मेवाड़ की खनिज सम्पदा समृद्धि की पर्याय

धातु, खान और तकनीक का आर्थिक एवं वैज्ञानिक महत्व
सुविवि में खनिज, खदान एवं धात्विकी पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू

उदयपुर। दक्षिण राजस्थान संपूर्ण एशिया में समृद्धि का सूचक रहा है। संसार के व्यापारियों एवं धातुविदों की दृष्टि इस क्षेत्र के जावर, दरीबा, आगुचा आदि खानों पर रही और हजार वर्ष पहले भी कर्नाटक, गुजरात, पंजाब, सिंध आदि के व्यापारी मेवाड़ आकर बसे, जो राजकीय संरक्षण में धातुओं का व्यापार कर संसार की औद्योगिक और सामाजिक प्रगति में सूत्रधार बने। उक्त विचार आज यहां सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में आरम्भ हुई ‘मिनरल्स, माईनिंग एंड मेटेलर्जी इन साउथ एशिया : हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव्स’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश से आए विद्वानों ने प्रकट किए। संगोष्ठी के प्रायोजक आईसीएसएसआर, आरएसएमएमएल, वंडर सीमेन्ट एवं हिन्दुस्तान जिंक हैं।


उद्घाटन सत्र में पद्मश्री से अंलकृत प्रसिद्ध धात्विक इतिहासकार प्रो. शारदा श्रीनिवासन ने कहा कि धातु केवल धन ही नहीं, मानवीय संस्कृति के उन्नति के बोधक भी है। धातु हमारे अलंकरण, मूर्ति, द्वार आदि के लिए उपयोगी रहे और भारत में हर युग में धातु का महत्व रहा। इतिहास, हमारे व्यापार और संबंधों को भी यदि परिभाषित करता है, तो उसके मूल के धातु और धन ही है। मेवाड़ की धरती इसका पर्याय है।
प्रारम्भ में संगोष्ठी समन्वयक डॉ. पीयूष भादविया, सहायक आचार्य, इतिहास विभाग, मो.ला.सु.विवि., उदयपुर ने खनिज, धातु और धातु शोधक तकनीक विषय पर संगोष्ठी की उपयोगिता बताई।
विशिष्ट वक्ता श्रीलंका की प्रो. चुलानी रामबुकवेला ने कहा कि राजस्थान की खनिज सम्पदा पर संसार भर की नजर रहती है। यह धातु की धरती हैै। लंका, कर्नाटक आदि के अभिलेखीय प्रमाण धातु और सम्बन्धों को समझने के लिये बडे उपयोगी हैं।
इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ ने मेवाड़ को धात्विक खनिज सम्पदा की भूमि बताया और दरी, दरीबा, जावर, आगूचा, भूखिया आदि में प्राचीनकाल से ही हो रही खनन गतिविधियों को इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि धात्विक समृद्धि के कारण ही मेवाड़ ढाई हजार वर्षो तक आक्रमणकारियों के लिए रण बना रहा।
मुख्य अतिथि ले. जनरल अनिल कपूर ने कहा कि धातु की उपलब्धि और समृद्धि, देशों की उन्नति को परिभाषित करती है, कोहिनूर एक उदाहरण है। खाने हमें समृद्ध बनाने वाली रही है। यह विषय हमें नई पीढिय़ों को पढ़ाने चाहिए, क्योंकि यह आत्मनिर्भरता के सुन्दर उपाय है।
अध्यक्षता कर रही सुविवि की कुलपति प्रो. सुनिता मिश्रा ने कहा कि धातु और उसकी धारणा को हम कोई कभी नहीं भूल सकते, क्योंकि वे हमारे दैनिक जीवन से जुड़े हुए है। धातु से किसी को अलगाव अच्छा नहीं लगता है। मेवाड़, धातु के मूल्य को समझता है और इसी दृष्टि से इस संगोष्ठी का महत्व है। इसकी चर्चा और महत्व आने वाला समय सिद्ध करेगा।
संगोष्ठी की उपयोगिता को विभागाध्यक्ष प्रो. प्रतिभा ने प्रतिपादित की और देश-विदेश से आने वाले शोधार्थियों, अध्येताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन दीपांक्षी धाकड़ एवं सुचिता हिरण ने किया।
संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर डॉ. पीयूष भादविया द्वारा संपादित ‘एनिमल्स इन साउथ एशियन हिस्ट्री’ और ‘भारतीय इतिहास में पशु-पक्षी’ तथा संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में अर्मेनिया की डॉ. नायरा मर्कचयन, नेपाल की प्रो. पूनम आर. एल. राणा, श्रीलंका से डॉ. सोनाली दसनायके, डॉ. दसनायके, डॉ. उपेक्षा गमांग, प्रो. चुलानी रामबुकवेला, नलिन जयसिंहे सहित भारत के 14 राज्यो से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

Related posts:

जिंक फुटबाल यूथ टूर्नामेंट का शानदार आगाज, डीएवी एचजेडएल जावर माइन्स (लडक़े) और लकी फुटबाल क्लब (लड़क...

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज ने किए श्रीजी प्रभु की राजभोग की झांकी के ...

आर्य समाज के नवलखा महल में पहली बार दृश्य माध्यम से वैदिक शिक्षाओं का प्रसार

India’s first “Child Priority Zone” inaugurated in Udaipur

ध्यान साधक के चातुर्मास प्रवेश पर उमड़ा आस्था का हुजूम

रक्तदान शिविर में 73 यूनिट रक्त संग्रहित

Amazon expands its Pantry service to over 300 cities in India

भारतीय अर्थव्यवस्था एवं बैंकिंग क्षेत्र -एक नए युग में प्रवेश विषय पर व्याख्यान

एक्सकॉन 2019 का जोरदार शुभारंभ

Hindustan Zinc Certifies as a ‘Great Place to Work’ for the fifth time in a row

लोकजन सेवा संस्थान ने मनाया 73वां भारत स्काउट गाईड स्थापना दिवस

सजल नयनों से विदा हुईं 51 बेटियां, 102 परिवारों के घर सजी खुशियों की डोली