राखी बहन के अधिकारों की रक्षा के संकल्प की अभिव्यक्ति है : मुनिश्री सुरेशकुमार

ध्यान साधक मुनिप्रवर के दर्शनार्थ पहुंचे कर्नाटक राज्यसभा सांसद
उदयपुर।
भारत पर्वों और त्योहारों की संस्कृति का देश है। सात दिनों के सातों बार यहाँ त्योहार संस्कृति की पावनता को जीवंत बनाते हैं। रक्षाबंधन केवल राखी बांधकर मुंह मीठा कराने और उपहार देने का कर्तव्य नहीं है, यह बहन के अस्तित्व की रक्षा के संकल्प की अभिव्यक्ति है। इतिहास के पन्नों ने स्वयं को पलटते हुए बताया कि एक रेश्मी डोरी में इतनी ताकत है कि एक दूसरे के खून के प्यासे दुश्मनों के बीच होने वाले समर को टालकर जीवन भर प्रेम के अनुबंध में बांध देता है। यह बात ध्यान साधक शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ने तेरापंथ भवन नाइयों की तलाइ में ‘बंधन राखी का’ विषय पर कही। उन्होंने कहा कि रिश्ते उपहारों का आदान-प्रदान नहीं विश्वास की जड़ों की मजबूती है। जो लोग सम्बंधों को पैसों के तराजू पर तोलते हैं वे पवित्रता शब्द की अस्मिता को तार-तार करते हैं। मुनिश्री ने कर्नाटक राज्यसभा सांसद लहरसिंह जैन सिरोहिया के आगमन पर कहा कि लहरसिंहजी लोकतंत्र में जैन समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह जैन समाज के लिए गौरव और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है।
मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने कहा कि निष्काम प्रेम से रंगे कच्चे धागों की पावनता की यह मिसाल है कि पांच मिनट का उत्सव उम्र भर के पावन बंधन में बांध देता है। एक दूसरे की खुशी की परवाह, एक दूसरे के तकलीफ में ‘मैं तुम्हारे साथ हूँ’ कहना, अपने कर्तव्यों के श्रेष्ठ किरदार निभाना ही रक्षा बंधन है। मुनिप्रवर ने चुटकी लेते हुए कहा कि दुनिया में इस स्वर को जाने क्यूं बुलंदिया मिल रही हैं कि राजनीति में हर तरफ भ्रष्टाचार है। हम अगर अपने घर से करप्शन का अंत करने निकल पड़े तो देश फिर विश्व गुरु हो सकता है। लहरसिंह के अपने आदर्श है। ऐसे व्यक्तित्व का राजनीति में आना, शुभ भविष्य का संकेत है।
लहरसिंहजैन सिरोहिया ने कहा कि राजनीति में आने के बाद जीवन में वे दुर्लभ अवसर होते है जब संत सन्निधी में बैठने का सौभाग्य प्राप्त होता है। जन्म और कर्म से जैन होने के नाते मुझमें हमेशा जैनत्व के संस्कार रहे हैं। उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि राजनीति में जैन लोगों की संख्या में आ रही कमी चिंताजनक है। आज तकनीकी विकास ने आपसी मेल-मिलाप की परंपराओं को हाशिये पर छोड़ दिया है। पर्व हमें हमारी परंपराओं की पुनीत स्मृतियां कराते रहते हैं। आवश्यकता है हमारी युवा पीढ़ी को स्वच्छ-स्वस्थ राजनीति में प्रवेश की अध्यात्म के मंच से प्रेरणा प्राप्त हो। कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद का तेरापंथ सभा अध्यक्ष अर्जुन खोखावत, सभा मंत्री विनोद कच्छारा, अभिषेक पोखरणा ने अभिनंदन किया।

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