उदयपुर। तारा संस्थान द्वारा संचालित श्रीमती कृष्णा शर्मा आनन्द वृद्धाश्रम में संस्थान के 12 वर्ष पूर्व होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने कहा कि हम जब दूसरों की कहानियां सुनते हैं तो यही लगता है कि हम सबकी कहानी एक जैसी ही है। आज वद्धाश्रम होना एक सामाजिक कुरीति जरूर है लेकिन यह एक सामाजिक स्कूल भी है। मैं आज अपने भविष्य के घर में आया हूँ। हर व्यक्ति चाहता है कि मैं अधिक से अधिक कमाऊँ और अधिक से अधिक जीऊँ। आज हमारे समाज का स्वरूप था वो टूटा जरूर है, लेकिन हम सबके दु:ख सुख अलग-अलग है। जीवन की सफलता-असफलता के मायने है कि कौन कितना सुख पाता है और कौन कितना दु:ख पाता है।
मैं एक गाँव की पृष्ठभूमि से आया हूँ और आज राजस्थान साहित्य अकादमी के सर्वोच्च पद पर हूँ। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। एक किसान का बेटा होने के कारण मेरे पिता मुझ खेती के काम में भी डाल सकते थे किन्तु उन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आप सभी वृद्धजन देश के विभिन्न हिस्सों से आये हैं और बहुत ही सुखद स्थिति में अपना जीवनयापन कर रहे हैं। आप बड़े सौभाग्यशाली हैं कि संस्थान के आयोजक आप लोगों के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
हम भारतीयों का जुड़ाव हमेशा अपनी धरती से रहा है। जो लोग अपनी जमीन से उखड़ गये थे, चाहे नौकरी के लिए जाना पड़ा हो या अन्य कारण से जाना पड़ा हो लेकिन यह खुशी की बात है कि हम भारतीय लोग अन्य जगह भी अपनी जड़े जमाने में मजबूत हैं। जड़ से जुडऩे की ताकत अलग ही होती है। हम सब लोग अपना अपना रोल अदा करके चले जायेंगे तथा नये लोग आयेंगे। यह जीवन चक्र सदा चलता रहेगा। आप सभी बुजुर्गों से मेरा निवेदन है कि आप अपने जीवन की जीवन्त कहानियाँ, किस्से हमें भेजे, उन्हें हम अपनी मासिक पत्रिका ‘मधुमती’ में प्रकाशित करेंगे ताकि आपके लेखों से अन्य लोगों को ऊर्जा मिल सके।
तारा संस्थान की संस्थापक एवं अध्यक्ष श्रीमती कल्पना गोयल ने कहा कि आप सभी वृद्धजन हमारी ताकत हैं। आप सदैव सुखी रहे यही हमारी कामना है। तारा संस्थान के सचिव एवं कार्यकारी अधिकारी दीपेश मित्तल ने संस्थान की गतिविधिया से अवगत करवाते हुए वृद्धाश्रम के सभी बुजुर्गों से मुख्य अतिथि को मिलवाया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। अतिथियों का पगड़ी, दुपट्टा से स्वागत किया गया।
हम सबकी कहानी एक जैसी ही है : दुलाराम सहारण
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