उदयपुर। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जन्म से बहरेपन से जूझ रहे मात्र 4 वर्षीय रोगी का नाक, कान, गला रोग विभाग से डॉ. ए.के. गुप्ता, डॉ. वी.पी. गोयल, डॉ. प्रितोष शर्मा, डॉ. नितिन शर्मा, डॉ. अनामिका, एन्स्थिसियोलाजिस्ट डॉ. अल्का छाबड़ा, डॉ. पिंकी मीणा, ऑडियोलॉजिस्ट एवं स्पीच थेरेपिस्ट डॉ. भागवत कुमार द्वारा सफल कॉकलियर इम्प्लांट किया गया। बच्चे की सर्जरी के दौरान आरएनटी से डॉ. नवनीत माथुर को मेंटर के रूप में आमंत्रित किया गया।
कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी सामान्य रूप से बेहोश करके की जाती है। सर्जन कान के पीछे स्थित मस्तूल की हड्डी को खोलने के लिए एक चीरा लगाते हैं। चेहरे की नस की पहचान की जाती है और कॉकलिया का उपयोग करने के लिए उनके बीच एक रास्ता बनाया जाता है और इसमें इंप्लांट इलेक्ट्रोड्स को फिट कर दिया जाता है। इसके बाद एक इलेकट्रोनिक डिवाइस जिसे रिसीवर कहते हैं, उसे कान के पीछे के हिस्से में चमड़ी के नीचे लगा दिया जाता है और चीरा बंद कर दिया जाता है।
डॉ. प्रितोष शर्मा ने बताया डूंगरपुर निवासी 4 वर्षीय दक्षकुमार (परिवर्तित नाम) बचपन से सुन नही पाता था। इस कारण से वह बोल भी नहीं सकता था। बच्चे का उपचार केन्द्रीय सरकार की एडिप योजना के अंतर्गत पूर्णत: नि:शुल्क किया गया है। डॉ. शर्मा ने बताया कि गीतांजली हॉस्पिटल में इस आधुनिक चिकित्सा पद्धति से अब तक 10 कॉकलियर इम्प्लांट प्लांट सफलतापूर्वक हुए हैं और सभी बच्चे स्वस्थ हैं। इस इम्प्लांट के पश्चात रोगी को स्पीच थेरेपी दी जाती है जिससे बच्चा धीरे-धीरे बोलने लगता है अपनी उम्र के मुताबिक बोलना शुरू कर देता है।
जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि यदि बच्चा बोलने/सुनने में सक्षम नहीं है, तो ऐसे में सर्व सुविधाओं से युक्त गीतांजली हॉस्पिटल के ई.एन.टी विभाग में अवश्य दिखाएँ। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल पिछले 16 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है, गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है।
गीतांजली हॉस्पिटल में 4 वर्षीय बच्चे का सफल कॉकलियर इम्प्लांट
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