टीबी की दवा प्रेटोमानीड को डीसीजीआई की मंजूरी

उदयपुर। वैश्विक दवा कम्पनी मायलन ने आज टीबी की रोकथाम की दवा प्रेटोमानीड को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मिलने की घोषणा की। यह दवा राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत सशर्त उपयोग के लिए उपलब्ध होगी। इस तरह भारत इस दवा के लिए नियामक मंजूरी देने वाला दूसरा देश होगा। प्रेटोमानीड को तीन-दवा के तहत, सभी छह-महीने की मौखिक खुराक के लिए मंजूरी दी गई है (कुछ मामलों में इलाज बढ़ा कर नौ महीने करने का विकल्प होगा)। इन दवाओं में बेडाक्वीलाइन, प्रेटोमानीड और लाइनजोलीड शामिल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘बीपीएएल’ कहा जाता है। इसका उपयोग वयस्क रोगियों के फेफड़े के बड़े हिस्से में ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर-टीबी), मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) के मरीज़ों के लिए होगा जो या तो सामान्य उपचार सह नहीं पाते या फिर उपचार का असर नहीं होता।

डीसीजीआई से सशर्त दवा सुलभ कराने की स्वीकृति के माध्यम से मायलन भारत सरकार के राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत इलाज के प्रेटोमानीड के 400 कोर्स का योगदान देगी। इस कार्यक्रम के तहत पूरे देश में टीबी की उच्च गुणवत्ता दवा और इलाज की निःशुल्क व्यवस्था की गई है ताकि अधिक से अधिक ज़रूरतमंद मरीज़ों का इलाज सुनिश्चित किया जाए। कम्पनी अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार एनटीईपी को ‘वैश्विक उपलब्धता मूल्य’ पर बाजार में 364 यूएस डॉलर में इलाज के छह महीने का कोर्स भी उपलब्ध कराएगी। साथ ही, घरेलू और वैश्विक आपूर्ति दोनों के लिए भारत में प्रेटोमानीड का उत्पादन करेगी।

मायलन के अध्यक्ष राजीव मलिक ने कहा, ‘‘दुनिया में अग्रणी संक्रामक रोगों की दवाओं के पोर्टफोलियो में एक मायलन का है और भारत में प्रेटोमानीड की मंजूरी के साथ हमने पूरी दुनिया में टीबी इलाज का नज़रिया बदलने की ठान ली है। इसके लिए हम अपनी दवा अधिक से अधिक लोगों के लिए सुलभ और सस्ता बनाएंगे। इसके साथ हमने टीबी अलायंस जैसी नई साझेदारी करने के हमारी क्षमता का प्रदर्शन किया है। हमें इस पर गर्व है। इससे अधिक से अधिक मरीजों तक नई दवा पहुंचेगी। मायलन और टीबी अलायंस को आज की तिथि में दो देशों में प्रेटोमानीड के लिए मंजूरी प्राप्त है। कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच टीबी के इलाज पर ध्यान केंद्रित रखने की अहमियत देखते हुए मिली इस मंजूरी के लिए हम डीसीजीआई का धन्यवाद करते हैं। हमने रिकॉर्ड समय में भारत में यह मंजूरी प्राप्त की।हम दुनिया के उन देशों में जहां इस बीमारी का ज्यादा बोझ हो उनके सबसे जरूरतमंद मरीज़ों को यह दवा सुलभ कराने की दिशा में बढ़ते रहेंगे।’’

राकेश बमज़ाई, अध्यक्ष, भारत एवं उभरते बाज़ार ने कहा, “एक्सडीआर-टीबी/ एमडीआर-टीबी के मरीज़ों के लिए इलाज अधिक सुलभ बनाने और 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन की मुहिम तेज़ करने की दिशा में यह मायलन की बड़ी उपलब्धि है। इससे देश में टीबी के इलाज का नया नज़रिया सामने होगा। भारत में प्रेटोमानीड को डीसीजीआई से मंजूरी मिलने से भारत जैसे इस बीमारी के ज्यादा बोझ वाले देशों के अंदर अधिक कमज़ोर मरीज़ों को टीबी की सस्ती और सुलभ दवा सुनिश्चित करने के साथ हमारा मिशन जारी रहेगा और हम इसके प्रति समर्पित रहेंगे।’’

