सजल नयनों से विदा हुईं 51 बेटियां, 102 परिवारों के घर सजी खुशियों की डोली

नारायण सेवा संस्थान का 43वां दिव्यांग सामूहिक विवाह
51 दिव्यांग और निर्धन जोड़ों का बसा नया संसार, वैदिक मंत्रों और देश विदेश से आये धर्म माता पिता के आशीर्वाद से मिला नवजीवन
उदयपुर।
नारायण सेवा संस्थान के 43वें दो दिवसीय नि:शुल्क सामूहिक दिव्यांग विवाह समारोह में 51 बेटियों ने भावी गृहस्थी के सतरंगी सपने बुनते हुए अपने जीवन साथी के साथ सात फेरे लिए। इन 102 वर – वधुओं के हस्त मिलाप के साक्षी बने देश -विदेश के कन्यादानी, धर्म माता -पिता और सैकड़ों मेहमान ।


प्रातः 9 बजे बाजे -गाजे के साथ नव दांपत्य जीवन में प्रवेश करने जा रहे जोड़ों की बिंदोली निकाली गई, जिसमें घराती – बाराती जमकर नाचे। इस दौरान वर-वधुओं पर पुष्प वर्षा होती रही। इसके पश्चात दूल्हों ने क्रमशः तोरण की रस्म का निभाकर विवाह पांडाल में प्रवेश किया।दुल्हनों को भी श्रीनाथजी की आकर्षक झांकी के साथ एक-एक कर संस्थान निदेशक श्रीमती वंदना अग्रवाल व साधिकाओं के समूह द्वारा पालकी से विवाह स्थल पर लाया गया, जहां पुष्प वर्षा और आकर्षक आतिशबाजी के बीच “श्री रघुवर कोमल नयन को पहनाओ वरमाला” जैसे गीतों की गूंज के साथ वरमाला की रस्म अदा की गई। यह लम्हा न केवल नवदंपतियों के लिए खुशी का मौका था बल्कि हर व्यक्ति को समाज में सहयोग, सद्भावना और सहृदयता का एक संदेश भी था। जब दिव्यांग एवं निर्धन जोड़ों ने आर्थिक और शारीरिक और अक्षमताओं की सीमाओं को तोड़कर समाज के सहयोग से नए जीवन की शुरुआत की। वरमाला की रस्म के दौरान हाथों से अपाहिज कुछ जोड़ों ने पैरों से तो कुछ व्हीलचेयर पर बैठे जीवनसाथी के गले में वरमाला डाली। फेरों की वेला में वैदिक मंत्रो की गूंज और प्रकृति प्रेम व ईश आराधना के दिव्य वातावरण ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी।
विभिन्न हादसों में अपने हाथ पांव को खोने वाले उन युवक -युवतियों ने मंच पर वॉक कर अपनी आप-बीती को बयां किया।जिनकी संस्थान में हाल ही में नारायण कृत्रिम लिंब लगाए गए हैं।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए संस्थान संकल्पबद्ध है। क्योंकि इससे समाज और राष्ट्र की संपन्नता और विकास की संभावनाएं जुड़ी है। संस्थान संस्थापक पद्मश्री अलंकृत कैलाश ‘मानव’ व सह संस्थापिका कमला देवी ने नवयुगलों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखद दांपत्य जीवन की मंगल कामनाएं की।
पाणिग्रहण संस्कार के उपरांत जब बेटियों को उनके नए साजन घर के लिए डोली में बिठाकर विदा किया गया तो बेटियों के परिजन ही नहीं दूर-दराज से आए कन्यादानी -धर्म माता-पिता भी बिन जल मछली की तरह तड़प उठे और उन्होंने सजल नेत्रों से डोली उठाकर उन्हें विदा किया।
ये जोड़े बंधे विवाह बंधन में –
सकलांग कल्पना ने थामा दिव्यांग का हाथ
:
सराड़ा तहसील के मांडवा गांव निवासी सोहन मीणा (25) के बचपन में दाहिने पांव में लगी छोटी सी चोट ने गहरे जख्म का रूप ले लिया। धीरे-धीरे वह बढ़ता गया। करीब तीन बार सर्जरी भी हुई परन्तु पांव ठीक नहीं हुआ। अन्ततः उपचार के दौरान सात साल पहले पांव कटवाना पड़ा।


