वन स्टेट, वन ग्लोबल डेस्टिनेशन के विजन को मिला बल

उदयपुर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्रियों का सम्मेलन संपन्न
उदयपुर।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्रियों के सम्मेलन के समापन के अवसर पर केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि दो दिन के सम्मेलन में बहुमूल्य सुझाव प्राप्त हुए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वन स्टेट, वन ग्लोबल डेस्टीनेशन के विजन को साकार करने में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने राज्य की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी और राज्य सरकार को सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि श्रीनगर और नई दिल्ली में पर्यटन सचिवों की कॉन्फ्रेंस के बाद उदयपुर सम्मेलन में प्राप्त सुझावों और रोडमैप को आगामी केंद्रीय बजट में शामिल करवाने का प्रयास करेंगे। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विस्तृत प्रजेंटेशन को देखने के बाद पुनः आग्रह करता हूं कि वे अपने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम एक ऐसा पर्यटन स्थल वैश्विक मानदंडों के अनुरूप विकसित करने का संकल्प लें। इस काम में अनुभवी कंसल्टेंट और निजी भागीदारों की भी मदद ले सकते हैं। पर्यटन से संबंधित सभी विभागों के बीच समन्वय हो और राज्यों में इसी आधार पर पर्यटन नीति में आवश्यक बदलाव आवश्यक हो तो करें। उन्होंने भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की ओर से धनतेरस, दिवाली और भाईदूज पर्व की शुभकामनाएं देते हुए सभी के जीवन में खुशियां और सुख-समृद्धि की कामना की। इससे पहले त्रिपुरा, सिक्किम, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, मिजोरम के प्रतिनिधिमंडल की ओर से वन स्टेट, वन ग्लोबल डेस्टिनेशन की थीम पर प्रजेंटेशन दिया गया। दो दिन में देशभर से 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में ग्लोबल डेस्टीनेशन की संभावनाओं को साझा किया।


