उदयपुर (Udaipur)। करोना महामारी के संकटकाल में भी लोगों में अभी मानवता जीवित है। इस बात का उदाहरण चित्रकूटनगर बी ब्लॉक में देखने को मिला। जानकारी के अनुसार बी ब्लॉक में श्री राम पार्क के बाहर रात में एक श्वान की मृत्यु हो गई। यह श्वान पूरी कॉलोनी का प्यारा था। लोग इसे प्यार से कालू कहते थे। प्रात: ज्योंही लोगों को इसकी मृत्यु की सूचना मिली सभी उदास हो गए।
कोलोनीवासियों ने निर्णय लिया कि इसका ससम्मान दाह संस्कार किया जाय। इस पर कोई गुलाल, कोई फूल, कोई माला, कोई कपड़े लाया। किसी ने उसके शरीर पर गंगाजल का छिडक़ाव किया। कपड़े में लपेटकर जंगल में गड्ढा खोदकर उसे सम्मान दफनाया गया। इस दौरान कॉलोनी के हर महिला-पुरुष और बच्चों की आंखें नम हो गई।
कोलोनीवासियों ने बताया कि यह श्वान सबका प्यारा था। यह सवेरे-सवेरे घर के बाहर जाकर खड़ा हो जाता। दो-तीन मिनट खड़ा रहता। कोई रोटी डाल देता तो खा लेता वरना वहां से चला जाता। इस श्वान की एक खास बात यह थी कि सार्वजनिक स्थान पर किसी ने रोटी डाली और उसके सामने कोई दूसरा श्वान आ जाता तो वह रोटी छोड़ वहां से चुपचाप चला जाता। कोई भी व्यक्ति उसे कालू इधर आ कहता तो वह चुपचाप उसके सामने खड़ा हो जाता। रात भर पूरी कॉलोनी का चक्कर लगाता रहता। श्वान के दाह संस्कार में कॉलोनी के मनोहर सिंह, शंभू सिंह, कैलाश सुथार, राजेश, गिरिराज आदि ने सहयोग किया।
श्वान को दी सम्मान से अंतिम विदाई
