उदयपुर। मेवाड़ के 67वें एकलिंग दीवान महाराणा भीमसिंह की 256वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से सिटी पैलेस के राय आंगन में मनाई गई। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि महाराणा भीमसिंह का जन्म चैत्र कृष्ण सप्तमी, विक्रम संवत 1824 (1768 ई.) को हुआ था। उनके पिता महाराणा हमीरसिंह द्वितीय के देवलोक गमन के पश्चात पौष सुदी 9 संवत् 1834, (ई.सं. 1778 ता. 7 जनवरी) को महाराणा भीमसिंह की गद्दीनशीनी हुई थी।
महाराणा के कार्यकाल में उदयपुर के राजमहल में भीम विलास, भीम निवास, पार्वती विलास, हिम्मत विलास और मदन विलास का निर्माण करवाया। इसके अलावा उदयपुर और घसियार में गोवर्धननाथजी मन्दिर और रामनारायण मन्दिर का निर्माण उनके शासनकाल के दौरान किया गया। महाराणा ने अपनी बहिन के नाम चन्द्रकुंवर बाई के नाम पर एक चांदी का सिक्का ‘चंदोरी’ भी जारी किया। उनकी रानी पद्मकुंवरी ने अपने और अपने पति के नाम पर पीछोला के पश्चिमी तट पर ‘भीम परमेश्वर’ नामक शिव मन्दिर बनवाया, जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. 1884 श्रावक सुदी 8 (ई.सं. 1827 ता. 31 जुलाई) को हुई। 50 वर्ष तक शासन करने के पश्चात महाराणा भीमसिंह का 30 मार्च 1828 को उनका देवलोक गमन हुआ। महाराणा का व्यक्तित्व मृदुभाषी, हँसमुख, दयालु, कोमल स्वभाव, लोकप्रिय, दीनवत्सल, क्षमाशील और अत्यन्त उदारवादी थे। कर्नल टॉड ने बताया कि वे बहुत अच्छे सलाहकार, बुद्धिमानी और निर्णय पर पहुँचने वाले व्यक्ति थे। महाराणा कवियों एवं विद्वानों के आश्रयदाता थे तथा इतिहास का भी अच्छा ज्ञान था।