झीलों के शहर में इण्डिया आसियान देशों कलाकारों ने सजाये अपनी तुलिका से प्रकृति के रंग

कला और संस्कृति के आदान प्रदान के लिये जुटे देश विदेश के 20 कलाकार

उदयपुर। भारत कला और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में विशेष रूचि रखता है इसी भावना के मध्येनजर झीलों की नगरी उदयपुर में ओशियनस ऑफ कनेक्टीविटी थीम पर विदेश मंत्रालय की पहल पर कला संस्कृति के आदान-प्रदान के लिये देश-विदेश के 20 कलाकार जुटे हैं। ये कलाकार अपनी तुलिका से रंग संजोकर कला का परिचय देते हुए नये आयाम स्थापित करने का स्तुत्य प्रयास कर रहे हैं। अपने प्रकार के इस अनूठे आयोजन में आसियान देशों के 10 और भारत के 10 कलाकार अपनी कल्पना अनुरूप छवि उकेर कर युवाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस कला संगम में 50 प्रतिशत महिला कलाकारों के साथ ही युवा और अनुभवी कलाकारों का समागम हुआ है।
इण्डिया-आसियान देशों के रिश्तों को 30 साल पूरे होने के मौके आयोजित इस कलासंगम में भारत सहित नेई, कमोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपींस सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस आदि देशों के 20 कलाकार आए हैं। कैंप का समापन समारोह 19 अक्टूबर को मुख्य अतिथि विदेश राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह के आतिथ्य में होगा।


सहर के संस्थापक एवं कार्यक्रम संयोजक संजीव भार्गव ने बताया कि उदयपुर उनकी कर्मभूमी है यहां समृद्ध विरासत, परंपरा, सुंदरता के साथ ही आसानी से आना-जाना और रहने में सुगमता है। यह युवा और अनुभवी कलाकारों का समागम है जिसका उद्धेश्य संस्कृति और कला का आदान-प्रदान है। सहर ने अब तक ताजमहल के 350 वर्ष, खजुराहों के हजारों साल, मॉरीशस ट्यूरिज्म, सार्क ब्रिगिंग पीपल टू पीपल पर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये हैं। यह मुख्य रूप से लेग्वेज आफ कल्चर परर्फोमिंग आट्र्स एण्ड म्यूजिक आटर््स की भावना का आयोजन है। आसियान इण्डिया म्यूजिक फेस्टिवल दिल्ली में 18 से 20 नवंबर को पुराना किला में आयोजित किया जाएगा, जिसके बाद शिलांग में यह उत्सव प्रस्तावित है। इसके माध्यम से आसियान को भारतीय कला से रूबरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। भार्गव के अनुसार इण्डिया और आसियान ने रजत जयंती के उपलक्ष्य में कलाकारों को एक मंच पर लाने की अनूठी पहल की है वहीं पूर्व में तैयार की गयी पेंटिंग्स को विदेश मंत्रालय द्वारा अलग अलग स्थानों पर प्रदर्शित किया गया है।
दूसरे कलाकारों से मिलती है सीख और प्रेरणा : नूपूर कुण्डू
इस आयोजन में दिल्ली से आयी कलाकार नूपूर कुण्डू पिछले 25 वर्षों से पेटिंग्स के माध्यम से लोगों का मन जीत रही है। वे अब तक 1500 से अधिक अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। वे अपनी तुलिका के माध्यम से रंगों पर विशेष ध्यान देते हुए इम्पेस्टो तकनीक, पैनेट नाइफ से पैंटिग, चॉयस मिडियम एवं ज्यादातर थीम आधारित पैलेट स्केप्स के साथ ही कोविड के दौरान कोरन्टाईन थीम, एब्सेट्रेक्ट लेण्ड स्केप्स पर पेंटिंग्स बनाती रही है। उनका कहना है कि इस समागम में उन्हें दूसरे कलाकारों के साथ काम करने में सीख और प्रेरणा मिलती है। उन्हें पेंटिंग्स बनाने में सुखद अनूभूति हो रही है क्योंकि यहां संगीत और नृत्य से जुडे कलाकारों के साथ अधिक उत्साह से कार्य करने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया कि ताज चण्डीगढ़ में 20 फिट की कलाकृति जो कि सेलिबे्रशन आफ लाईफ एण्ड कलर्स की थीम पर आधारित है वहीं गंगा थीम पर आधारित पेंटिंग चायना नेश्नल पेंटिंग एकेडमी में लगी है जो कि बिजिंग में स्थापित है।
भारत के कलाकारों से सीखना उपलब्धि : फ्लीन
वियतनाम से आयी कलाकार फ्लीन ने बताया कि वह पहली बार सहर से जुड़ी है और इस तरह की प्रदर्शनी में आकर बहुत उत्साहित है उनकी पेंटिंग की थीम लेण्डस्केप ऑफ ऑशियन एट नाईट है, जिसे देखने से लगता है उसमे मून लाईट के साथ समूद्र को दर्शाया गया है जो कि मून और ऑशियन के बीच जुड़ाव को दर्शाता है जो कि आकर्षण का केंद्र है। उन्होंने बताया कि भारत आकर यहा के कलाकारों से मिलना और सीखना एक उपलब्धि और महत्वपूर्ण अवसर है।

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