आचार्य महाश्रमण का शहर में पलक-पावड़े बिछा स्वागत

ढाई घंटे की विहार यात्रा में हजारं भक्तों ने की अगवानी, महाप्रज्ञ विहार में कदम रखते ही जयकारा लगा
– आचार्य महाश्रमण बोले-जीवन में कठिनाइयों के बावजूद आत्मबल जरूरी, विरोध हो उसे विनोद समझ कर स्वीकार करो
उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत)।
तेरापंथ जैन समाज के आचार्य महाश्रमण ने आज हिरणमगरी से जैसे ही विहार किया तो हजारों भक्त उनके साथ चले और आगे रास्ते में भी सडक़ के दोनों तरफ भक्तों की कतार थी। आचार्य की एक झलक पाकर उनसे आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों में खासा उत्साह था।
जब आचार्य की धवलवाहिनी जैसे ही विश्वविद्यालय मार्ग से आगे 100 फीट रोड की तरफ बढ़ी तब मार्ग पर आसपास की कॉलोनियों और शहर के उपनगरीय क्षेत्रों से आए भक्तों ने आचार्य की अगवानी की। इस दौरान पूरा जनसमूह आचार्य के साथ जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ते गए। आचार्यश्री महाश्रमण मंगलवार ससंघ हिरण मगरी सेक्टर 4 स्थित तुलसी निकेतन से प्रात : 7.15 बजे विहार कर विभिन्न मार्गों से होते हुए करीब 2.30 घंटे में महाप्रज्ञ विहार पहुंचे।


तेरापंथ सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक पगारिया ने बताया कि तुलसी निकेतन से आचार्यश्री एवं उनकी धवल सेना शोभागपुरा सौ फीट रोड़ स्थित जूडियो शो रूम शुभकेसर गार्डन पहुंची। यहां उपस्थित हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्यश्री की भव्य अगवानी की। यहां से आचार्यश्री की धवल सेना के साथ हजारों लोगों का कारवां अहिंसा यात्रा के रूप में जुड़ गया जो कि महाप्रज्ञ विहार तक साथ चला।
पूरे मार्ग में समाजजन आचार्यश्री के स्वागत में पलक-पावड़े बिछा कर खड़े थे। आचार्यश्री के दर्शनार्थ सडक़ के दोनों किनोरों पर तेरापंथ समाज के सैंकड़ों लोग कतारबद्ध खड़े थे और जयकारों के साथ आचार्यश्री के जयकारे लगा रहे थे। विहार मार्ग में कई स्वागत द्वार लगाये गए जहां तेरापंथ समाज के लोग समूहों में खड़े रहे एवं आचार्यश्रीके चरणों में नतमस्क होकर आशीर्वाद लिया। आचार्यश्री का तेरापंथ युवक परिषद, महिला मंडल व ज्ञानशाला के 100 से अधिक बच्चों ने स्वागत किया।
आचार्यश्री एवं उनकी धवल सेना ने ज्योंही महाप्रज्ञ विहार में प्रवेश किया वहां उपस्थित हजारों समाजजनों के उत्साह और उमंग का कोई ठिकाना नहीं रहा। लगातार जय-जय ज्योति चरण, जय जय महाश्रमण जैसे जयकारों से आसमान गूँजायमान हो गया। आचार्यश्री के स्वागत के लिए पूरे महाप्रज्ञ विहार को दुल्हन की तरह सजाया गया। पंचरंगी जैन ध्वजाएं से सज्जित विशाल पाण्डाल में आचार्यश्री के प्रवेश के बाद ऐसा जन सैलाब उमड़ा कि पूरा पाण्डाल खचाखच भर गया। लेकिन व्यवस्थाएं इतनी सुन्दर की गई कि किसी को भी असहजता या परेशानी नहीं हुई।


महाप्रज्ञ विहार में मंच के सामने दो सामयिक स्थल बनाये गये जिनमें पुरूषों के लिए अलग एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग स्थान बनाये गये। यह सम्पूर्ण आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ प्रोफेशन फोरम, अणुव्रत समिति, तेरापंथ किशोर मंडल एवं तेरापंथ कन्या मण्डल के साझे में किया गया। समारोह में भाजपा नेता प्रमोद सामर, भाजपा के पूर्व शहर जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली, बंशीलाल खटीक, शहर भाजपा जिलाध्यक्ष गजपालसिंह राठौड़, जनार्दन राय नागर विश्व विद्यालय के कुलगुरु एस.एस. सारंगदेवोत, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष कमल नाहटा, सभा उपाध्यक्ष विनोद कच्छारा, अर्जुन खोखावत, कमल पोरवाल, कोषाध्यक्ष भगवती सुराणा, कार्यालय व्यवस्थापक प्रकाश सुराणा, मनोज लोढ़ा सहित जैन समाज के विशिष्ठ जन उपस्थित थे।


 अवसर पर आयोजित धर्मसभा में आचार्यश्री ने कहा कि जहां विरोध हो उसे विनोद समझ कर स्वीकार करो। जीवन में कठिनाइयों के बावजूद हमारे में मनोबल की मजबूती का आत्मबल जरूरी है। आज हर व्यक्ति सुख प्राप्त कर सुकुमार बने रहना चाहता है। दुख किसी को भी रास नहीं आता है। जीवन में हल्की-फुल्की कठिनाई या विघ्न आते ही वह घबरा जाता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में कुछ भी नहीं पाते हैं। जो व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों और विघ्नों के डर से कोई काम शुरू नहीं करते ऐसे लोग निम्न श्रेणी के माने जाते हैं। जो व्यक्ति कार्य तो प्रारम्भ कर देते हैं लेकिन बीच में छोड़ देते हैं ऐसे व्यक्ति मध्यम श्रेणी के माने जाते हैं लेकिन उच्च श्रेणी के लोग तमाम विघ्न और कठिनाइयों के बावजूद विजयी होते हैं। उनके साहस और हिम्मत के आगे कठिनाइयां और विघ्न भी हार जाते हैं। ऐसे लोग ही जीवन में सफल होते हैं। जो लोग जीवन में घबराते हैं और डर कर रहते हैं उनके जीवन में छोटी कठिनाई भी उन्हें बहुत बड़ी लगती है। सफल व्यक्ति वही होते हैं जो कठिनाइयों की परवाह किये बिना कार्य करते हैं और मंजिल को पा लेते हैं। आचार्यश्री ने कहा कि महाप्रज्ञ विहार वो पवित्र जगह हैं जहां पर आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने 2007 में चातुर्मास किया था। उस समय युवाचार्य के रूप में उनका भी यहां प्रवास रहा। उदयपुर वो पवित्र नगरी है जहां पर आचार्य तुलसी ने मर्यादा महोत्सव मनाया।
समारोह के अन्त में तेरापंथ महिला मण्डल प्रस्तुतियों ने सभी मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान मौजूद श्रावक- श्राविकाओं ने आचार्यश्री से उदयपुर में चातुर्मास करने की पुरजोर विनती की।
अपरान्ह को महाराणा मेवाड़ विश्वराजसिंह के नेतृत्व में 50 से अधिक राव-उमरावों ने आचार्यश्री महाश्रमण से भेंट कर आशीर्वाद लिया।
आचार्य महाश्रमण का विहार आज :
सभा के मंत्री अभिषेक पोखरना ने बताया कि बुधवार अपरान्ह 3.30 बजे आचार्यश्री महाश्रमण महाप्रज्ञ विहार से सुखेर के लिए विहार करेंगे। रात्रि विश्राम तेरापंथ सभा के अध्यक्ष कमल नाहटा के प्रतिष्ठान पर करेंगे

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