उदयपुर। चेस्ट विशेषज्ञों के 24वें राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेपकोन-2022 में विभिन्न कार्यशालाओं के सम्पन्न होने के बाद मुख्य कॉन्फ्रेंस का आयोजन शुक्रवार को गीतांजलि मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुआ। इस बार नेपकोन- 2022 की थीम ‘इनकरेज प्रिसिशन मेडिसिन’ है जिसका अर्थ है सही जांच करके सही दवा प्रदान करना। इस प्रकार का सम्मेलन प्रतिवर्ष नेशनल कॉलेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) और इंडियन चेस्ट सोसाइटी (आईसीएस) के तत्वावधान में होता है। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 2500 डॉक्टर भाग ले रहे हैं। कॉन्फ्रेंस में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों के ज्ञानवर्धन के साथ शोध को बढ़ावा देने के लिए पहले दिन 350 शोध पत्र पढ़े गए। हर एक सेशन के उत्कृष्ट शोध पत्र के विजेता को 5100 रुपये का चेक, सर्टिफिकेट और अवार्ड प्रदान किया गया।
कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों में सिकुडऩ और फाइब्रोसिस बीमारी को लेकर लेटेस्ट गाइडलाइन्स के बारे में डॉ. एस. एन. गुप्ता ने विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अनिकेत भढक़े ने हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस बीमारी की जाँच और निदान पर प्रकाश डाला। डॉ. नवीन दत्त ने सारकॉइडोसिस बीमारी की जाँच और निदान के सम्बंध में अमेरिकन थोरोसिस सोसाइटी की 2020 की नवीनतम गाइडलाइंस के बारे में, डॉ. आदित्य चावला ने बिना आपरेशन किये दूरबीन द्वारा फेफड़ों की बायोप्सी, डॉ. एस. के.कटियार ने इंहेलेशन और नेबुलाइजेशन थेरेपी, डॉ. जी. सी. खिलनानी ने एंटीबायोटिक के सही उपयोग, डॉ. ध्रुव चौधरी ने रेस्पिरेटरी फेलियर के सम्बन्ध में, डॉ. राजकुमार ने श्वांस संबधित सबसे कॉमन बीमारी रेस्पिरेटरी एलर्जी की जाँच, डॉ. एस. एन. गौर ने एलर्जेन इम्युनो थेरेपी के बारे में जानकारी दी। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. भाविन झंखारिया ने फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों की जांच के संदर्भ में एक्सरे और सी. टी. स्कैन की महत्ता पर प्रकाश डाला। अमेरिका के डॉ. अतुल सी मेहता ने लंग ट्रांसप्लांट के सम्बंध में नवीनतम जानकारी दी। डॉ उस्मान अहमद ने फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए डोनर मैनेजमेंट और सर्जिकल टेक्नीक के एडवांसमेंट तथा डॉ. समीप सहगल ने फेफड़ा प्रत्यारोपण के भविष्य के बारे में विजन साझा किया।
कॉन्फ्रेंस के दौरान आयोजित कार्यशाला में 1000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। इसमें 950 से ज्यादा शोध पढ़े जाएँगे। शुक्रवार को 350 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गए। कॉन्फ्रेंस में 60 से ज्यादा विदेशों से जुड़ी मेडिकल फैकल्टीज भाग ले रही है जिसमें 25 फैकल्टी व्यक्तिगत रूप से यहाँ उपस्थित हैं, शेष ऑनलाइन माध्यम से जानकारी दे रहे हैं। ऑपेरशन किये बिना दूरबीन पद्धति द्वारा छोटे नोड्यूल की बॉयोप्सी की जानकारी भी कॉन्फ्रेंस में साझा की गयी। कॉन्फ्रेंस से युवा डॉक्टरों को लेटेस्ट तकनीक की जानकारी मिल रही है।