उदयपुर। वाणिज्य एवं प्रबंध महाविद्यालय के बी वोक (ऐ टी ऐ) कार्यक्रम सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय तथा तथा बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर्स मुंबई फोरम के संयुक्त तत्वाधान में सोमवार को पांच दिवसीय का वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन प्रोफेसर डीएस चुंडावत, वाइस चेयरमैन, स्टेट हेयर एजुकेशन काउंसिल द्वारा किया गया। यह कार्यक्रम 17 अगस्त से 21 अगस्त स्टॉक मार्किट के समकालीन महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित रहेगी।
इस अवसर पर प्रोफेसर डीएस चुंडावत ने स्टॉक एक्सचेंज की कार्यप्रणाली तथा नई शिक्षा नीति के बारे में बताया तथा कहा आने वाला समय कौशल विकास का होगा। वोकेशनल कोर्सेज का होगा। इस तरह के कार्यक्रम विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल सीखने को मिलता है। प्रारंभ में लेखांकन एवं व्यावसायिक सांख्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वर्कशॉप डॉयरेक्टर प्रो. शूरवीरसिंह भाणावत ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि आज हमारे देश में कौशल विकास पर फॉर्मल एजुकेशन लेने वाले केवल 5.2 प्रतिशत छात्र हैं जबकि साउथ कोरिया में यह प्रतिशत लगभग 96 प्रतिशत हैं। कौशल विकास के लिए प्रैक्टिकल वर्कशॉप का अहम योगदान होता है। वर्कशॉप में आपको इक्विटी अंशों में ट्रेडिंग कैसे की जाती है उसके बारे में प्रैक्टिकल ऑनलाइन मोड से सिखाया जाएगा। इससे आप शेयर व्यवसाय की बारीकियां सीख सकते हैं। आयोजन सचिव डॉ. आशा शर्मा ने बताया कि वर्कशॉप में देश के विभिन्न हिस्सों से 472 सदस्यों रजिस्ट्रेशन करवाया है।
प्रो. रेनू जटाना अधिष्ठाता वाणिज्य एवं प्रबंध महाविद्यालय ने गतिविधि की आवश्यकता तथा निवेश की जानकारी महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सरकार ने अपना मंतव्य नई शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से प्रेषित करने का प्रयास किया है जिसका मूल उद्देश्य छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को विकसित करने के बजाय उसमें अंतर्निहित क्षमता का उपयोग करते हुए कौशल विकास पर जोर देना है।
कार्यक्रम के स्पीकर रूहिया गल्र्स कॉलेज मुंबई के डॉ. गनत्र कश्यप ने प्रैक्टिकल बातों का समावेश करते हुए डी- मेटअकाउंट तथा स्टॉक मार्केट की कार्यप्रणाली को समझाते हुए कहा कि शेयर बाजार दुनिया भर से लाखों लोगों को आकर्षित करता है। शेयर बाजार से केवल लाभ के बारे में नहीं है, बल्कि जोखिम के बारे में जानने, समझने, जोखिम को कम करने, जोखिम को नियंत्रित करने, जोखिम को टालने और डायवर्सिफाइड करने अलग विभिन्न प्रकार के पोर्टफोलियो बनाने आदि के बारे में सीखने का अवसर मिलता है ताकि लाभ को अधिकतम किया जा सके। कार्यक्रम का संचालन डॉ. समता ऑर्डिया ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. आशा शर्मा ने ज्ञापित किया।