महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन का 40वाँ वार्षिक विद्यार्थी सम्मान समारोह

61 मेधावी विद्यार्थियों का होगा सम्मान
उदयपुर।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा शैक्षणिक, सहशैक्षणिक एवं खेलकूद के क्षेत्र में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को दिये जाने वाले सम्मानों के तहत् भामाशाह सम्मान, महाराणा राजसिंह सम्मान एवं महाराणा फतहसिंह सम्मान से 61 छात्र-छात्राओं को श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये सम्मानित किया जाएगा।
महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के 40वें वार्षिक सम्मान समारोह के संयोजक डॉ. मयंक गुप्ता द्वारा सम्मानित किये जाने वाले छात्र-छात्राओं की सूची जारी करते हुए बताया कि चयनित छात्र-छात्राओं को आगामी 3 मार्च रविवार को सिटी पैलेस, उदयपुर प्रांगण में सायं 4.30 बजे एक विशेष समारोह में फाउण्डेशन के न्यासी डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि फाउण्डेशन द्वारा राजस्थान स्तर के स्नातक स्तरीय विद्यार्थियों को दिये जाने वाले अकादमिक भामाशाह सम्मान के तहत इस वर्ष 2022-2023 के 11 विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक छात्र को ग्यारह हजार एक रुपये, प्रशस्तिपत्र एवं पदक प्रदान किये जायेंगे।
भामाशाह सम्मान
(सन् 1983-84 में स्थापित)
भामाशाह कावडि़या गोत्र से ओसवाल जाति के महाजन भारमल के सुपुत्र थे। इनके पिता को महाराणा सांगा ने रणथम्भौर का किलेदार नियुक्त किया था। भामाशाह वीर प्रकृति के पुरुष थे। वे प्रसिद्ध हल्दीघाटी के युद्ध में कुंवर मानसिंह की सेना के विरुद्ध लड़े थे। महाराणा प्रताप ने इन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया था।
महाराणा प्रताप ने चावण्ड में रहते भामाशाह को मालवे पर चढ़ाई करने के लिए भेजा, जहां से भारी रकम दण्ड में लेकर चूलिया गांव में महाराणा की सेवा में उपस्थित हुए और वह सारी रकम महाराणा को प्रदान की। भामाशाह के देहांत होने पर उनके सुपुत्र जीवाशाह अपने पिता की लिखी बही के अनुसार जगह-जगह से खजाना निकालकर लड़ाई का खर्च चलाते रहे।
भामाशाह का भाई ताराचंद भी वीर प्रकृति का था और हल्दीघाटी की लड़ाई में वह अपने भाई के साथ लड़ा था। महाराणा अमरसिंह ने भामाशाह के देहान्त होने पर उनके पुत्र जीवाशाह को अपना प्रधान बनाया। इस प्रकार स्वामिभक्त भामाशाह के घराने से प्रधान पद पर रहे।
‘भामाशाह सम्मान’ भामाशाह की प्रेरणादायी स्वामीभक्ति को समर्पित है। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से प्रतिवर्ष राजस्थान में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों का स्नातक परीक्षा में सर्वोच्च अंकों के लिए भामाशाह सम्मान प्रदान किया जाता है।
भामाशाह सम्मान हेतु वर्ष 2022-2023 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण विद्यार्थियों की सूची प्रतिशत एवं सीजीपीए से इस प्रकार है: –
हर्षराज सिंह राणावत फाइन आर्ट 85.3, पल्लव अग्रवाल बी.कॉम. 81.50, हीना वैष्णव बी.एससी. 89.98, श्रेया माथुर बी.एससी. (खाद्य पोषण और आहार) 91.40, जसवन्त नागदा एलएल.बी. 76.44, हर्षिता जीनगर बी.एड. 85.45, प्रियंका शर्मा बी.एससी.बी.एड. 87.27, आत्मिका गुप्ता बी.टेक. (इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग) 92.00,यामिनी कुँवर शक्तावत बी.टेक. (डेयरी टेक्नॉलोजी) 86.30, डॉ. यशी पालीवाल बी.डी.एस. 75.52 एवं नियोवी कुमावत डिप्लोमा (इन्टीरियर डेकोरेशन) 98.00
