उदयपुर : पैराकोट की सहायक कंपनी पैरासेफ, यात्रा के सभी साधनों में सुरक्षा को प्राथमिकता देकर मोबिलिटी को पुनः परिभाषित करने के लिए समर्पित है। सड़क सुरक्षा टूल्स में क्रांतिकारी बदलाव लाने और सड़क जागरूकता को एक स्टैंडर्ड प्रैक्टिस के रूप में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध, पैरासेफ ने जागरूकता बढ़ाने और सुरक्षा में सुधार के लिए कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करने के लिए व्यापक शोध किया है और श्वेत पत्र प्रकाशित किए हैं।
भारत की सबसे ज़रूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे की चुनौतियों में से एक है- सड़क सुरक्षा। 2022 में, सड़क दुर्घटनाओं ने दुखद रूप से 1.68 लाख लोगों की जान ले ली। वाहन टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढाँचे में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, मूल कारण अभी भी बने हुए हैं जो हैं- अज्ञानता (65 प्रतिशत) और कानूनों का कमज़ोर अमल (52 प्रतिशत)। पैरासेफ की रिपोर्ट इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालती है, जिसमें टियर 2 और टियर 3 शहरों में सड़क सुरक्षा जागरूकता और अभ्यास की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया है।
पैरासेफ के सीईओ राजेश पोद्दार ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर कहा कि सड़क सुरक्षा का मतलब सिर्फ़ नियमों का पालन करना नहीं है, यह जीवन बचाने के बारे में है। उद्योग जगत के अग्रणी के रूप में, सभी स्टेकहोल्डरों- सरकार, उद्योग और नागरिकों के बीच जवाबदेही को बढ़ावा देना हमारी ज़िम्मेदारी है। निष्कर्षों से पता चलता है कि सड़क सुरक्षा तैयारियों में अंतराल को पाटने की तत्काल आवश्यकता है। पैरासेफ में, हम मानते हैं कि प्राथमिक चिकित्सा किट और हार्नेस जैसे आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता और पहुँच दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम कर सकती है। अब समय आ गया है कि हम भारत की सड़कों पर हर यात्रा को सुरक्षित और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एकजुट हों।
रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े : 65 प्रतिशत उत्तरदाता सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। आईएसओफिक्स बाल सुरक्षा प्रणालियों के बारे में जागरूकता केवल 26 प्रतिशत है, तथा केवल 19 प्रतिशत लोग ही दोपहिया वाहनों के लिए बाल सुरक्षा हार्नेस के बारे में जानते हैं। 22 प्रतिशत उत्तरदाता पीछे की सीट बेल्ट का उपयोग कर रहे हैं 80 प्रतिशत वाहन उपयोगकर्ताओं ने कभी यह नहीं जांचा कि उनके सार्वजनिक या निजी परिवहन वाहन में प्राथमिक चिकित्सा किट उपलब्ध है या नहीं। सड़क दुर्घटना – 95 प्रतिशत ने दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने की इच्छा व्यक्त की, 48 प्रतिशत को कानूनी नतीजों का डर है, और 32 प्रतिशत में कार्रवाई करने के लिए आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान की कमी है।
सड़क सुरक्षा संकट से निपटने और मौतों को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है। स्कूलों, अस्पतालों और मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को लक्षित करने वाले राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान छोटी उम्र से ही सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं। स्वचालित अनुपालन प्रणाली, उल्लंघन के लिए ज्यादा जुर्माना और सीट बेल्ट तथा प्राथमिक चिकित्सा किट जैसे सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्य जाँच जैसे सख्त प्रवर्तन उपाय अहम हैं।
सहायक नीतियां समाज के सभी वर्गों को नियम अपनाने को प्रोत्साहित कर सकती हैं मिसाल के तौर पर चाइल्ड सीट और आपातकालीन किट जैसे सुरक्षा उपकरणों के लिए सब्सिडी देना, गुड सेमेरिटन कानून और प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण से नागरिक कानूनी नतीजों के डर के बिना दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने के लिए सशक्त होंगे, जिससे सभी के लिए सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा मिलेगा।