उदयपुर : जिले में जनजाति समुदाय की बाहुल्यता एवं गरीब वंचित परिवारों की स्थिति को देखते हुए निराश्रित बालकों के बेहतर पुनर्वास हेतु संवेदनशीलता के साथ संगठित प्रयासों की आवश्यकता है एवं इसके लिए हमें समुदाय स्तर पर निराश्रित बालकों का चिन्हीकरण करना होगा । ये विचार आज निराश्रित बच्चों को लेकर बाल सुरक्षा नेटवर्क के बैनर तले राजकीय किशोर गृह सभागार में राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग के माननीय सदस्य ध्रुव कुमार कविया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उदयपुर के सचिव एवं एडीजे कुलदीप शर्मा की अध्यक्षता मेंआयोजित जिला स्तरीय बैठक में निकल कर आए। बैठक में सर्व प्रथम नेटवर्क के संयोजक बी. के. गुप्ता ने जिले में नेटवर्क की सहभागी संस्थाओं के सहयोग से बालकों के समुचित विकास एवं संबंधित मुद्दों को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर जानकारी प्रदान की।
प्रारंभिक चरण में सर्व सहमति से देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों का सर्वे एवं चिन्हीकरण करने हेतु 6 ब्लॉकों का चयन किया गया जिसमें गोगुंदा, मावली, झाड़ोल , कोटड़ा, फलासिया, गिर्वा एवं सलुम्बर में स्थानीय ग्राम पंचायत एवं ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समितियां के सहयोग से सर्वे किया जाएगा। चयनित पंचायतों में बाल सुरक्षा नेटवर्क की सहभागी संस्थाओं , जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल कल्याण समिति एवं बाल अधिकारिता विभाग के समन्वयन से कार्य करने का निर्णय लिया गया साथ ही आयोग के सदस्य कविया ने आयोग के माध्यम से राज्य सरकार के साथ समन्वयन कर इन बालकों के बेहतर पुनर्वास की नीति पर कार्य करने को आश्वस्त किया।
बैठक में जिला बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष यशोदा पणिया, सदस्य संगीता राव, अंजना जोशी, समिधा संस्थान के संस्थापक चंद्रगुप्त सिंह चौहान, फोस्टर केयर सोसायटी के वीरेंद्र सिंह शक्तावत,चाइल्ड हेल्प लाइन के जिला समन्वयक नवनीत ओदिच्य, चाइल्ड फंड इंडिया के आशीष चौधरी, कोटड़ा आदिवासी संस्थान के सरफराज शेख, महान के राजेंद्र गामठ, गायत्री सेवा के नितिन पालीवाल, नेटवर्क सलाहकार डॉ राजकुमारी भार्गव, रहाड़ा फाउंडेशन की अर्चना सिंह चारण, सहयोगनी के मोहम्मद याकूब, हैंड इन हैंड के राजीव पुरोहित, यूनिसेफ के सुनील व्यास एवं एडवोकेट हरीश पालीवाल सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश शर्मा आदि उपस्थित थे।
बाल सुरक्षा नेटवर्क की जिला स्तरीय बैठक
