हल्दीघाटी युद्ध दो रियासतों के मध्य नहीं होकर, दो विपरीत विचारधाराओं के बीच हुआ : डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

-डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया ‘हल्दीघाटी एक विशेष अध्ययन’ पुस्तक का विमोचन-

उदयपुर । महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के न्यासी और मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने नव प्रकाशित पुस्तक ‘हल्दीघाटी एक विशेष अध्ययन’ का विमोचन किया। इस अवसर पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि हल्दीघाटी युद्ध दो रियासतों के मध्य नहीं होकर, दो विपरीत विचारधाराओं के बीच हुआ था। उस विपरीत विचारधारा का संगम मेवाड़ में कभी-भी ना सम्भव था और ना होगा। क्योंकि वह विपरीत विचारधारा मेवाड़ सहित समूचे भारत की आन, बान, शान के खिलाफ है। डॉ. मेवाड़ ने कहा कि हल्दीघाटी की महान माटी आज भी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के आदर्श जीवन मूल्यों, कुल श्रेष्ठ संस्कारों, शौर्य, पराक्रम, स्वाभिमान, भारत माता की अस्मिता की रक्षा, स्वतंत्रता प्रेम जैसे अनगिनत गुणों की प्रेरणाप्रद अद्वितीय पाठशाला है।

हल्दीघाटी की यह महान माटी प्रतापी प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के सेनापति मानसिंह कच्छावाहा के बीच हुए भीषण युद्ध की गौरव गाथा आज भी गाती है। मेवाड़ (भारत) की अस्मिता के लिए अपने प्राणों की आहुतियां देने वाले अनगिनत वीरों के लहू से रक्त तलाई आज भी लाल है। महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशंस ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित हल्दीघाटी एक विशेष अध्ययन’ पुस्तक मेवाड़ सहित देशभर के प्रसिद्ध इतिहासकारों के अनुसंधानपरक विचार-आलेखों को सम्मान प्रदान करना है। इस पुस्तक के प्रकाशन के बीच डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के मार्गदर्शन में महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर द्वारा आयोजित हल्दीघाटी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय विचार संगोष्ठी में प्रस्फुटित हुए। 

इस राष्ट्रीय विचार संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों व मेवाड़ के प्रसिद्ध इतिहासकारों ने अपनी सहभागिता से हल्दीघाटी युद्ध की महत्ता को अपने-अपने शोधपरक संवाद से संभव बनाया। महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन्स ट्रस्ट, उदयपुर द्वारा इस पुस्तक के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य शोध परक नवीन तथ्यों को सामने लाना है। हल्दीघाटी युद्ध के विवेचन द्वारा विश्लेषण करने का प्रयास है। विद्वजनों ने इस विश्व प्रसिद्ध युद्ध के बहुपक्षीय पहलुओं का गहनता से आंकलन कर इसे एक युद्ध मात्र ना मानकर ऐतिहासिक परिवर्तन के रूप में माना है। हल्दीघाटी युद्ध द्वारा स्थापित आदर्शों ने मेवाड़ को स्वातंत्र्य पूर्ण दृष्टि व दिशा प्रदान की, जो भविष्य में भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के आधार बने। प्रकाशित पुस्तक में प्रख्यात कवि पंडित नरेन्द्र मिश्र, कवि माधव दरक और कवि श्रेणीदान चारण की कविताओं का समावेश है। पुस्तक में इसके साथ-साथ देश के जाने माने इतिहासकार डॉ. गिरिशनाथ माथुर, डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’, डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा,  डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’, पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. मोहम्मद इदरिश, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के डॉ. अभिमन्यु सिंह आड़ा, जोधपुर के डॉ. मोहनलाल गुप्ता, डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित, डॉ. अजय मोची, डॉ. धर्मवीर वशिष्ठ, प्रो. रजनीश शर्मा, आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री आदि के हल्दीघाटी के ऐतिहासिक युद्ध पर शोध परक नवीन विचार-आलेख हैं।

Related posts:

HDFC Bank issues record high of over 4 lakh cards post embargo

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सोलर लैम्पों के संग्रह से "सूर्य' की सबसे बड़ा आकृति बनाकर गिनीज बुक ऑफ...

इंद्रदेव को रिझाने किया अनूठा टोटका, महिलाओं ने फोड़ी गंदे पानी की मटकियां

पांच माह के बच्चे के सिर की गांठें व सिर में भरे पानी का सफल ऑपरेशन

प्रतिष्ठित सीएसआर इम्पैक्ट अवार्ड्स 2024 में हिंदुस्तान जिंक को 2 पुरस्कार

अशोक लेलैंड की नवीनतम रेंज ‘एवीटीआर’ उदयपुर के ग्राहकों को डीलिवर

बागोर की हवेली में स्पर्श प्रदर्शनी का शुभारंभ 

10 वर्षों में वेदांता द्वारा सरकारी कोष में 2.74 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान

स्वच्छ आहार दिवस मनाया

जिंक फुटबॉल अकादमी के कैफ और प्रेम का एएफसी अंडर-17 एशियन कप क्वालीफायर में भारतीय टीम में चयन

कोविड के दौरान वाई वाई नूडल्स को हुआ जबरदस्त फायदा

Bhoomipoojan and Ground Breaking ceremony of pre-primary classes at DAV Zawar