उदयपुर। हिन्दुस्तान जिंक लि. द्वारा अपने सामाजिक सरोकारों के तहत 64 सरकारी विद्यालयों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा हेतु शिक्षा संबल कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत आगुचा, चंदेरिया, दरीबा, देबारी और जावर क्षेत्र के 5 सरकारी विद्यालयों के 12वीं विज्ञान वर्ग के छात्र-छात्राओं के साथ साइंस-ओ-मेनिया कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें 76 विद्यार्थियों के 12 समूहों द्वारा विज्ञान के वर्किंग मॉडल बनाए। जिंक के 18 इंजीनियर एवं दूसरे कर्मियों तथा शिक्षा संबल कार्यक्रम की फिल्ड टीम ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
साइंस-ओ-मेनिया कार्यक्रम तीन चरणों में आयोजित किया गया। पहले चरण में, विद्यार्थियों के साथ मिलकर मॉडल फाइनल किये गए। दूसरे चरण में मॉडल का निर्माण करते हुए विद्यार्थियों के समूहों ने अपने-अपने माडल का प्रदर्शन किया। इनमें से जन-प्रतिनिधि, प्रधानचार्य, विषयाध्यापक तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा सात बेहतर मॉडल का चुनाव किया गया, जिसमें वर्टिकल फार्मिंग, सौर-ऊर्जा से चलने वाली नाव, सौर-ऊर्जा से चलने वाला ग्रास-कटर, जल-संशोधन यंत्र, स्मार्ट-विलेज, ड्रोन, वायरलेस-ट्रांसमीटर आदि माडल चुने गए।
तीसरे व अंतिम चरण में जिंक के मानव संसाधन विभाग के मुख्य अधिकारी अजयकुमार सिंघरोहा कि अध्यक्षता में चुने गए मॉडलों का पुनः आनलाईन प्रस्तुतीकरण किया गया। विभिन्न मापदंडों जैसे कि मॉडल कि आज के संदर्भ में उपयोगिता, मॉडल बनाने को लेकर समझ, विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुतीकरण में सभी की भागीदारी आदि को ध्यान में रखते हुए चयनित मॉडलों में से मुख्य अतिथि द्वारा पुनः प्रथम, द्वितीय और तृतीय मॉडल का चुनाव किया गया। इसमें देबारी से रा. सी. से. स्कूल गुड़ली के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए स्मार्ट विलेज के मॉडल ने बाजी मारकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। चित्तौड़ से “सौर-ऊर्जा से चले वाली नाव” वाला मॉडल द्वितीय तथा दरीबा के राजपुरा विद्यालय के बच्चों द्वारा निर्मित वर्टिकल फार्मिंग वाला मॉडल तृतीय स्थान पर रहा।
इस मौके पर सिंघरोहा ने अपने सभी विद्यार्थियों तथा मॉडल की प्रसंशा के साथ भविष्य में उनके महत्व को रेखांकित किया तथा व्यवसायिक दृष्टि के साथ आगे बढ़ने पर बल दिया। यह कार्यक्रम विद्या भवन सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में चलाया जा रहा है। हिन्दुस्तान जिंक से सीएसआर हेड अनुपम निधि ने वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के साथ-साथ, विद्यार्थियों, विशेषकर लड़कियों को तकनीक व विज्ञान के क्षेत्र में आगे आने में ऐसे कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया, जहां प्रोजेक्ट स्कूलों में करके सीखने के लिए हमें प्रयोगशाला को क्लासरूम में लाने पर काम करना होगा। कार्यक्रम का संचालन जिंक से प्रोग्राम चैम्पियन रुचिका चावला ने किया जिनके साथ श्वेतलाना ने भी सहयोग किया तथा विद्या भवन व सीएसआर टीम कार्यक्रम में उपस्थित रही। परियोजना का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान, अंग्रेजी और गणित (एसईएम) में शिक्षा प्रदान करना और स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों को नियुक्त करना है और नवीन शिक्षण तकनीकों का उपयोग करके छात्रों के बीच एक सुदृढ़ वैचारिक आधार बनाने में मदद करता है।
जिंक के शिक्षा संबल कार्यक्रम में “साइंस-ओ-मेनिया” के अंतर्गत 12वीं विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने का अनूठा प्रयास
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