18 राज्यों के 850 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया भाग
शिक्षा का उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना – प्रो. अजीत कुमार
भारतीय दृष्टि और नैतिकता के साथ आधुनिक अकांटिंग आवश्यक – प्रो सारंगदेवोत
नेशनल अकांटिंग टेलेंट सर्च एंड अवार्ड तथा बेस्ट पेपर अवार्ड के विजेता हुए पुरूस्कृत
उदयपुर। भारतीय लेखांकन परिषद उदयपुर शाखा एवं राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय 47वींे ऑल इंडिया अकाउंटिंग कॉन्फ्रेंस एंड इंटरनेशनल सेमिनार का समापन सोमवार को हुआ।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि दो दिवसीय विचार मंथन से लेखांकन के विभिन्न और महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा होने के साथ ही कई अहम तथ्य भी सामने आए है। उन्होने कहा कि अकांटिंग में भारतीय दृष्टि का समावेश कर शोध निष्कर्षांे को संस्कृति-शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। पारंपरिक भारतीय बौद्विकता को आधुनिक लेखांकन अनुसंधान के सममिश्रण से शिक्षा को नवोन्मेषी आयाम प्रदान करने का आधार तैयार किया जा सकता है। सारंगदेवोत ने वर्तमान तकनीकी परिदृश्य को देखते हुए कहा कि अकांटिंग में एआई के उपयोग से न केवल विश्लेषण की गति बढ़ी है,बल्कि निर्णय की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।उन्होने कहा कि अब समय आ गया है जबकि संख्याओं को नैतिकता और डेटा को दृष्टि से जोड़ा जाए।

एमपीपीयूटी के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक ने अपने उदबोधन में इन सेमीनारों के माध्यम से शिक्षा का समाज और राष्ट्र के लिए उपयोग के भावों को आधार बना कर पारदर्शिता, विश्वसनीयता और तकनीकी के आयामों का अनुसरण करके आर्थिक सुधारों और तकनीकी प्रणालियों को जन जन तक पहुंचाना। शिक्षा का उददेश्य केवल नौकरी पाना नहीं, एक अच्छा इंसान बनाना आवश्यक है। उन्होने कहा कि शिक्षक डर के साये न जिये, यदि शिक्षक डर गया तो समाज का पतन हो जायेगा। इन प्रयासों से वर्तमान और भावी पीढ़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को नया आकार दे पाएंगी। उन्होंने युवाओं और प्रतिभागियों से आव्हान किया कि ये आयोजन अनुभव आधारित ज्ञान अर्जन करने का सुअवसर होते है जो हमारे व्यक्तित्व को व्यवसायिक जीवन के साथ सामाजिक सहभागिता के विचारों से परिचित करवाते है क्योंकि शिक्षा का मूल मकसद समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी अवसर प्रदान करने का नाम है।

आईएए के जनरल सेके्रट्री संजय भयाणी, संगोष्टी सचिव डॉ. शूरवीर सिंह भानावत ने स्वागत उद्बोधन के माध्यम से संगोष्टी में हूए विचार मंथन का निचोड़ एवं उसके उपयोग और संभावनाओं के बारे में बताया। सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी गुजरात के कुलपति प्रो. प्रताप सिंह चैहान, वीएमओयू के कुलपति प्रो. बीएल वर्मा, इगनू के पूर्व कुलपति प्रो. नागेश्वर राव, गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के कुलपति प्रो. के. एस. ठाकुर ,डॉ. पुष्पकांत शाकद्वीपीय ने भी विचार व्यक्त किए। निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत ने बताया कि समारोह में अतिथियों द्वारा प्रो. एनएम खण्डेवाल द्वारा लिखित पुस्तक नीति, संगठनात्मक व्यवहार का विमोचन किया गया।
डॉ. शूरवीर सिंह भानावत ने बताया कि आयोजित दो दिवसीय सेमीनार में 6 विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें 239 शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण के साथ लेखांकन के विभिन्न मुद्दों पर विचार मंथन किया गया। शोधपत्रों के द्वारा प्राप्त सूचनाओं और तथ्यों को अकांटिंग व संबंधी विभिन्न क्षेत्रों के साथ साथ नियम निर्धारण के लिए उपयोग में लाया जाएगा। स्मापन सत्र में नेशनल एकाअंटिंग टेलेंट सर्च एंड अवार्ड का डिक्लेरेशन किया गया। विभिन्न तकनीकी सत्रों के बेस्ट पेपर अवार्ड की घोषणा कर विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। संगोष्टी प्रतिवेदन डाॅ शिल्पा लोढ़ा ने प्रस्तुत किया।
इस मौके पर प्रो. जी. साइमन, डाॅ सत्यजीत धार, डाॅ. नीमी देव, प्रो जीतेन्द्र जैन, प्रो अरिन्दम गुप्ता, सीएमए डाॅ. जी. नरेश रेड्डी, प्रो. जी. सौरल पूर्व अध्यक्ष भारतीय लेखा परिषद, रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर, डाॅ. पारस जैन, डाॅ. युवराज सिंह राठौड, डाॅ. बलिदान जैन, डाॅ. नीरू राठौड, डाॅ. रचना राठौड, डाॅ. अमी राठौड, डाॅ. सुनिता मुर्डिया, डाॅ. अपर्णा श्रीवास्तव, डाॅ. सौरभ सिंह, डॉ. शिल्पा वर्डिया, डॉ. अभय जारौली, डॉ. हेमंत कडुनिया, डाॅ. पंकज रावल सहित, डाॅ. इंदू बाला आचार्य, डाॅ. जय सिंह जोधा, डाॅ. हिम्मत सिंह, डाॅ. रोहित कुमावत, डाॅ. रेखा कुमावत देश भर से आये प्रतिभागी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ हरीश चैबीसा ने किया।