बिटिया के सूरज पूजन को महोत्सव बना कर दिया बेटी बचाओ का सन्देश

उदयपुर। बेटियों के बिना तो  संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। बेटियां हैं तो घर संसार है। बेटियां बिना तो जग ही सुना है। हमारी भारतीय संस्कृति में बेटियों को देवी स्वरूपा माना गया है। हमारे यहां बेटियों की पूजा की जाती है। कभी नव दुर्गा के रूप में तो कभी माता लक्ष्मी, माता सरस्वती के रूप में लेकिन हमारे समाज में ना जाने क्यों बेटियों के प्रति आज भी नकारात्मक सोच देखने को मिलती है। हालांकि समाज में अब तो बेटियों को लेकर काफी जागृति आई है। इसी का परिणाम है कि बेटे के जन्म पर जो खुशियां और महोत्सव मनाया जाता है वैसा ही महोत्सव अब बेटी के जन्म पर भी मनाया जाने लगा है।
बुधवार को बेटी जन्म के बाद सूरज पूजन का ऐसा ही महोत्सव उदयपुर सुखवाल समाज के अध्यक्ष दुर्गेश सुखवाल के परिवार में भी मनाया गया। सुखवाल ने बताया कि आज से 27 दिन पूर्व उनकी बेटी शिप्रा पत्नी कौशल के घर बिटिया दिविशा का जन्म हुआ। नक्षत्र में जन्म होने के कारण 27 दिन का सूरज पूजन कार्यक्रम रखा गया। बिटिया जन्म के इस महोत्सव के सूरज पूजन के दिन को एक यादगार और समाज में बिटिया के प्रति सकारात्मक सोच का संदेश देने के उद्देश्य से एक भव्य आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि पुत्र रत्न की प्राप्ति पर जहां थाली बजाकर और बड़े स्तर पर महोत्सव मनाया जाता है तो क्यों नहीं बिटिया के जन्म पर उसे शहनाई की गूंज के साथ महोत्सव मनाया जा सकता है। क्योंकि बिटिया जगत जननी होती है। चाहे कोई भी त्यौहार, उत्सव या महोत्सव हो बिना नारी के कभी पूर्ण नहीं हो सकता तो फिर आज के दौर में बेटी और बेटे में भेदभाव करना बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता है। बिटिया के जन्म उत्सव को मनाने के पीछे उनका यही उद्देश्य है कि बेटा बेटी एक समान होते हैं। बेटियों को किसी भी सूरत में बेटों से कम नहीं आंकना चाहिए। आज बेटियां चांद पर भी जा चुकी है। देश की सीमा सुरक्षा में भी बेटियों का महत्वपूर्ण योगदान है। देश के हर महत्वपूर्ण पदों पर बेटियां आसीन हैं। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आज महिलाएं हर मुश्किल से मुश्किल काम करने में सक्षम है।
सुखवाल ने बताया कि सूरज पूजन महोत्सव के तहत बुधवार प्रात: 11 बजे अंबामाता स्थित दातार भवन से सुखवाल समाज के नोहरे तक डोली सजा कर उसमें बिटिया की बिंदोली निकाली गई। इसमें जेल के बैंड के साथ ही पूरा शाही लवाजमा जिसमें घोड़े और छतरियां भी शामिल थी सुखवाल समाज के नोहरे तक सुमधुर गीत और धुनों के साथ नाचते गाते हुए परिवारजन समाजजन और अन्य मेहमान पहुंचे।
नोहरे में विधि-विधानपूर्वक नक्षत्र पूजन के साथ बिटिया के सूरज का महोत्सव मनाया गया। सुखवाल ने बताया कि महोत्सव में अंबामाता क्षेत्र में जिन नव दंपतियों की अभी शादी हुई है और जिनकी इसी माह शादी होने वाली है, उन सभी को बिनोला दिया गया। सुखवाल के बेटी जन्म पर आयोजित किए गए इस महोत्सव की हर तरफ सराहना हो रही है। कार्यक्रम में एक नवाचार यह भी देखने को मिला कि जितने भी श्रमिक वर्ग इस महोत्सव में सहभागी बने चाहे बैण्ड वाले, घोड़े वाले, टेंट वाले, कैटरिंग वाले हों या छोटे से छोटा श्रमिक भी हों उन्हें प्रसाद ग्रहण करवाया तथा उनका सम्मान किया गया।

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