सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य के लिए जल आत्मनिर्भरता बेहद महत्वपूर्णदेश में जल संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री ने किए भगीरथी प्रयास- मुख्यमंत्री

2047 तक भारत को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाना हमारा विजन – केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री
उदयपुर/जयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमें जल संरक्षण के उपायों को अपनाकर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होना चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि जल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक सुव्यवस्थित रोडमैप की आवश्यकता है, जिसमें कृषि तथा शहरी जल प्रबंधन और तकनीकी नवाचार जैसे प्रमुख पहलुओं का समावेश हो।
श्री शर्मा मंगलवार को उदयपुर में राज्य जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस आयोजन के लिए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह सम्मेलन सहयोगात्मक संघवाद की परिकल्पना की जीती-जागती मिसाल है। उन्होंने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में जल राज्यों का एक विषय है, लेकिन प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से जल राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग का विषय बन गया है।


श्री शर्मा ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में जल आत्मनिर्भरता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के रूप में एक भगीरथी प्रयास किया है। इसका लाभ आज राजस्थान के भी करोड़ों लोगों को मिल रहा है। राज्य सरकार शेष परिवारों को नल कनेक्शन देने के लिए भी तेजी से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के विकास एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता दी है तथा इस सबंध में एक अलग से जल शक्ति मंत्रालय भी बनाया जिससे जल से संबंधित परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है तथा इसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ से अधिक आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के 60 हजार गांवों में भूजल पुनर्भरण हेतु रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए कम पानी में उगने वाली फसलों, शहरी जल प्रबंधन, सीवरेज के पानी के शुद्धिकरण एवं पुनः उपयोग के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जल गुणवत्ता और स्रोतों की निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग सहित विभिन्न कदम उठा रही है।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने के विजन पर हम काम कर रहे हैं। मोदी जी ने स्वच्छता पर जोर दिया तथा 12 करोड़ शौचालय बनाए जिससे 60 करोड़ लोग लाभान्वित हुए तथा डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत अब देश के 15 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। पानी की शुद्धता को जांचने के लिए 25 लाख महिलाओं को किट एवं प्रशिक्षण दिया गया। इसी तरह, वर्षा जल संग्रहण के लिए कैच द रैन का अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत कर्म भूमि से मातृभूमि अभियान के माध्यम से प्रवासी गांवों में भू जल पुनर्भरण के लिए रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं।
संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना के तहत राजस्थान को मिलेगा ज्यादा पानी
श्री पाटिल ने कहा कि रामजल सेतु परियोजना (संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना) के तहत राजस्थान को ज्यादा पानी मिलेगा। परियोजना के तहत आने वाले समय में राजस्थान को बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौते के तहत भी राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के त्वरित निर्णय से यमुना का सरप्लस वॉटर राजस्थान में आना संभव हो पाएगा। उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी को 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने, हर घर में स्वच्छ जल पहुंचाने, किसानों को जल संकट से मुक्ति, नदी-जलाशयों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेना चाहिए।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने कहा कि ओडिशा में से महानदी, गोदावरी, नर्मदा और ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदिया बहती है जो जल संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि ओडिशा में वर्षा पर्याप्त है लेकिन वर्षा वितरण में असमानता है। इसलिए जल सुरक्षित राज्य के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमने बाढ़ नियत्रंण तथा जल संरक्षण को विभिन्न परियोजनाओं में प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि हमारी महिला स्वयं सहायता समूह भी भू जल रिचार्ज करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रही हैं।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि त्रिपुरा का 70 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र है तथा अधिकतर जनसंख्या आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। हमारी सरकार सिंचाई के प्रोजेक्ट्स को बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिससे कृषि की उत्पादकता बढ़े तथा किसानों की आय में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सीमित जल संग्रहण क्षमता के कारण सतही जल आधारित सिंचाई परियोजनाओं की संभावना कम है। ऐसे में, वर्षा जल संरक्षण स्ट्रक्चर तथा छोटे सिंचाई के बांधों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री माणिक साहा ने कहा कि त्रिपुरा का 70 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र है तथा अधिकतर जनसंख्या आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। हमारी सरकार सिंचाई के प्रोजेक्ट्स को बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिससे कृषि की उत्पादकता बढ़े तथा किसानों की आय में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सीमित जल संग्रहण क्षमता के कारण सतही जल आधारित सिंचाई परियोजनाओं की संभावना कम है। ऐसे में, वर्षा जल संरक्षण स्ट्रक्चर तथा छोटे सिंचाई के बांधों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

कार्यक्रम में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरूण साव, केन्द्रीय सचिव, जल संसाधन सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जल कलश सेरेमनी में सहभागिता की। साथ ही उन्होंने नारी शक्ति से जल शक्ति, मोनोग्राफ वाटर हैरिटैज साइट ऑफ इंडिया, जल जीवन मिशन-ब्रेकिंग द सोशल बेरियर का ई-लॉन्च तथा जल संचय-जनभागीदारी फिल्म तथा गीत का ई-लॉन्च किया। कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री राजभूषण चौधरी, जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल विभिन्न राज्यों के जल संसाधन मंत्री, वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की
मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने महाराणा प्रताप गौरव केन्द्र पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही, उन्होंने केन्द्र के परिसर पर कर्म भूमि से मातृभूमि अभियान के तहत जल संचय-जन भागीदारी के अन्तर्गत बोरवैल कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।

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