लोक संस्कृति के अनूठे पर्व शिल्पग्राम उत्सव का आगाज

राज्यपाल कलराज मिश्र ने नगाड़ा बजाकर किया शुभारंभ
भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करती है – राज्यपाल
उदयपुर।
झीलों की नगरी में लोक संस्कृति के अनूठे पर्व शिल्पग्राम उत्सव का आगाज बुधवार को समारोहपूर्वक हुआ। प्रदेश के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर एवं दीप प्रज्जवलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया।


राज्यपाल ने सभी अतिथियों का स्वागत कर कहा कि शिल्पग्राम जीवन से जुड़ी उत्सवधर्मिता का त्योहार है। भारतीय संस्कृति जीवन से जुड़े संस्कारों से ही प्रत्यक्षतः जुड़ी हुई है। जीवन से जुड़े जो संस्कार हैं, उनसे ही कला उपजती रही है। उन्होंने कहा कि यहां जो स्टॉल लगाए हैं, उनको देखकर स्पष्ट ही यह अनुभूत होता है कि जीवन से जुड़ी परम्पराओं को कैसे कलाकारों ने अपने सृजन में शिल्प, चित्रकला और अन्य कलाओं में उकेरा है। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करती है। यह सारा विश्व हमारा परिवार है। इसलिए सर्वे भवन्तु सुखिन के भावों से हमारी संस्कृति ओतप्रोत है। हमारे यहां शिल्प शास्त्रों में विविध प्रकार की कलाओं तथा हस्तशिल्पों का विशद् विवेचन किया गया है। शिल्प के अंतर्गत विभिन्न प्रकार से जुड़े हस्तशिल्प, डिजाइन और उनसे जुड़े सिद्धान्तों को वर्णित किया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि पूरी चौसठ कलाओं का उल्लेख हमारे शास्त्रों में किया गया है। इन चौसठ कलाओं में काष्ठकारी, स्थापत्य कला, आभूषण कला, नाट्यकला, संगीत, वैद्यक, नृत्य, काव्यशास्त्र आदि सभी कुछ आ जाता है। कलाओं की वैदिक कालीन संज्ञा भी हमारे यहां शिल्प रही है और हरेक कला दूसरी कला में घुल-मिलकर ही पूर्णता को प्राप्त होती है।
उन्होंने आमजन से आग्रह किया कि वे इन सभी कलाकारों की कलाओं की गहराई में जाएं। इससे पता चलेगा कोई एक कला नहीं यहां सभी कलाओं का मूल है। यही कलाओं का अन्तःसंबंध है। इन्हें समझेंगे तो न केवल कलाओं के संसार में आप प्रवेश कर सकेंगे बल्कि मन भी उल्लसित होगा। शिल्पग्राम उत्सव के बहाने लोक संस्कृति से, लोक और जनजातीय कलाकारों की कला से रू-ब-रू होने के जो अवसर मिल रहे हैं, वह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि उदयपुर का यह शिल्पग्राम देशभर में विख्यात है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर राजस्थान, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र की ग्रामीण और स्वदेशी संस्कृति एक साथ अनुभूत की जा सकती है। इन सभी राज्यों के विभिन्न जातीय समुदायों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली और परंपराओं को यहां झोपडि़यों में दर्शाया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव में 400 शिल्पकार और 700 लोक कलाकार भाग ले रहे हैं। इन सबके पास कलाओं कलाओं का अनमोल खजाना है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि शिल्पग्राम में बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किया गया है। यह हमारी धरोहर है। इस धरोहर का इस तरह से संग्रहण और संरक्षण सराहनीय कार्य है। इसके लिए मैं केन्द्र की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता को बधाई देते हुए सराहना करता हूं। वह स्वयं कलाकार हैं, इसलिए उनके पास इस तरह की दृष्टि है। मैं चाहता हूं, इसी तरह दूसरी जितनी भी हमारी लोक कलाएं हैं, धरोहर हैं उन्हें प्रलेखित करने के साथ इस तरह से संग्रहालय बनाकर यहां प्रदर्शित करने का कोई जतन किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी को हम अपनी विरासत सौंप सकें। अपने संबोधन के अंत में राज्यापाल ने शिल्पग्राम उत्सव के शुभारम्भ की घोषणा की।


राज्यपाल श्री मिश्र ने जयपुर के तमाशा कलाकार व रंगकर्मी दिलिप कुमार भट्ट तथा अहमदाबाद के संस्कृति कर्मी तथा जनजाति कला के उन्नयन में उल्ल्ेखनीय कार्य करने वाले डॉ. भगवान दास पटेल को पद्मभूषण डॉ कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेन्ट पुरस्कार प्रदान किया।
शुभारंभ समारोह में गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री गोविन्द गावड़े, बेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता, चुनाव आयुक्त मधुकर गुप्ता, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट, जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ओएसडी गोविन्द जायसवाल आदि मौजूद रहे।
आरंभ में राज्यपाल ने संगम सभागार में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किए गए चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसके सौंदर्य की सराहना की। धाम के महंत अच्युतानंद महाराज और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने चित्रों की विषयवस्तु के बारे में राज्यपाल को अवगत कराया। राज्यपाल ने तसल्ली से सभी चित्रों को देखा और इसके वर्ण्यविषय, रंगों और कला को अद्भुत बताया तथा केन्द्र द्वारा इनके संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को सराहा।
शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर मुख्य रंगमंच पर ‘समागम’ के आयोजन के अंतर्गत 9 राज्यों के सवा दो सौ कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रोलोग से हुई जिसमें दीपों से उत्सव का प्रकाश फैलाया। इसके बाद पश्चिम बंगाल के श्री खोल नृत्य से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके बाद जम्मू कश्मीर रॉफ, असम का बोडई शिखला, उडीसा को गोटीपुआ, महाराष्ट्र का लावणी, गोवा का समई, झारखण्ड का छऊ गुजरात का डांग और पंजाब के भांगड़ेे की प्रस्तुतियां सम्मोहक रही। अंत में समस्त प्रतिभागियों ने एक साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम पर आकर्षक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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