हिन्दुस्तान जिंक के जीवन तरंग कार्यक्रम से जुड़े मूक बधिर बच्चों ने संजोयी अपनी भावनाएं
उदयपुर : इस बार दिवाली में आप द्वारा की गयी दियों और कपड़ें के थैलों की खरीददारी न सिर्फ आपके लिये खास होगी बल्कि उन बच्चों के चेहरों की मुस्कान भी बढ़ा देगी जिन्होंने मन और संकेतों के साथ अपने हुनर से इन्हें रंगो से सजाया है। अजमेर, भीलवाड़ा और उदयपुर के मूक बधिर विद्यालय के बच्चों द्वारा निर्मित दिये और कपड़े के थेलो को दिवाली स्टाॅल पर हार्ट्सविथफिंगर्स के तहत आप खरीद सकेगें। हिन्दुस्तान जिंक की सीएसआर पहल जीवन तरंग से जुडे़ इन होनहारों ने मिट्टी के दियों और कपड़े के थैलो को प्रशिक्षकों द्वारा सांकेतिक भाषा में सिखाने और हिन्दुस्तान जिंक के कर्मचारियों द्वारा मदद के साथ साथ अपने मन की भावनाओं से इन्हें सुदंर रंगो से आकर्षक बनाया है।
इन्हें बनाने में मदद के लिये व्यवसायिक साझेदारों सहित हिन्दुस्तान जिंक के 28 कर्मचारियों ने भाग लिया। मूक बधिर विद्यालय के 150 मूक-बधिर बच्चों द्वारा यह दिये और कपड़ों के सुदंर थैले बनाए गए है। यें बच्चें बधिर विद्यालय अजमेंर, अभिलाषा विशेष विद्यालय, उदयपुर मूक बधिर विद्यालय, भीलवाड़ा के विद्यार्थी है जो हिन्दुस्तान जिंक के जीवन तरंग जिंक के संग कार्यक्रम से जुडे़ हुए है। इस पहल का उद्देश्य बच्चों में उद्यमशीलता की भावना जगाना तथा साथ ही उनके व्यावसायिक कौशल को बढ़ावा देना है।
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा जीवन तरंग कार्यक्रम का संचालन वर्ष 2017 में विशेषयोग्यजन व्यक्तियों को बेहतर शैक्षिक अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने और अंततः उन्हें अपने परिवार के योगदानकर्ता सदस्य में बदलने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से लगभग 700 से अधिक दृष्टिहीन और मूक बधिर बच्चों को बेहतर शिक्षा से जोडा गया है। इनमें से लगभग 600 ने एक समर्पित पाठ्यक्रम के माध्यम से भारतीय सांकेतिक भाषा सीखी है और 100 से अधिक दृष्टिबाधित बच्चों को प्रौद्योगिकी डेजी प्लेयर, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, एमएस-ऑफिस, ऑनलाइन शिक्षण सामग्री तक पहुँचने के लिए सॉफ्टवेयर आदि का उपयोग में प्रशिक्षित किया गया है। जीवन तरंग जिंक के संग कार्यक्रम इन विशेषयोग्यजन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर तरह की सहायता देने हेतु प्रयासरत है ताकि ये बच्चे अपने परिवार के योगदानकर्ता सदस्य बन सकें और सम्मानजनक जीवन जी सकें। हिन्दुस्तान जिंक ने मूक बधिर लोगों के लिए साइन लैंग्वेज टेªनिंग का शुभारंभ करने तथा नेत्रहीनों को टेक्नाॅलोजी पर आधारित शिक्षा एवं इनकी शिक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए सराहनीय कदम उठाएं हैं।