उदयपुर। छुट्टी का दिन, धूप और सैलानियों व संगीत प्रेमियों से सराबोर फतहसागर की पाल। थोड़ा सा रुमानी हो जाने वाले पल.. ऐसा कुछ नजारा था संगीत के महाकुंभ वेदांता उदयपुर वल्र्ड म्यूजिक फेस्टिवल की विदाई की शाम से पहले सजी गीतों भरी दुपहरी का जिसमें देश के जाने-माने इण्डी पॉप, फोक और अपनी स्टाईल के लिये पहचान रखने वाले कलाकार अनुष्का मस्की, संजीता भट्टाचार्य और आभा हंजुरा ने अपने साथियों के साथ प्रस्तुती से दर्शकों को जोश से दुगूना कर दिया।
सहर के संस्थापक निदेशक संजीव भार्गव ने बताया कि सिक्किम की कलाकार अनुष्का मस्की ने जब लोक संगीत और कहानी को गिटार के सहारे परोसा तो फुर्सत के लम्हें कीमती हो गए। अनुष्का ने अपने साथी गिटारिस्ट की धुन पर राग छेड़ी तो दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया। उसके बाद प्रेमभरे गीत खोई, मै खोई रहूं अब तो दिनो की कुछ खबर नही, रातों में सोती नही ने मौजूद लोगों को अपने प्रेम से मिला दिया। अनुष्का ने एम्पायर ऑफ फीयर, और ‘इट मे बी अनादर इयर , होलो जैसे गीत प्रस्तुत किए जिसे दिल थाम कर वहां मौजूद हर दर्शक ने सुना और तालियों से दाद दी।
इसके बाद गायिका, गीतकार और अभिनेत्री संजीता भट्टाचार्य ने आउट ऑफ ट्यून, आई वार्नड यू इवन दो आई हर्ड यू हनी को अपने बैंड के साथ यादगार धुनें छेड़ीं। संजीता ने गिटारिस्ट अमन के साथ अपनी चुनिंदा एलब्म्स के तराने पेश किए।
फतर सागर की पाल पर लहरों के साथ इलेक्टिक फोक पॉप बैंड सूफिस्टिकेशन पर आभा हंजूरा ने बुमरो बुमरो और रोशेवाला मायने दिलबरों से लेकसिटी की झीलों को कश्मीर की झीलों से रू-ब-रू करा दिया। कश्मीरी लोक ध्वनियों और वाद्ययंत्रों के दुर्लभ और अद्वितीय लहजे को संगीत प्रेमियों ने खड़े होकर जोरदार तालियों के साथ कलाकारों को दाद दी।
इससे पूर्व मांजी के घाट पर पश्चिमी और भारतीय शास्त्रीय परंपराओं के युवा संगीतकार अमृत रामनाथ ने अपूर्वा के साथ पियानो और वायलिन पर अपनी प्रस्तुती से दर्शको को मंत्र मुग्ध कर दिया। आस्टे्रलिया में सुप्रसिद्ध और प्रतिभाशाली भारतीय गायकों में शामिल सृजनी घोष ने मेरे द्वारा खोल के बैठा तुम आ जाना भगवान, वन चले रघुराई और वैष्णव जन तो तेने ही कहिये जे से माहौल को भक्ति से भाव विभोर कर दिया।
संजीव भार्गव ने फेस्टिवल के आयोजन प्रमुख वेदांता हिंदुस्तान जिंक, राजस्थान टूरिज्म सहित उदयपुर के संगीतप्रेमियों, देश-विदेश से आए कलापे्रमियों व कलाकारों का धन्यवाद देते हुए नये कलाकारों के साथ अगले संस्करण का वादा किया। भार्गव ने कहा कि उदयपुर की हवा में संगीत का ऐसा जादू है जो दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता है। यहां के लोगों का प्यार, सम्मान और अपनेपन की भावना भी अनूठी है।