सिक्किम में कंचनजंगा एक्सपीरियंस सेंटर :
सिक्किम के पर्यटन मंत्री छिरिंग थेंडुप भूटिया ने कहा कि भले ही सिक्किम देश का सबसे छोटा राज्य है, लेकिन पर्यटन की दृष्टि से इसकी भूमिका सबसे बड़ी है। राज्य को ‘ईको-फ्रेंडली’ और ‘पॉलीथिन-फ्री’ टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में पेश किया गया। सिक्किम की अनूठी भौगोलिक बनावट, मॉनेस्ट्रीज़ और ईको-टूरिज्म इसकी पहचान है। पर्यटन सचिव ने बताया कि गंगटोक से लगभग 9 किमी दूर बुलबुले में “कंचनजंगा एक्सपीरियंस सेंटर” विकसित किया जा रहा है। यहां से लगभग 5 किमी लंबा ट्रेल कंचनजंगा नेचर एक्सपीरियंस की ओर ले जाता है। इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर भी अपार संभावनाओं वाला पर्यटन स्थल बताया गया। कंचनजंगा एक विश्व यूनेस्को हेरिटेज साइट है और सिक्किम के लिए इसे “गार्जियन डिटी” (संरक्षक देवता) के रूप में भी माना जाता है। इसके अलावा आसपास के पर्यटन स्थलों में गंगटोक, मॉनेस्ट्रीज़, कंजर्वेट्री सेंटर और जूलॉजिकल पार्क को भी शामिल किया गया है।
झारखंड में स्टेच्यू ऑफ स्ट्रेंथ से होगा पर्यटन मजबूत :
झारखंड के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार ने रांची से लगभग 22 किमी और टाटानगर से 90 किमी की दूरी पर हाइवे से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्टैच्यू ऑफ स्ट्रेंथ डवलप करने की योजना बताई। यहां उन्होंने बताया कि झारखंड की संस्कृति, खान-पान और जीवनशैली से जुडे़ बहुत-से ऐसे पहलू हैं, जिन्हें नेशनल लेवल पर पहचान नहीं मिल पाई। इस स्टैच्यू ऑफ स्टें्रथ से ट्राइबल टूरिजम के साथ झारखंड को भी एक नई पहचान मिलेगी। यहां प्राकृतिक छटा के बीच प्राचीन मंदिर, ट्राइबल म्यूजियम पर्यटकों का मन मोह लेंगे। वहीं, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में जिरानिया एम्यूजमेंट पार्क, लक्ष्मीलूंगा स्नो विलेज, जेम्पूई हिल स्टे, रूद्रसागर झील पर फ्लोटिंग विला, मोहनपुर एडवेंचर पार्क, लुधूआ टी एक्सपीरियंस सेंटर और दुम्बुर लेक फ्रंट विकसित करने की योजना बताई।
ओडिशा में आध्यात्मिकता के साथ पर्यटन का आनंद :
ओडिशा के पर्यटन सचिव बलवंत सिंह ने पुरी-कोणार्क-चिलिका, हीराकुड और भुवनेश्वर को मिलाकर टूरिज्म सर्किट डवलप करने का रोडमैप प्रस्तुत किया। इसके मद्देनजर रेल, सड़क और हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी की उपलब्धता को रेखांकित करते हुए बताया कि पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क में सूर्य मंदिर, पुरी के समुद्र तट और चिलिका की रामसर साइट पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। वहीं, हीराकुड में दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी से बना डैम है। यहां देबीगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य भी है। इसी प्रकार भुवनेश्वर में भी पर्यटकों के लिए कई आकर्षण के केंद्र हैं। यहां आध्यत्मिकता के साथ पर्यटन का आनंद मिलेगा। तेलंगाना ने अनंतगिरि, नागार्जुन सागर और बसवापुर रिजर्वायर जैसे प्रमुख स्थलों को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया। वहीं, मिजोरम और लक्षद्वीप ने अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को पर्यटन के लिए बड़े अवसर के रूप में प्रस्तुत किया।
जोधपुर-जैसलमेर हाईवे हादसे को लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहरी संवेदना व्यक्त की :
जोधपुर-जैसलमेर हाईवे पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। उदयपुर में पर्यटन मंत्रियों की कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों के प्रति सरकार की पूरी सहानुभूति है। शेखावत ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह संवेदनशील है और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं मौके पर पहुंचे हैं। उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि हादसे में घायल सभी लोग शीघ्र स्वस्थ हों और सकुशल अपने घर लौटें। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह हादसा निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है और जांच का विषय है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि गलती किसकी थी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदनशीलता दिखाते हुए हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 2 लाख और घायलों को 50 हजार की राहत राशि देने की घोषणा की है। शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह सुनिश्चित किया है कि घायलों को सर्वात्तम चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही शेखावत ने सभी से अपील की कि हम सब मिलकर घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें।

Related posts:

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में विशाल वाहन रैली एवं आमसभा रविवार को

पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में गुजरात के नवजात जुड़वाँ शिशुओं का सफल उपचार

विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन

‘कृष्ण साहित्य : विविध संदर्भ’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी कल से

उदयपुर की झीलें वर्षभर रहेंगी लबालब, समय पर पूरी होंगी सभी योजनाएं - मुख्यमंत्री

कोरोना का रोना धीरे - धीरे समाप्ति की ओर, जहां संक्रमित 47 वही प्रतिशत दर घिरकर 1.76

ओसवाल सभा के चुनाव में दिलचस्प मोड, निवर्तमान अध्यक्ष मेहता ने आकर दिलाई कोठारी को शपथ

Women dive into mining head-on: Hindustan Zinc

HDFC Bank and Flipkart Wholesale launch industry-first co-branded credit card for Kirana members and...

जिंक फुटबॉल अकादमी ने हीरो अंडर-17 यूथ कप 2022 -23 के राउंड 16 के लिए क्वालीफाई किया

Hindustan Zinc kickstartsShiksha Sambal Summer Camps for over 1500 rural & tribal students

जिंक के ‘जीवन तरंग जिंक के संग‘ कार्यक्रम से अब तक 800 से अधिक लाभान्वित