल रहे सनातनी चातुर्मास में मां बगलामुखी (Maa Bagulamukhi ) की आराधना में श्रद्धा का ज्वार बढ़ता जा रहा है। विश्व में अपनी तरह के पहली बार हो रहे 54 कुण्डीय महायज्ञ (54 Kundiya Mahayagya) में नियमित आहुतियों के साथ एक दिन की आहुति अर्पण करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। साथ ही, सप्तद्वीप यज्ञशाला की परिक्रमा के प्रति भी उत्साह झलक रहा है।
कोलाचार्य माई बाबा (Kolacharya Mai Baba) ने बताया कि मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे दस दिवसीय 54 कुण्डीय महायज्ञ में दस दिन के लिए आहुतियां अर्पित कर रहे जजमानों के साथ एक-एक दिन की आहुतियां प्रदान करने का भी प्रावधान रखा गया है। उदयपुर सहित आसपास के जिलों से भी एक दिन की आहुति अर्पित करने के लिए जजमान रुचि दिखा रहे हैं। जो आहुति अर्पित नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए यज्ञशाला की परिक्रमा का भी महत्व बताया गया है। ऐसे में कई धर्मप्रेमी महिलाएं यज्ञशाला की परिक्रमा के लिए आ रही हैं। यज्ञशाला के चारों ओर छोटे कलश रखकर उनमें ज्वार बोए गए हैं। परिक्रमा के दौरान पानी की बालटी साथ रखकर उन कलश को सींचा जा रहा है।
प्रवक्ता मनोज जोशी (Manoj Joshi) ने बताया कि गुरुवार को मां पिताम्बरा का प्रमुख दिवस माना जाता है। ऐसे में गुरुवार को श्रद्धालुओं की संख्या के बढऩे के मद्देनजर भी व्यवस्थाओं का ध्यान रखा गया है। महायज्ञ के दौरान सुबह 10 से साढ़े दस बजे के मध्य आचार्य वंदन होता है, देश भर से आए डेढ़ सौ आचार्यों के सामूहिक वंदन के दर्शन करने भी श्रद्धालु आ रहे हैं। इस बीच, दोपहर बाद देवी भागवत पुराण कथा चल रही है। बुधवार को कथा में नवरात्रि के नौ दिन की नौ देवियों के महत्व की कथा हुई। कथाव्यास आचार्य कमल किशोर ने नवरात्रि के महत्व के साथ नवदुर्गा के महत्व को समझाया। कथा का सीधा प्रसारण एससीएम स्टूडियो यू-ट्यूब पर किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *