उदयपुर। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने के लिए स्थानीय स्तर पर अनूकुलन के प्रयास किए जाएं तो इससे होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। ये विचार अलर्ट संस्थान द्वारा आयोजित शैक्षणिक भ्रमण के दौरान उभर कर सामने आए। अलर्ट संस्थान द्वारा वागड़ा जलग्रहण क्षेत्र में नाबार्ड ए.एफ.बी. के सहयोग से संचालित जलवायु परिवर्तन परिप्रेक्ष्य में जलग्रहण विकास कार्यक्रम के तहत किसानों को बछार, डोडावली स्थित महान सेवा संस्थान द्वारा संचालित एकीकृत जलग्रहण विकास के द्वारा जल आर्थिक क्षेत्र का निर्माण के तहत की गई गतिविधियों की जानकारी ली।
शैक्षणिक भ्रमण के दौरान आपसी अनुभवों के आदान-प्रदान हेतु एक कार्यशाला रखी गई। इसमें अलर्ट संस्थान के अध्यक्ष जितेन्द्र मेहता ने परियोजना के तहत किए गए प्रयासों की जानकारी दी और कहा कि अब समय सौर ऊर्जा, बूंद-बूंद सिंचाई एवं कृषि के उन्नत तरीकों को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आय संवर्धन भी करना होगा।
महान सेवा संस्थान के राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है और इसका प्रभाव हम सभी पर पड़ रहा है। जल संकट सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। अतः हमें सर्वप्रथम वर्षा जल को विभिन्न तरीकों से रोककर कृषि में उपयोग करना होगा। साथ ही ग्रामीण स्तर पर किसानों को नवीन तकनीकों को अपनाना होगा। इस दौरान डी.एस. ग्रुप के मनीष शर्मा ने जैविक कृषि एवं आय संवर्धन हेतु विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। अलर्ट संस्थान के संस्थापक बी. के. गुप्ता ने पारम्परिक जल संरक्षण को पुनर्जीवित करने हेतु प्रेरित किया।
इसके बाद बछार स्थित सोलर लिफ्ट सिंचाई प्रणाली एवं एनीकट का अवलोकन किया गया। बूंद-बूंद सिंचाई के माध्यम से सब्जी उत्पादन तथा विभिन्न जल संरचनाओं का अवलोकन कर जानकारी ली गई। महान सेवा संस्थान के अमन जैन ने बताया कि संस्थान द्वारा पूरे गांव को सोलर लिफ्ट एवं ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से जल उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे किसानों को अधिक समय तक जल उपलब्ध होगा और विभिन्न फसलों के साथ-साथ सब्जी एवं फल उत्पादन करके अपनी आजीविका बढ़ा सकेंगे। गजेन्द्र कलाल ने रेनगन एवं ट्रैलिस वाड़ी के बारे में बताया। शैक्षणिक भ्रमण के दौरान अलर्ट संस्थान द्वारा संचालित जल संरक्षण एवं जल संरचना निर्माण कार्यक्रम के तहत निर्मित विभिन्न जल संरचनाओं, वाड़ी विकास कार्यक्रम की जानकारी भी ली गई। शैक्षणिक भ्रमण में अलर्ट संस्थान के जिला समन्वयक प्रतीक्षा मेहता, दामिनी शर्मा, क्षेत्र समन्वयक मकनाराम परमार सहित 30 किसानों ने भाग लिया।
जलवायु के प्रभाव को सीमित करने के लिए स्थानीय स्तर के प्रयास की आवष्यकता
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