श्री गुप्ता ने बताया कि उदयपुर नगर परिषद् सीमा में अवस्थित महाविद्यालयों तथा उदयपुर स्थित विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को खेल-कूद, सांस्कृतिक-सहशैक्षणिक प्रवृत्तियों के लिये दिये जाने वाले महाराणा राजसिंह सम्मान के तहत इस वर्ष 2022-2023 के 15 विद्यार्थियों में प्रत्येक को ग्यारह हजार एक रु., प्रशस्तिपत्र एवं पदक से सम्मानित किया जाएगा।
महाराणा राजसिंह सम्मान
(सन् 1980-81 में स्थापित)
महाराणा राजसिंह मेवाड़ के 58वें श्री एकलिंग दीवान थे। इनका शासनकाल (1652 से 1680 तक) स्वाभिमान और स्वातंत्र्य प्रेम के लिए विख्यात रहा है। महाराणा राजसिंह ने मानव मूल्यों की प्राण-प्रण से रक्षा की। इस महान शासक को मेवाड़ के गौरव को अक्षुण्ण रखने हेतु सदैव याद किया जायेगा।
महाराणा राजसिंह रणकुशल, साहसी वीर, निर्भीक, सच्चे क्षत्रिय, बुद्धिमान, धर्मनिष्ठ और दानी राजा थे। बादशाह औरंगजेब के द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने, मूर्तियां तुड़वाने आदि अत्याचारों का महाराणा राजसिंह ने दृढ़तापूर्वक विरोध किया। यह विरोध केवल पत्रों तक परिमित न रहा। बादशाह की हिन्दू धर्म विरोधी नीति एवं अत्याचारों से जतीपुर के गिरिराज पर्वत से ठाकुरजी श्रीनाथजी तथा गोकुल से ठाकुरजी श्री द्वारकाधीशजी को लेकर मेवाड़ पधारे गुसाँईजी को आश्रय देकर तथा उन मूर्तियों को अपने राज्य में स्थापित कराकर राज धर्म निष्ठा का परिचय भी दिया। बादशाह से संबंध की हुई चारूमति से उनकी इच्छानुसार उसके धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने निर्भयता के साथ विवाह किया। जोधपुर के अजीतसिंह को अपने यहां आश्रय दिया और जजिया कर देना स्वीकार नहीं किया। इन सब बातों के कारण उन्हें औरंगजेब से बहुत सी लड़ाइयां लड़नी पड़ी। इन लड़ाइयों में उन्होंने जो वीरता रणकुशलता और नीतिमत्ता दिखाई वह प्रशंसनीय थी।
वंशाभिमान और कुल गौरव तथा आदर्शों की रक्षा हेतु महाराणा राजसिंह असद्वृत्तियों से आजन्म संघर्षशील रहते विजय रहे। उनके इसी सम्मान में महाराणा राजसिंह सम्मान उदयपुर में स्थित समस्त विश्वविद्यालयों तथा उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों एवं शहर सीमा में स्थित अन्य महाविद्यालयों (चाहे किसी भी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो) के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को विगत अकादमिक सत्र के दौरान निम्नलिखित क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों के लिए दिया जायेगा। इस सम्मान को परिक्षेत्र उदयपुर शहर रहेगा।
महाराणा राज सिंह सम्मान से वर्ष 2022-2023 के लिए 15 विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा, जिनकी सूची इस प्रकार है:
प्रतीति व्यास कायकिंग, दिव्यराज सिंह राठौड़ एनसीसी, स्वास्तिका सिंह शक्तावत एनसीसी, विपुल वैष्णव़ एनसीसी, कृतिका सिंह बारहठ़ एनसीसी, खुशी गम्भीर एनसीसी, जयराज सिंह राजावत एनसीसी, साक्षी असरानी़ एनसीसी, उदितआंशु राणावत जूडो, विनिता चौहान एनसीसी एवं पर्वतारोहण, सौरव एनसीसी, युवराज सिंह एनसीसी, आदित्यराज सिंह चौहान एनसीसी, गरिमा चौहान जूडो, कौमुदी गहलोत एनसीसी एवं शूटिंग।
महाराणा फतहसिंह सम्मान
(वर्ष 1980-81 में स्थापित )
महाराणा फतहसिंह तेजस्वी, कुलाभिमानी, पराक्रमी, सहनशील, सदाचारी, कर्त्तव्यपरायण, परोपकारशील, धर्मनिष्ठ, शरणागत-वत्सल और आदर्श शासक थे। आपत्ति के मारे बाहरी राज्यों से आये हुए कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को अपने यहां आश्रय देकर उन्होंने अपनी कुल परम्परागत प्रथा का पालन किया। अंग्रेजों द्वारा आयोजित दिल्ली के दरबार में भारतीय नरेशों एवं नवाबों की उपस्थिति अनिवार्य समझी जाने पर भी उन्होंने दो-दो बार इस गुलामी की परम्परा की अवज्ञा कर मेवाड़ के स्वाभिमान और स्वतंत्रता प्रेम की रक्षा की।