2018 में इन्हें हादसों में अंग (हाथ-पैर) नारायण सेवा संस्थान द्वारा निःशुल्क कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने की जानकारी मिली तो ये उदयपुर आए और निःशुल्क कृत्रिम पांव का नाप दे विशेष नारायण लिम्ब पहना। जो इनके चलने, उठने-बैठने में काफी सहायक बना। वहीं 2 साल पहले उपला फला ठेलाना के निर्धन परिवार की कल्पना कुमारी (25) से केसरिया जी के मेले में इनकी मुलाकात हुई, जिसने इन्हें एक-दूसरे का जीवन साथी बनाया।
एक जन्मजात तो दूसरा बचपन से दिव्यांग :
सरिता कुमारी (20) बिहार के गया शहर की रहने वाली हैं। जब 5 वर्ष की उम्र में ही इन्हें पोलियो हो गया था। जिसके कारण ये बांए पैर से दिव्यांग हो गईं। दिव्यांगता के बावजूद सिलाई सहित घर के सभी काम कर लेती हैं।


बिहार के ही थाना गुरुआ, भरौंधा निवासी विकास कुमार (27) जन्मजात बांए पांव से दिव्यांग हैं। वैशाखी के सहारे चलते हुए बड़ी मुश्किल से बीए की पढ़ाई पूरी की। साल 2017 में संस्थान में आने पर पांव का ऑपरेशन हुआ। अब कैलिपर्स पहन आराम से चलते है। ये सिलाई के साथ ई-मित्र के रूप में भी काम कर घर खर्च में सहायता करते हैं। आज शादी होकर खुश है।
लोगर एक तो हिम्मती दोनों पैर से दिव्यांग, हुए एक :


उदयपुर जिले के उमरड़ा के वड़ों का फला निवासी लोगर पुत्र नारायण मीणा (31) जन्मजात बांये पांव से दिव्यांग तो उमरड़ा के समीप ही नाकोली गांव की हिम्मती पुत्री तला जी मीणा (30) दोनों पांवों से जन्मजात दिव्यांगता के कारण घिसटते हुए आगे बढ़ने को मजबूर हैं। दोनों का निर्धनता व दिव्यांगता के चलते विवाह नहीं हो पा रहा था। संस्थान के निःशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह की जानकारी टीवी से मिली तो इनके परिवारों में दोनों की गृहस्थी बसने की उम्मीद जगी। आज शादी का सपना पूरा हुआ।

Related posts:

प्रधानमंत्री की मंशा और मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता ने बदली किसानों की किस्मत

जाग्रत हनुमानजी को धराया छप्पन भोग

एसेन्ट करियर पॉइन्ट के अरिष्ट जैन ने रचा इतिहास

आकाश एजुकेशनल सर्विसेस लि. का पहला कॉर्पोरेट सेंटर उदयपुर में लॉन्च

उदयपुर में जी-20 शेरपा बैठक के लिए तैयारियां जोरों पर

राजस्थान में चार बार लगा राष्ट्रपति शासन

पत्रकार मानवेन्द्र का देसूरी उपप्रधान बनने पर अभिनंदन

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ को सम्मानित किया

एएमई दौसा लक्ष्मीचंद मीणा जून माह के बेस्ट परफॉर्मर

जीतो प्रीमियर लीग में उदयपुर टीम बनी विजेता

Pepsi lives up to its promise of more Fizz, more refreshing

90 बच्चों को स्कूल बेग और बोतल वितरण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *