अणुव्रत आंदोलन से ही नैतिक जीवनोत्थान

उदयपुर। महाप्रज्ञ विहार में तेरापंथ धर्मसंघ की सुविज्ञा साध्वी शासनश्री मधुबालाजी ने अणुव्रत चेतना दिवस पर बोलते कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने मानव जाति के लिए अणुव्रत के रूप में एक विशिष्ट अवदान दिया। अणुव्रत अन्तर चेतना के जागरण का उपक्रम है। हमारे जीवन में धर्म के साथ व्यवहार शुद्धि होनी चाहिये। यदि हमारा व्यावहारिक धरातल शुद्ध नहीं हो तो हम अध्यात्म को नहीं साध सकेंगे।
उन्होंने कहा कि उस मंदिर की शोभा नहीं होनी हैं जिसमें प्रतिमा नहीं है। उसी प्रकार जिस व्यक्ति के जीवन में नैतिकता नहीं उसके जीवन की शोभा नहीं होनी। धर्म का पहला पाठ ही नैतिकता है। धर्म कोई रूटीन वर्क नहीं है। इसके साथ भावना जुड़ी होती है। नैतिकता धर्म का अभिन्न अंग है।
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उदयपुर के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अर्जुन खोखावत ने बताया कि साधवीश्री ने अपने संबोधन में कहा कि जब देश आजादी के गीत गा रहा था तब आचार्यश्री तुलसी का ध्यान भौतिकता की चकाचौंध से परे चारित्रिक उन्नयन हेतु अणुव्रत की ओर गया। फलत: एक आंदोलन का निर्माण हुआ। इस आंदोलन ने देश के सभी वर्गों को स्वयं से जोड़ा। अणुव्रत हर आदमी का विकासशील व्रत है। जीवन की आचारसंहिता उसके चरित्र की पहचान है अत: अणुव्रती बनना हर गृहस्थ का नैतिक कर्तव्य है।

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