अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवसः द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में शिकार-रोधी प्रयासों को किया प्रोत्साहित

उदयपुर : अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के उपलक्ष्य में 29 जुलाई को द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में महत्वपूर्ण संरक्षण इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। वेदांता लिमिटेड की समाज प्रभाव शाखा अनिल अग्रवाल फाउन्डेशन के तत्वावधान में द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने वन्यजीवन संरक्षण एवं पारिस्थितिक स्थायित्व के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने टाइगर रिज़र्व में पांच दो-मंज़िला शिकार रोधी कैम्प्स का निर्माण कार्य शुरू किया है। हर कैम्प तकरीबन 762 वर्गफीट क्षेत्रफल में फैला है और पूरी तरह से सौर उर्जा द्वारा संचालित है। चौबीसों घण्टे निगरानी में रहने वाला यह कैम्प स्थायित्व को सुनिश्चित करता है। ये आधुनिक कैम्प वन कर्मचारियां की निरंतर मौजूदगी को सुनिश्चित कर पैट्रोलिंग के प्रयासों को मजबूत बनाएंगे, और शिकार के खिलाफ़ लड़ाई में पहरेदार की भूमिका निभाएंगे। इसके साथ द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने वन विभाग के अधिकारियों के लिए सर्विलान्स व्हीकल भी तैनात किए हैं, जो रिज़र्व के चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में तुरंत प्रतिक्रिया एवं गतिशीलता को सुनिश्चित करेंगें।


राजस्थान के बूंदी ज़िले में स्थित यह नया टाइगर रिज़र्व रामगढ़ विषधारी, भारत का 52वां रिज़र्व है, जो 1500 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह अपने कोर और बफ़र ज़ोन के साथ रणथंबौर एवं मुकुंदरा टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाले कॉरीडोर की भूमिका निभाता है। यह बाघों की आवाज़ाही, आनुवंशिक विविधता को सुगम बनाकर क्षेत्र की जैव विविधता को मजबूत बनाता है तथा कई प्रजातियों जैसे तेंदुए, लकड़बग्घे, सियार, चिंकारा एवं विभिन्न पक्षी प्रजातियों को सुरक्षित रखता है।
द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन के ये प्रयास वन कर्मचारियों को सहयोग प्रदान कर क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ावा देंगे, तथा अवैध शिकार, अवैध अतिक्रमण एवं आवास में व्यवधान जैसे खतरों को कम करने में कारगर होंगे। ये प्रयास राजस्थान के संरक्षण प्रयासों के अनुरूप हैं, जिसके तहत रिज़र्व के चारों ओर इको-सेंसिटिव ज़ोन का निर्माण किया जाएगा तथा बाघों आबादी बढ़ाने के लिए टाइगर ट्रांसलोकेशन प्रोग्राम पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रिया अग्रवाल हेब्बर, एंकर, द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन तथा नॉन-एक्ज़क्टिव डायरेक्टर, वेदांता लिमिटेड ने कहा, ‘‘ द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन में हम संरक्षण को प्राथमिकता देते हैं। रामगढ़ विषाधारी में शिकार-रोधी कैम्प्स एवं सर्विलान्स व्हीकल्स के साथ हम राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण टाइगर कॉरीडोर्स में से एक संरक्षण नेटवर्क को मजबूत बना रहे हैं। हमारे ये प्रयास 24/7 निगरानी को सुनिश्चित कर वन्यजीवन एवं वन कर्मचारियों के लिए सुरक्षित स्थान का निर्माण करेंगे। हमें गर्व है कि इन सुविधाओं के निर्माण के लिए हमें राजस्थान सरकार के साथ साझेदारी का मौका मिला है, जो वन्यजीवन को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सशक्त प्रणाली के निर्माण में कारगर होगी।
इस साझेदारी पर के महत्व पर रोशनी डालते हुए शिखा मेहरा, आईएफएस, प्रिंसिपल चीफ़ कन्ज़र्वेटर ऑफ फॉरेस्ट (वाइल्डलाईफ) एवं चीफ़ वाइल्डलाईफ वार्डन, राजस्थान सरकार ने कहा, ‘‘रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना बाघ जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के अस्तित्व को सुनश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन रिज़र्व में ऐसी सुविधाएं एवं टेक्नोलॉजी लेकर आया है, जो हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप वन्यजीवन के सक्रिय एवं स्थायी प्रबन्धन को सुनिश्चित करेगी। हम भविष्य में भी अपनी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए इस तरह की साझेदारियों का स्वागत करते हैं।
बाघों की सुरक्षा भारत के पारिस्थितिक एवं जैव विविधता लक्ष्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि बाघ पूरे पारिस्थितिक तंत्र के अस्तित्व में मुख्य भूमिका निभाते हैं। भारत में दुनिया के 70 फीसदी से अधिक जंगली बाघ की आबादी है। रामगढ़ विषधारी प्रोजेक्ट टाइगर के तहत आने वाले मुख्य अभयारण्यों में से एक है, गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट की शुरूआत भारत सरकार द्वारा 1973 में बाघों एवं उनके आवास को सुरक्षित रखने के लिए की गई थी। यह रिज़र्व 2022 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क में शामिल किया गया, जब इस पहल के तहत 50 से अधिक संरक्षित क्षेत्र शामिल किए गए।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर उद्घाटन समारोह राज्य वन विभाग एवं गैर-सरकारी साझेदारों के बीच सहयोगपूर्ण संरक्षण प्रयासों में बड़ी उपलब्धि है। रणथंबौर एवं काज़ीरंगा सहित कई क्षेत्रों में सक्रिय प्रयासों के बाद द एनिमल केयर ऑर्गेनाइज़ेशन ने रामगढ़ विषधारी में अपने हस्तक्षेप शुरू किए हैं।

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