उन्होंने बताया कि फाउण्डेशन द्वारा शैक्षणिक, सहशैक्षणिक एवं खेलकूद के क्षेत्र में प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को दिये जाने वाले महाराणा फतह सिंह सम्मान के तहत इस वर्ष 2022-2023 के 35 विद्यार्थियों को श्रेष्ठ उपलब्धियों के लिये सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक छात्र को ग्यारह हजार एक रुपये, प्रशस्तिपत्र एवं पदक प्रदान किये जायेंगे। जिनकी सूची इस प्रकार हैः-
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की अखिल भारतीय उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक परीक्षाएं
विज्ञान के लिए निलय त्रिवेदी 96.80, अपूर्व सामोता 96.60, वाणिज्य में तिथि बोहरा 98.40, दीवा कोठारी 97.81, दक्ष लोढ़ा 97.40 एवं कला में परिधि जैन 98.20, रीत आहूजा 98.00, गुन कपिल 97.60 सुनिधि खाब्या 97.20, अखिल भारतीय माध्यमिक परीक्षा के लिए कर्मण्य गुप्ता 98.20, गर्विता लावटी 97.80
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक परीक्षाएं विज्ञान में यशवन्त कँवर रावल 97.00, रितिका पूर्बिया 96.80, अंजलि सिंधल 96.20, पिनाकी सुथार 96.00 वाणिज्य में सान्या कर्ण 91.00, अनमोल सचदेव 90.60, कला में सुरेन्दर सिंह खरवड़ 94.0, निशित कुमावत 93.00, माध्यमिक परीक्षा प्रत्यूष तलेटिया 97.83, डिम्पल सुथार 96.67,
खेल-कूद, साहित्यिक, सांस्कृतिक कलाओं में विशेष योग्यताधारी को भी दिया जाता है। इस वर्ष महाराणा फतहसिंह अलंकरण से 7 विद्यार्थियों का एवं विशिष्ट उपलब्धियों के लिए 7 विद्यार्थियों का चयन किया गया है, जिनकी सूची इस प्रकार हैः-
खेल-कूद एवं सहशैक्षिक व शैक्षणेत्तर गतिविधियाँ
श्रेयासिंह-एथलेटिक, जिज्ञासा पटेल-मुक्केबाजी, गुनगुन दयारामानी- मुक्केबाजी, पुनीत मेनारिया-किक बॉक्सिंग, चार्वी अग्रवाल- किक बॉक्सिंग, जयादित्य सिंह राठौड़-निशानेबाजी, नमन शर्मा-मुक्केबाजी।
महाराणा फतहसिंह विशिष्ट सम्मान – 2024
उच्च माध्यमिक परीक्षा वाणिज्य- तमन्ना कुँवर सारंगदेवोत 94.40, कला- कृतिका तेली 95.40 माध्यमिक परीक्षा- खुशी जैन 98.17, अदिति जैन 96.67, प्रियांशी चौबीसा 96.00 प्रतिशत

झुंझुनूं जिले के पचेरी गांव के रहने वाले शौर्य यादव हिंडौली ग्राम में स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल के छात्र है। जिन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में अपनी प्रतिभा के दम पर 75 से अधिक प्रतिष्ठित संस्थाओं से प्रमाण-पत्र अर्जित किये थे। वर्तमान में 10वीं कक्षा में अध्ययनरत है जिन्हें इसरो के यंग साइंटिस्ट के लिए चुना गया है जहां देश के ख्यातनाम वैज्ञानिक ट्रेनिंग दे रहे है और इनके आविष्कारों का प्रायोगिक परीक्षण किया जा रहा है। शौर्य ने एक्सीडेंट कंट्रोल इन हिल एरिया प्रोजेक्ट भी बनाया है, जिसे नेशनल चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस द्वारा चुना गया है।

कांकरोली राजसंमद के तनिष्क राजसिंह चौहान को भारतीय अंतरिक्ष संगठन द्वारा अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र, अहमदाबाद द्वारा आयोजित युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम के तहत यंग साइंटिस्ट के लिए चुने गये।

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