उदयपुर। बढ़ते एक्सिडेंट पूरे भारत के लिए चिंता का विषय हैं। वर्तमान समय में अस्पतालों की इमरजेंसी में आने वाले ट्रॉमा के मरीजों का सर्वें करे तो स्थिति चिंताजनक हो जाती है। यह जानकारी पारस जे. के. हॉस्पिटल की पॉली ट्रॉमा टीम के वरिष्ठ विशेषज्ञ न्यूरो व स्पाइन सर्जन डॉ. अजीत सिंह, न्यूरो व स्पाइन सर्जन डॉ. अमितेन्दु शेखर तथा ऑर्थोपेडिक एवं ट्रॉमा सर्जन डॉ. आशिष सिघंल ने विश्व ट्रॉमा दिवस पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में दी।
डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि उदयपुर व आसपास के क्षेत्र से प्रतिदिन ट्रॉमा मरीज आते हैं। अधिकतर ट्रॉमा के मामले रोड़ एक्सिडेंट के कारण होते हैं जो यातायात नियमों की अवहेलना से होते हैं। इसमें वाहन चलाते समय फोन पर बात करना, रोंग साईड वाहन चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना, बिना हेलमेट व सीट बेल्ट के वाहन चलाना आदि प्रमुख कारण हैं। इन रोड़ एक्सिडेंट में अधिकतर राहगीर, बाईक व साईकिल सवार शिकार होते हैं। ऐसे में यदि सभी लोग यातायात नियमों का पालन करने लगे तो मृत्युदर में काफी हद तक कमी संभव है।
डॉ. अमितेन्दु शेखर ने बताया कि देश में प्रत्येक दो मिनट में एक रोड़ एक्सिडेंट होता है। इसमें कई लोग अपनी जान गवाते हैं तो कई विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। इस कारण सभी को ट्रॉमा के मामलों को कम करने कि दिशा में सकारात्मक प्रयास करने चाहिएं। डॉ. आशिष सिघंल ने बताया कि रोड़ एक्सिडेंट में जान जाने का मुख्य कारण हैड इन्जिरी है, जो कि अधिकतर हेलमेट का प्रयोग नहीं करने से होती है। विश्व ट्रॉमा दिवस पर सभी को प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि वे सदैव यातायात नियमों का पालन करेंगे और दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद कर समय पर अस्पताल पहुंचायेंगे।
पारस जे. के. हॉस्पिटल के फैसेलिटी डायरेक्टर विश्वजीत कुमार ने बताया कि ट्रॉमा के उपरान्त मरीज को ऐसे मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ले जाना चाहिये जहां सभी सुविधायें एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सके क्योंकि ऐसे समय में मरीज को शुरुवाती गोल्डन ऑवर जो कि आधे से एक घंटे के दौरान होता है, उपचार मिल जाता है, तो उसकी जान बचने की संभावनायें बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि पारस जे. के. हॉस्पिटल के आपातकालीन विभाग में साउथ राजस्थानवासियों के लिए सभी प्रकार के ट्रॉमा का उपचार करने के लिए अनुभवी चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है जो मेडिकल व सर्जिकल उपचार उपलब्ध करवाती है। हड्डी व जोड़ प्रत्यारोपण, न्यूरो साईन्स, पेट, आंत व लिवर रोग जैसी विशेषज्ञ सेवाओं के साथ पैथ लैब, रेडियोलॉजी, दवाइयां आदि सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे 24 घंटे उपलब्ध हंै।
यातायात नियमों के पालन से मृत्युदर में कमी संभव
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