आहूतियों के साथ स्वाहा की ध्वनि से यज्ञ पंडाल गूंजायमान हुआ
उदयपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री शक्तिपीठ, सर्वऋतु विलास परिवार की ओर से 3 से 6 नवम्बर तक फतह स्कूल ग्राउण्ड में आयोजित हो रहे विराट 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में दूसरे दिन शुक्रवार को यज्ञ कुंडों में शाकल्य अर्पण के साथ ही अग्नि प्रज्वलित की गई। ज्योंही आहुतियों का क्रम प्रारंभ हुआ स्वाहा की पवित्र सामूहिक ध्वनि से सारा यज्ञ पंडाल गूंज उठा। महा गायत्री मंत्र सूर्य देव एवं महामृत्युंजय मंत्र की आहूतियों का क्रम तीन पारियों में चला जिसकी पूर्णाहूति दोपहर एक बजे हुई।
प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि इससे पूर्व हरिद्वार शांतिकुंज से आई टोली ने देव मंच से सभी देवी-देवताओं एवं ऋषि-महर्षियों का आह्वान किया। वेद मंत्रों के साथ यज्ञ प्रक्रिया को दीक्षित करने के क्रम में सबसे पहले यज्ञ मंडप के अग्नि कोण, नेरित्य कोण, वायु कोण, ईशान कोण तथा आकाश तत्व का पूजन संपन्न हुआ। मंडप के चारों और स्थापित तत्व वेदियों का भी साधकों द्वारा जोड़े के साथ विधिविधान से पूजन करवाया गया। साथ ही पंचतत्व की पूजा विधि भी संपन्न हुई। सप्तर्षियों में महर्षि गौतम, महर्षि भारद्वाज, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि कश्यप, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वशिष्ठ एवं महर्षि अत्रि का आह्वान हुआ। इसके बाद 33 कोटि देवी-देवताओं का जाप करते हुए साधकों से वेद मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना करवाई। माता अरुंधति, माता गौरी, माता गायत्री, माता सरस्वती, माता लक्ष्मी, माता दुर्गा एवं माता धरती का भी पूर्ण विधिविधान से पूजन किया गया। ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र के साथ ही वायु, इंद्र, कुबेर, अश्विन कुमार, सूर्यदेव के साथ ही नव ग्रहों को यज्ञ मंडप में स्थापित किया गया।
पूजा विधि संपन्न होने के बाद हवन कुंडों पर बनाई गई पवित्र सफेद लाल और काली रेखाओं का पूजन किया गया। हवन में शाकल्य के रूप में चंदन, अशोक, पीपल, खांखरे की लकडिय़ों का बुरा, सुपारी, शक्कर, मिश्री पर शुद्ध घी का लेपन कर यज्ञ कुंड में अर्पित किया गया। इसके बाद देव मंच से यज्ञ कुंडों में अग्नि प्रज्वलित करने का आव्हान होते ही वेद मंत्रों के साथ आहूतियों का क्रम चला तो स्वाहा की पवित्र ध्वनी से संपूर्ण यज्ञ पंडाल गूंजायमान हो गया। इसी के साथ देव मंच से लगातार गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न प्रकार के संस्कारों के बारे में ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती रही। इससे पूर्व प्रात: 6 बजे ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग से महायज्ञ कार्यक्रम के आयोजन की शुरुआत हुई।
दोपहर को राजस्थान जोन के प्रभारी डॉ. ओमप्रकाश अग्रवाल के सान्निध्य में राज्यस्तरीय कार्यकर्ता गोष्ठी आयोजित हुई जिसमें महायज्ञ एवं विभिन्न क्रियाप्रकल्पों के बारे में चर्चा की गई।
गायत्री महामंत्र अपने अन्दर छिपे देवत्व को जगाता है : डॉ. चिन्मय पण्ड्या
गायत्री महामंत्र का जाप हमारे अन्दर छिपे देवत्व को जगाता है वहीं यज्ञ वातावरण शुद्धि का कार्य करता है। वेद एवं गायत्री पर सभी का अधिकार है। भारतीय संस्कृति में यज्ञ को पिता एवं गायत्री को माता कहा गया है। उक्त विचार प्रति कुलपति देव संस्कृति विश्व विद्यालय हरिद्वार के डॉ. चिन्मय पंड्या ने शुक्रवार शाम को उपस्थित साधकों एवं श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किये।
डॉ. पंड्या ने गायत्री महामंत्र एवं यज्ञ के माध्यम से देवत्व की प्राप्ति की पक्रिया समझमाते हुए कहा कि परमात्मा हर जगह विद्यमान हैं लेकिन हम उन्हें देख नहीं सकते। हम केवल उनका अनुभव कर सकते हैं। जिस तरह से पानी में शक्कर घुली हुई है। पानी मीठा है लेकिन जब तक हम उसे चख कर उसका अनुभव नहीं कर लेंगे तब तक हमें पता नहीं चल पाएगा कि पानी में शक्कर घुली हुई है। जिस तरह से पानी में शक्कर घुली हुई है उसी तरह से देवता और परमात्मा भी मानव मात्र में शक्कर के समान घुले हुए है लेकिन हम उन्हें देख नहीं पाते। गायत्री महामंत्र और महायज्ञ वो ही उपक्रम हैं जिनको करने से हमें यह अनुभव मिलता है कि देवता और परमात्मा हमारे अन्दर विद्यमान हैं। ऐसा अनुभव और आभास हमें गायत्री महामंत्र का जाप करने और महायज्ञ करने के बाद ही मिल पाता है।
इससे पूर्व पंड्या ने फतहस्कूल प्रांगण में लगी साहित्यएवं गुरूदेव के जीवन पर दर्शाई गई प्रदर्शनियों एवं भोजनशाला का भी अवलोकन किया। इसके बाद पंड्या ज्योंही देव मंच की और आये उनका गायत्री मंत्र के जाप के साथ ही पुष्प वर्षा कर उनका स्वगत अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय कमेटी के डॉ. आलोक व्यास, के. सी. व्यास, वित्त प्रभारी ललित पानेरी, प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली उपस्थित थे।
हेमंत श्रीमाली ने बताया कि शनिवार 5 नवम्बर को प्रात: 6 बजे ध्यान साधना एवं प्रज्ञा योग, प्रात: 8 बजे गायत्री महायज्ञ एवं विभिन्न संस्कार, दोपहर 2 बजे ‘आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी’ पर कार्यकर्ता गोष्ठी, सायं 6 बजे परमपूज्य गुरुदेव का सन्देश वाचन शैलबाला पण्ड्या एवं डॉ. प्रणव पण्ड्या द्वारा किया जाएगा। साथ ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पुंसवन संस्कार एवं दीप यज्ञ का आयोजन होगा।