मंत्र दीक्षा, वीतराग पथ पर कार्यशाला
उदयपुर। तेरापंथ भवन में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन एवं तेरापंथ युवक परिषर उदयपुर के तत्वावधान में शासनश्री मुनि सुरेशकुमार के सान्निध्य में मंत्र दीक्षा, वीतराग पथ कायशाला का समायोजन हुआ। कार्यक्रम में 25 बच्चों ने मंत्र दीक्षा स्वीकार की। नमस्कार महामंत्रोच्चारण, त्रिपदी वंदना व ज्ञानशाला जानाधियों द्वारा अर्हम-अर्हम की वंदना फले गीत से शुरू हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि महामंत्र सर्वोच्च शक्तिशाली मंत्र है। यह चवदहपूर्व का सार है। अपनी और औरों की सुरक्षा का अचूक उपाय है। ज्ञानार्थियों को प्रतिदिन 22 बार नमस्कार महामंत्र की आराधना करनी चाहिए। जो प्रतिदिन नमस्कार मंत्र की आराधना करता है उसे मन की शांति के साथ आत्मा की शुद्धि मिलती। उन्होंने कहा कि उम्र मायना नहीं रखती, एक ठोकर काफी होता है जीवन की दिशा बदलने के लिए। सच्चे वैराग्य को दुनिया का कोई बंधन रोक नहीं सकता। कसायों के रंग में रंगा मन वैराग्य का स्पर्श नहीं कर सकता। बचपन से माता-पिता बच्चों को संयम के संस्कार दें। वे श्रमण बन सके तो अच्छा है, नहीं तो अच्छा श्रावक अवश्य बनें।
मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने ज्ञानार्थियों को महामंत्र दीक्षा देते हुए फैशन मुक्त और व्यसन मुक्त जीवन जीने की सीख दी। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र इसलिए महामंत्र है क्योंकि यह अनाम मंत्र है। हम चाहे कितने ही बड़े स्टेट्स के साथ जी रहे हो मगर जिन्दगी का सूकून त्याग में ही मिलता है। मुनि ने अपने बचपन से वैराव्य के सफर का रोमांच भरा वृतांत सुनाते हुए कहा कि धार्मिक संस्कार हमें मोह से निर्मोही बनाते हैं।
प्रारंभ में तेयुप अध्यक्ष अक्षय बड़ाला ने सभी का स्वागत किया। आभार जितेन्द्र सिंघटवाडिय़ा ने जबकि मंच संचालन परिषद मंत्री विक्रम पगारिया ने किया। कार्यक्रम में ज्ञानशाला संयोजिका श्रीमती सुनिता बैंगाणी, प्रणीता जैन, तेरापंथ सभा अध्यक्ष अर्जुन खोखावत, मंत्री विनोद कच्छारा, सुदेश बोहरा, सीमा पोरवाल उपस्थित थे। इस अवसर पर अणुव्रत क्रिएटिविटी के पोस्टर का विमोचन मुनि सुरेशकुमार के सान्निध्य में हुआ। अणुव्रत विश्व भारती द्वारा आयोजित इस कोन्टेस्ट में लेखन, चित्रकला, गायन, भाषण आरंभ होंगे।