पिम्स उमरड़ा में मेंडीबल फ्रैक्चर और सौम्य अस्थि ट्यूमर (बेनाइन ट्यूमर) का सफल ऑपरेशन

उदयपुर। पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों ने मेंडीबल फ्रैक्चर और सौम्य अस्थि ट्यूमर (बेनाइन ट्यूमर) का सफल ऑपरेशन किया है।
पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि गत 12 जुलाई को महेशचंद्र नामक मरीज ने दंत चिकित्सा विभाग, पिम्स हॉस्पिटल उमरड़ा को सूचना दी कि बांसवाड़ा जिले में 12-15 दिन पहले सडक़ यातायात दुर्घटना में उसके चेहरे पर चोट लगी है। वह इसे लेकर बांसवाड़ा से सागवाड़ा, फिर उदयपुर और जयपुर तक विभिन्न अस्पतालों में घूम चुका है लेकिन किसी तरह का इलाज नहीं मिला। इससे पूर्व मरीज के रिश्तेदार यह जानने के लिए डॉ. अजित जोशी (एमडीएस – ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन), प्रोफेसर और विभाग प्रमुख, दंत चिकित्सा विभाग, पीआईएमएस, उमरड़ा के पास आए कि क्या यह ऑपरेशन अस्पताल में संभव हो सकता है।
इस पर डॉ. अजित जोशी ने मरीज को सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ विभाग में रिपोर्ट करने के लिए कहा। गहन जांच के बाद पता चला कि मरीज को चेहरे की हड्डियों की एक दुर्लभ बीमारी है। इसे फ़ाइब्रस डिसप्लेसिया (बेनाइन ट्यूमर) के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुछ आनुवंशिक (जेनेटिक) असंतुलन के कारण हड्डी के अंदर के ठोस हिस्से को रेशेदार ऊतकों द्वारा अपने आप प्रतिस्थापित किया जाता है। यद्यपि यह आनुवंशिक असंतुलन के कारण होता है फिर भी आज तक किसी भी साहित्य में इसके वंशानुगत (हेरेडिटी) होने की रिपोर्ट नहीं की गई है। इस बीमारी में हड्डी बिना किसी विशेष आकार के फैलने और आकार में बढऩे लगती है और यह जीवन भर बढ़ती रह सकती है। मरीज़ ने लगभग 5-6 साल पहले गाल की हड्डी ( जाएगोमेटिक बोन) को कम करने के लिए एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया अपनाई थी। लेकिन यह फिर से वर्तमान आकार में बड़ी हो गई ।
मरीज के (बाएं पैरासिम्फिसिस क्षेत्र) में मेंडीबल ( निचले जबड़े) में फ्रैक्चर था, साथ ही कुछ अन्य छोटी चोटें भी थीं, जहां चेहरा पहले से ही फाइब्रस डिस्प्लेसिया (बोनी सूजन / ट्यूमर) से प्रभावित था। इस सौम्य ट्यूमर ने स्थिति को और अधिक कठिन और सफलतापूर्वक ऑपरेशन करने के लिए चुनौतीपूर्ण बना दिया था परंतु इस जटिलता के बावजूद, मरीज को भर्ती किया गया और आयुष्मान योजना के तहत सफलतापूर्वक नि:शुल्क सर्जरी की गई। डॉ. अजित जोशी और टीम ने 15 जुलाई को मरीज का ऑपरेशन किया और 25 जुलाई को मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। आवश्यकतानुसार आगे के प्रबंधन के लिए उन्हें दंत चिकित्सा विभाग, पिम्स उमरड़ा में नियमित फॉलो-अप पर रखा गया है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *