शिक्षा ऐसी हो जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए- राज्यपाल

एमपीयूएटी का 15 वां दीक्षांत समारोह गरिमापूर्ण संपन्न 
उदयपुर : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर का 15वां दीक्षांत समारोह सोमवार को गरिमापूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। माननीय कुलाधिपति एवं राज्यपाल राजस्थान कलराज मिश्र  ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता  की । प्रारम्भ में राज्यपाल ने उपस्थित विद्यार्थियों, अतिथियों एवं अभिभावकों को संविधान की शपथ दिलाई। दीक्षांत समारोह कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि लालचंद कटारिया माननीय मंत्री कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग, राजस्थान सरकार ने अपना संबोधन दिया एवं डॉ दुर्गसिंह चौहान, पूर्व कुलपति डॉ. ए.पी.जे.ए. कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ ने दीक्षांत उद्बोधन दिया । 
राज्यपाल कलराज मिश्र ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को मातृभूमि के लिए संघर्ष करने वाले प्रथम स्वाधीनता सेनानी की संज्ञा देते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए नए जीवन में प्रवेश का पर्व है जिससे वे अपने अर्जित ज्ञान का समाज और राष्ट्र के हित में उपयोग के लिए तैयार होते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी पदक विजेताओं और उपाधि प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल ने कहा कि विशविद्यालयी शिक्षा का ध्येय यही होना चाहिए कि अज्ञानता के हर स्तर को वह समाप्त करे। जो शिक्षा अंधकार से प्रकाश  की ओर ले जाए, उसी की सार्थकता है। मैं यह मानता हूं कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी के जरिए बहुत बड़े स्तर पर समाज में परिवर्तन किया जा सकता है और महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय यह कार्य बखूबी कर रहा है। इस विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्  की रैंकिंग मे प्रदेश मे प्रथम और समूचे देश मे 15वाँ स्थान प्राप्त किया है और साथ ही पांच वर्षों हेतु प्रमाणन प्राप्त कर श्रेष्ठता के स्तर को बनाए रखा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पूरे परिवार को बधाई दी।
कुलपति डॉ नरेंद्रसिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय ने कोरोना काल में तकनीक के कुशल उपयोग से प्रति सेमेस्टर 11-12 हज़ार ऑनलाइन कक्षाओं के आयोजन से पाठ्क्रमों को पूर्ण करवाया। इससे राजकोष पर बिना किसी अतिरिक्त भार के विश्वविद्यालय ने स्वयं का ऑनलाइन परीक्षा तन्त्र विकसित किया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तकनीक आधारित मिश्रित शिक्षण व्यवस्था पर अधिक जोर दिया गया जो की नयी शिक्षा नीति की सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा। लॉकडाउन के समय विद्यार्थिओं तक विषय वस्तु पहुचाने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा 400 से अधिक ई-मैन्युअल व ई-कम्पेंडियम के सृजन का महत्वपूर्ण कार्य भी किया है। उन्होंने बताया कि  इस अकादमिक सत्र से ही डिग्री प्रमाण पत्र की गुणवत्ता में भी अनेक सुधार किये गए हैं, यह उच्च कोटि के आसानी से न फटने वाले, वाटर प्रूफ और ए-4 साइज के कागज पर तैयार की जाऐगी। डिग्री में अनेक सिक्युरिटी फीचर्स भी अपनाए गये हैं। हिन्दी व अंग्रजी दोनों भाषा में छपी डिग्री पर विद्यार्थी का रंगीन फोटो, क्यूआर कोड इत्यादि अनेक सुरक्षा उपाय भी किये गये हैं।  विश्विद्यालय ने गतिशीलता लाने  के लिए हमने 2 अन्तर्राष्ट्रीय और 24 ख्यातनाम संस्थाओं के साथ शिक्षण , शोध और प्रसार सम्बन्धी ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हें I उन्होंने विद्यार्थियों के स्टार्ट अप, कैंपस प्लेसमेंट अखिल भारतीय शोध परियोजनाओं नयी किस्मो के विकास डिजिटल टेक्नोलॉजी के विकास, हुमनोइड रोबोट की स्थापना, बीजोत्पादन, मत्स्य पालन, विश्वविद्यालय के राजस्व में बढ़ोत्तरी, कृषक महिलाओं[ ग्रामीण युवाओं व फैकल्टी के कौशल विकास, की बात कही ।
कुलाधिपति ने योग्य छात्र छात्राओं को उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। तत्पश्चात क्रमशः डॉ दुर्गसिंह चौहान ने दीक्षांत भाषण में कहा कि  “विद्या सर्वत्रम धनं” उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन करते हुए निरंतर ज्ञानार्जन की बात कही । आज विज्ञान की समग्र शाखाओं को एक प्लेटफार्म पर एकत्रित हो कर विकास करने की आवश्यकता है I कृषि मंत्री ने विश्वविद्यालय में किये जा रहे नवाचारों, आई सी ए आर रेंकिंग में ऊँची छलांग और सभी कॉलेजों के प्रमाणन के लिए माननीय कुलपति की भूरी भूरी प्रशंसा की I उन्होंने प्रदेश में सिमित पानी, जोत और संसाधनों की दृष्टि में जैविक और पारंपरिक कृषि को बढ़ावा देने हेतु शोध के लिए युवाओं को आगे आने का आव्हान किया I 

 विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील इंटोदिया ने बताया कि  दीक्षांत समारोह में 938 उपाधियाँ प्रदान की गयी, जिनमें कृषि, इंजीनियरिंग, सामुदायिक विज्ञान, खाद्य एवं आहारिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी व मात्स्यकी संकाय में 706 स्नातक, 150 स्नातकोत्तर व 82 विद्या-वाचस्पति की उपाधियाँ प्रदान की गयी। इस समारोह में स्नातक स्तर पर सभी संकायों में कुल 13 स्वर्ण पदक, स्नातकोत्तर स्तर पर 16 व पीएचडी स्तर पर 5 एवं जैन इरिगेशन द्वारा इंजीनियरिंग संकाय के 2 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए । इसके अलावा सुश्री मेघा मिश्र को एम टेक में सरवोच अंको से उपाधि प्राप्त करने पर चांसलर्स गोल्ड मेडल प्रदान कियाI कुलपति द्वारा अभियांत्रिकी संकाय के विद्यार्थी शुभम झा को अपने पिताश्री की स्मृति मे ‘‘श्री फूल सिंह राठौड मेमोरियल स्वर्ण पदक‘‘ सहित कुल 38 स्वर्ण पदक प्रदान किए गएI इस दीक्षांत समारोह में प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की पीएचडी छात्रा स्व. शिवानी जौहरी को मरणोपरांत इलेक्ट्रिीकल इंजीनियरिंग मे पीएचडी की उपाधि प्रदान की गयी । उल्लेखनीय है की इस दीक्षांत समारोह में 666 छात्रों को एवं 272 छात्राओं को उपाधि मिली है इनमे से 14 छात्रों और 24 छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है जिसकी माननीय राज्यपाल महोदय ने भी प्रशंसा की है I 
समन्वयक डॉ पी के सिंह ने बताया की समारोह में सुखाडिया विश्वविध्यालय के कुलपति डॉ अमेरिका सिंह, विद्यापीठ विश्वविध्यालय के कुलपति डॉ एस.एस.सारंगदेवोत, पूर्व कुलपति डॉ उमा शंकर शर्मा, जिला प्रशासनिक अधिकारी, प्रबंध मंडल के सदस्य, राज्यपाल के एडीसी, गणमान्य नागरिक, अभिभावक उपस्थित थे I जनसंपर्क अधिकारी डॉ सुबोध शर्मा ने बताया की कार्यक्रम का संचालन कार्यवाहक कुलसचिव व वित्त नियंत्रक श्रीमति मंजू बाला जैन, परीक्षा नियंत्रक डॉ सुनील इंटोदिया एवं डॉ रूपल बाबेल ने किया, कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ I स्मार्ट विलेज समन्वयक डॉ. आई जे माथुर, ने बताया कि  को माननीय राज्यपाल महोदय एम.पी.यू.ए.टी के चयनित ग्राम मदर का दौरा करेंगे वे वहां कृषि प्रदर्शनी एवं सौर वृक्ष का अवलोकन करेंगे और साथ ही गाँव के किसानों से वार्ता करेंगे I 

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