पर्यावरण-विरासत के विकास के लक्ष्य पर राज करना तभी संभव है जब भावी पीढ़ी जागरूकता के साथ इस दिशा में कार्य करेगी : डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ 

जयपुर/ उदयपुर. इंडियन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स (आईएसएचआरएई) की ओर से सीतापुरा स्थित नोवेटल कन्वेंशन एंड एग्जीबिशन सेंटर में इसरे कूल कॉन्क्लेव की शुरुआत गुरुवार को हुई। कॉन्क्लेव के की-नोट स्पीकर उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ थे। डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों में कम उम्र में ही पर्यावरण और विरासत की समझ को विकसित करना होगा। अभिभावकों और शैक्षणिक संस्थाओं को इस पर विशेष कार्य करने की जरूरत है। पर्यावरण और विरासत के विकास के लक्ष्य पर राज करना तभी संभव है जब भावी पीढ़ी जागरूकता होकर इस दिशा में सकारात्मक कार्य करेगी। अगर बच्चे हमारी समृद्धशाली विरासत के बारे में जानेंगे तो वे जरूर प्रकृति से प्रेम करेंगे। जापान में कक्षा तीसरी में बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षा दी जाती है। अभिभावक अपने बच्चों में पर्यावरण की समझ को पुख्ता करने का कार्य करते हैं। कुछ लोग आज भी गाड़ी का शीशा खोलकर बाहर बोलत फेंकते दिखाई देते हैं, कुछ कचरा फेंकते देखे जाते हैं, जबकि यह सभी को पता कि पर्यावरण-स्वच्छता दोनों ही मानव सभ्यता और स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं। आज भी जागरूकता के साथ जिम्मेदारी के निर्वहन की आवश्यकता महसूस होती है। पर्यावरण के संरक्षण-संवर्धन का सपना तभी साकार होगा जब 140 करोड़ भारतीय जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ इस दिशा में कार्य करेंगे। 

मैं एक मेवाड़ी हूं, जिस पर मुझे गर्व है, राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी ही चाहिए : डॉ. लक्ष्यराज सिंह

राजस्थानी भाषा की मान्यता के सवाल पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि भाषाएं जोड़ने का काम करती है, तोड़ने का काम नहीं। इसलिए हमें जोड़ने की आवश्यकता है। मैं एक मेवाड़ी हूं और मैं मेवाड़ी होने पर गर्व करता हूं और मेवाड़ी में बात करना पसंद करता हूं। हमारी संस्कृति से रिश्ता रखना हमारा धर्म और कर्तव्य है। चाहे लिबास में हो या बोलने में, चाहे खाने-पीने की बात हो। इन पर गर्व किया जाना चाहिए। दूसरी संस्कृति को ना सीखें, लेकिन उसका भी पूरा सम्मान करें। राजस्थानी भाषा को मान्यता तो मिलनी ही चाहिए, हमारा प्रदेश राजस्थान है। लक्ष्यराज ने कहा कि मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरा उठना-बैठना साहित्यकारों के बीच ही होता है। जिनका वास्ता स्याही और कलम से है। उनके साथ बैठने के बाद किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती। साहित्यकारों से संवाद ही लाइब्रेरी में अनेकों पुस्तक पढ़ने जैसा सुख प्रदान करता है। बहुत लोग साहित्य पर काम कर रहे हैं, जिनसे मैं जुड़ने का कार्य करता आ रहा हूं। पं नरेन्द्र मिश्र जो चित्तौडग़ढ़ के निवासी हैं, उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिला है।

सोसायटी के अध्यक्ष अनूप बल्लाने, कॉन्क्लेव के संयोजक सुधीर माथुर, कंवलजीत जावा, सुजल शाह और सागर मुंशीवार ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में कॉन्क्लेव के उपाध्यक्ष आशु गुप्ता, गुरमीत सिंह अरोड़ा, अनीता गुप्ता, नागामोरी, अनीता रघुवंशी, अर तुषार सोगानी, भैरवी जानी, जयंत दास, सोसायटी के निर्वाचित अध्यक्ष योगेश ठक्कर, तत्काल पूर्व अध्यक्ष जी रमेश कुमार, श्रीनिवास, उत्पल विश्वास, एन राम, मितुल शाह, सह संयोजक अजय बरारिया, डॉ अंशुल गुजराती और कपिल सिंघल भी मौजूद थे।

Related posts:

गीतांजली यूनिवर्सिटी में कॉन्वोकेशन - 2024 का भव्य आयोजन
पिम्स हॉस्पिटल में विश्व कैसर दिवस मनाया
कानोड़ मित्र मंडल के चुनाव में हिमांशुराय नागोरी अध्यक्ष एवं दिलीपकुमार भानावत महामंत्री निर्वाचित
Hindustan Zinc Inaugurates 1 RO Hub plant at Ordi and 1 Water ATM at Dabok
जन्म के प्रथम छह माह तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिये
एडिप योजना में दिव्यांगों को दिए सहायक उपकरण
उदयपुर में राष्ट्रीय कवि संगम का चित्तौड़ प्रांतीय अधिवेशन संपन्न
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा किसान उत्पादक संगठन की आम सभा आयोजित
ग्रामीण महिला सशक्तिरण और सफलता की मिसाल बनी देबारी की श्यामू बाई
शिक्षा ऐसी हो जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए- राज्यपाल
सांसद रावत ने आईजी व एसपी को कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश
हिन्दुस्तान जिंक की समाधान परियोजना कोरोना संकट में किसानों को पहुंचा रही लाभ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *