लॉकडाउन के बाद टेलीकंसल्टेशन्स में हुई 25 फीसदी की बढ़ोतरी

उदयपुर। देश के सबसे तेजी से बढ़ते हेल्थ स्टार्टअप माईउपचार (myUpchar) ने घोषणा की कि टेलीकंसल्टेशन में लॉकडाउन के बाद भी लगातार बढ़ोतरी जारी है। हमारी हेल्थटेक कंपनी ने जुलाई के बाद के तीन महीनों में 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। इससे पहले लॉकडाउन के दौरान 300 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल की थी। यह आम धारणा या उम्मीद के बिल्कुल उलट नतीजे हैं। यह डाटा भारत में टेलीकंल्टिंग पर माईउपचार द्वारा तैयार की गई अपनी तरह के पहली रिपोर्ट पर आधारित है। कंपनी के सह-संस्थापक रजत गर्ग और मनुज गर्ग ने टेलीकंसल्टेशन में बढ़ोतरी की रिपोर्ट जारी की।
रजत गर्ग और मनुज गर्ग ने कहा कि इस नई रिपोर्ट में अगस्त 2020 तक पांच महीने के डाटा का विश्लेषण किया गया। इसमें लॉकडाउन और इसके बाद के चरणों को शामिल किया गया है, ताकि यह समझा जा सके कि टेलीकंसल्टेशन की सुविधा को आज कौन, कहां से, कैसे, किन समस्याओं के लिए और कितना इस्तेमाल कर रहा है। रिपोर्ट से जो पांच महत्वपूर्ण बिंदु निकलकर आए हैं, वे हैं – आश्रितों के लिए परामर्श में लॉकडाउन समाप्त होने के बाद 80 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। माईउपचार पर टेलीकंसल्टेशन की मांग करने वाले 90 फीसदी लोग बड़े शहरों और राज्य-राजधानियों से बाहर के थे। इनमें से भी आधे से ज्यादा टीयर-3 (तृतीय श्रेणी) या उनसे भी छोटे शहरों से आए। जिन राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव है या बुनियादी ढांचा खराब है वहां से ज्यादा टेलीकंसल्टेशन की मांग हुई। महिलाएं अब टेलीकंसलटेशन के माध्यम से ज्यादा चिकित्सा सलाह ले रही हैं। टीयर-1 शहरों में रहने वाली महिलाएं माईउपचार की सबसे ज्यादा ग्राहक हैं, वहीं टीयर-2, 3, 4 शहरों की महिलाओं की भी टेलीकंसल्टेशन में रुचि लगातार बढ़ रही है। जून से अगस्त के बीच 64 फीसदी से ज्यादा मरीजों ने एलोपैथी डॉक्टर से ऑनलाइन कंसल्टेशन की मांग की। आयुर्वेदिक कंसल्टेशन के लिए 24.3 और होमियोपैथी कंसल्टेशन में 11.4 फीसदी ने रुचि दिखाई।
रजत गर्ग और मनुज गर्ग ने टेलीकंसल्टेशन में बढ़ोतरी के लिए ग्राहकों को मिल रहे गुणवत्तापूर्ण अनुभव और कोविड के बाद ऑनलाइन चिकित्सा सुविधाओं के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास को श्रेय दिया। सरकार द्वारा जारी टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस गाइडलाइन ने अनुभवी डाक्टरों और विशेषज्ञों के मन में चल रहे संदेह और अनिश्चितताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत का टेलीमडिसिन उद्योग 15 साल से अधिक समय से रेंग रहा था। जैसे ही कोविड-19 पैंडेमिक के रूप में एक चुनौती सामने आई, डॉक्टरों ने इसे हाथोंहाथ लिया। उन्होंने कोविड-19 से जुड़े लक्षणों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का बीड़ा उठाया जो लॉकडाउन की वजह से स्वास्थ्य केंद्रों या क्लीनिकों तक नहीं पहुंच पा रहे थे। डॉक्टरों ने कंसल्टेशन में अचानक आई बढ़ोतरी को जिस ईमानदारी और करुणा के साथ संभाला इसके लिए उन्हें पूरा श्रेय मिलना चाहिए। उनके प्रयासों का ही असर है कि आज हमें रिपीट कंसल्टेशन मिल रहे हैं और मरीजों का विश्वास भी बढ़ा है। लॉकडाउन और उसके बाद भी केमिस्ट व लैब सहयोगियों ने प्रीस्क्रिप्शन और टेस्ट की मांग को पूरे उत्साह और सटीकता से पूरा किया।

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