टीबी अलायंस, एम.डी. के प्रेजिडेंट और सीईओ मेल स्पाइजेलमैन ने कहा, “टीबी अलायंस टीबी के मरीज़ों के लिए नए उपचार विकसित और शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें इस जानलेवा बीमारी के अत्यधिक ड्रग-रेसिस्टेंट रूप का इलाज भी शामिल है। भारत में प्रेटोमानीड को तीन-दवा से उपचार के तहत स्वीकृति मिली है। सभी दवाइयों की खुराक (खाने की गोलियां) होगी। टीबी के अधिक बोझ वाले देशों में भारत में सबसे पहले यह मंजूरी मिली है। भारत इनोवेशन के दम पर टीबी से जंग की कमान संभाल सकता है और यह इस बीमारी के उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा करने का बड़ा अवसर है। हमने बतौर गैर-आर्थिक लाभ संगठन यह दवा विकसित की है जिसे विभिन्न सरकारों, फाउंडेशनों और लोगों से वित्तीय सहायता प्राप्त है। इस मंजूरी से एंटीबायटिक विकास के प्रति वैकल्पिक दृष्टिकोण अपनाने की संभावना बढ़ती है। हम इस प्रगति की दर से उत्साहित हैं और हमें विश्वास है कि सबसे जरूरतमंद मरीज़ों तक नई दवा पहुंचाने का हमारा लक्ष्य पूरा करेंगे।’’

पूरी दुनिया के लगभग एक चौथाई टीबी मरीज भारत में हैं। एक अनुमान से सालाना 2.7 मिलियन मामले दर्ज होते हैं जो पूरी दुनिया में किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है। इन मामलों में अनुमानित 130,000 मरीज़ों में ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी के रूप हैं। ऐसे मरीज़ों को अक्सर जटिल और 20 महीनों तक लंबा उपचार कराना होता है। इसके परिणामस्वरूप अक्सर नैदानिक परिणाम अच्छे नहीं होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में एमडीआर-टीबी के लिए 48 प्रतिशत और एक्सडीआर-टीबी के लिए 30 प्रतिशत सफलता दर बताई है। मायलन और टीबी अलायंस ने फेफड़े के तपेदिक की दो परीक्षण दवाइयों में उपयोग के लिए प्रेटोमानीड उपलब्ध कराने के लक्ष्य से अप्रैल 2019 में एक वैश्विक करार की घोषणा की। करार के तहत मायलन को विभिन्न निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में बीपीएएल और बीपीएएमजैड (बेडाक्वीलाइन, प्रेटोमानीड, मॉक्सीफ्लोक्सासीन और पाइराजीनामाइड) रेजिमेन में प्रेटोमानीड उपयोग करने के लिए टीबी अलायंस से वैश्विक लाइसेंस दिया गया।


Related posts:

जिंक की समाधान परियोजना जावर क्लस्टर में पशु स्वास्थ्य के 30 शिविरों में 9297 पशुओं का हुआ इलाज

एचडीएफसी बैंक ने डिजिटल अरेस्ट धोखेबाजी के खिलाफ नागरिकों को सावधान करने के लिए महत्वपूर्ण संदेश साझ...

59 वर्षो में सामाजिक विकास एवं देश में माइन मेटल को विश्व पटल पर अंकित करने का पर्याय बना हिन्दुस्ता...

फ्लिपकार्ट ने ग्रामीण महिलाओं के लिए कार्यशाला का आयोजन किया

Airlifted from Uttarakhand, Mumbai man beats Covid after 55 days in CIMS

ITC HOTELS LAUNCH MEMENTOS UDAIPUR, ITS FIRST MEMENTOS PROPERTY IN INDIA

हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ मिश्रा अंतरराष्ट्रीय जिंक एसोसिएशन के पहले भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा पिछले 5 सालों में सरकारी खजाने में 87,616 करोड़, वित्तीय वर्ष 25 में 18,963 क...

सिजेरियन डिलीवरी की ओर ज्यादातर महिलाओं का बढ़ रहा है रूझान

VEDANTA FELICITATES COVID WARRIORS, BIZ PARTNERS OF HINDUSTAN ZINC

Skill Games Council stresses on having uniform central guidelines for all online skill games in Indi...

जयपुर में पहले इंटरनेशनल जैम ज्वैलरी शो का शुभारंभ