फाउण्डेशन ने मनाया ‘उदयपुर स्थापना दिवस’

उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत )। ‘उदयपुर स्थापना दिवस’ पर महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन रखा गया जिसमें उदयपुर नगर के इतिहास, पर्यावरण, जीवंत विरासत, अरावली की बनावट और उसमें पाये जाने वाले खनिज के साथ ही रियासत काल से लेकर वर्तमान तक उदयपुर के क्रमिक विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति, आवागमन के साधन आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। ख्यातनाम इतिहासकारों में डॉ. जे.के. ओझा, डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित और डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू ने अपने जीवन से जुडे़ उदयपुर नगर के संस्मरणों को सबके साथ साझा किया।
राजस्थान सरकार के पूर्व मुख्य नगर नियोजक डॉ. सतीश श्रीमाली ने उदयपुर की प्राचीन सुन्दरता और उसकी बसावट, प्राचीन वास्तुकला, सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डॉ. मनीष श्रीमाली ने मठ-आश्रम की शिक्षा व्यवस्था से लेकर विश्वविद्यालयों की स्थापना और आवश्यकता, डॉ. देवेन्द्र गोयल ने उदयपुर के पर्यावरण बदलाव और नुकसान से होने वाले वेक्टर जनित रोगों, डॉ. हरीश कपासिया ने मेवाड़ की भू-विरासत और उसकी विभिन्नता, डॉ. सृष्टि राज सिंह ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की विरासत संरक्षण योजना, डॉ. रेखा पुरोहित ने राजस्थान की महिलाओं के पारंपरिक आभूषण एवं अनुराधा श्रीवास्तव ने उदयपुर नगर स्थापना पर संक्षित ऐतिहासिक जानकारियां दी।
फाउण्डेशन की अनुसंधान अधिकारी डॉ. स्वाति जैन ने गोष्ठी का संचालन करते हुए सभी का स्वागत किया और उदयपुर के प्राचीन नक्शों पर प्रजेन्टेशन प्रस्तुत किया तो प्रियंका सेठ, वत्सला और गीतिका कुमार ने सिटी पैलेस संग्रहालय की दर्शनीय गैलेरियों और मेवाड़ की जीवंत विरासत पर की जाने वाले गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने महाराणाओं के योगदान को धन्यवाद करते हुए बताया कि मेवाड़ का चौदह सौ वर्षों का इतिहास गुरु-शिष्य परम्परा के निर्वहन का रहा है। महाराणाओं ने सदैव गुरु आज्ञा से ही मेवाड़नाथ प्रभु श्री एकलिंगनाथजी के ‘एकलिंग दीवान’ बनकर राज्यधर्म के सेवाकर्म को निभाया था।
अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर ‘उदयपुर स्थापना दिवस’ का, निरंतर मेवाड़-मुगल संघर्ष के चलते महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने राज्य और प्रजा हित में एक नवीन राजधानी बसाने का विचार किया और मेवाड़ की गिर्वा घाटी के वनाच्छादित पर्वत श्रेणी को चुना। जहां पीछोला झील किनारे वाली पहाड़ी पर एक सन्यासी प्रेमगिरी गोस्वामी धुणी रमाते थे। महाराणा ने वहां पहुंच गोस्वामी का सम्मान कर प्रणाम निवेदित किया। प्रेमगिरी बहुत बड़े तपस्वी थे, उन्होंने महाराणा उदयसिंह के मन की ईच्छा को जान लिया और उन्होंने महाराणा को एक नये नगर निर्माण का आशीर्वाद प्रदान किया तथा अपनी इच्छा व्यक्त की कि इस धुणी को यथास्थिति रखा जाये तो मेवाड़ के लिये सदैव श्रेष्ठ रहेगा। सन्यासी प्रेमगिरी गोस्वामी के वचनानुसार पवित्र धुणी को मेवाड़ के महाराणाओं ने अब तक यथावत रखा है। इस प्रकार संत की आज्ञा से महाराणा ने नवीन और सुरक्षित राजधानी की नींव रखीं। महाराणा उदयसिंह ने सर्वप्रथम यहां निर्माण आरम्भ करवा नये नगर की स्थापना की थी।

Related posts:

श्रीमाली समाज सामुहिक करवा चौथ उद्यापन — संस्कार भवन हुआ सजकर तैयार, 800 महिलाएं एक साथ करगी चन्द्र ...

लेकसिटी के मॉडल स्कूल के रूप में विकसित हो रहा है बेदला गाँव का बालिका स्कूल

Hindustan Zinc conferred with prestigious ‘5 Star Rated Mines’ award by Ministry of Mines

हिन्दुस्तान जिंक और मंजरी फाउण्डेशन के सहयोग से महिलाएं बना रही स्कीन फ्रेण्डली गुलाल

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बेटे हरितराज सिंह मेवाड़ के साथ ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्रों काे पूजा

सैयदना साहब की मोहर्रम में दस वाअज़ का यूट्यूब पर पहली बार लाइव प्रसारण

पीआईएमएस में आयोजित रक्तदान शिविर में 13 यूनिट रक्त संग्रहीत

Hindustan Zinc’s Unchi Udaan – Empowering the present. Transforming the future

हिन्द जिंक डीएवी जावर माइन्स विद्यालय का उत्कृष्ट रहा परिणाम

राज्यपाल श्री कटारिया ने किया नेहरू गार्डन का निरीक्षण

शिविर में 107 यूनिट रक्तदान

Hindustan Zinc celebrates International Women’s Day

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *